संदर्भ: आयुष मंत्रालय ने शिक्षा, पारंपरिक ज्ञान और अनुसंधान के माध्यम से आयुर्वेद को आगे बढ़ाने में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करने के लिए राष्ट्रीय धन्वंतरि आयुर्वेद पुरस्कार 2025 प्रदान किए।

  • वर्ष 2025 के पुरस्कार विजेता, आयुर्वेद के तीन महत्वपूर्ण आयामों का प्रतिनिधित्व करते हैं: शास्त्रीय विद्वता, जीवंत पारंपरिक अभ्यास और वैज्ञानिक नवाचार।

प्राप्तकर्ता:

आयुष चिकित्सा प्रणाली:

यह भारत में प्रचलित चिकित्सा प्रणालियों जैसे आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (AYUSH) का संक्षिप्त नाम है।

  • आयुर्वेद: यह भारत का एक स्वदेशी प्राचीन चिकित्सा विज्ञान है, जो 5000 वर्ष से भी अधिक पुराना है। इसे अथर्ववेद का उपवेद माना जाता है।
    • औषधीय प्रयोजनों के लिए जड़ी-बूटियों के उपयोग का उल्लेख विश्व के सबसे प्राचीन लिखित साहित्य, ऋग्वेद में मिलता है।
  • योग: महर्षि पतंजलि को योग का जनक माना जाता है।
    • योग के आठ चरण हैं जिन्हें “अष्टांग योग” कहा जाता है। ये चरण हैं: यम (संयम), नियम (पालन), आसन (शारीरिक मुद्राएँ), प्राणायाम (श्वास पर नियंत्रण), प्रत्याहार (सांसारिक वस्तुओं से विमुख होना), धारणा (एकाग्रता), ध्यान (मनन) और समाधि (मन और शरीर का एकीकरण)।
    • राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने प्राकृतिक चिकित्सा की बहुत वकालत की है।
    • प्राकृतिक चिकित्सा में सभी सिद्ध औषधि-रहित उपचार शामिल हैं और यह रासायनिक या हर्बल दवाओं के उपयोग के बिना एक समग्र स्वास्थ्य देखभाल दृष्टिकोण प्रदान करती है।
  • यूनानी: यह चिकित्सा की सबसे प्राचीन प्रणालियों में से एक है, जो 460 ईसा पूर्व में हिप्पोक्रेट्स (चिकित्सा के जनक) की शिक्षाओं पर आधारित है।
    • इसे अरबों द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप में लाया गया था।
  • सिद्ध: सिद्ध साहित्य तमिल भाषा में है और भारत तथा विदेशों के तमिल भाषी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर प्रचलित है।
    • इस सिद्धांत के अनुसार, मानव शरीर ब्रह्मांड की प्रतिकृति है और खाद्य पदार्थ तथा औषधियाँ भी, चाहे उनका मूल कहीं भी हो, ब्रह्मांड की प्रतिकृति हैं।
  • होम्योपैथी: इसकी शुरुआत प्रसिद्ध जर्मन चिकित्सक सैमुअल हैनिमैन (1755-1843) ने की थी।
    • यह व्यक्तिवादी औषधि चिकित्सा पद्धति है, जो सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक सिद्धांतों, विशेष रूप से समानता के नियम पर आधारित है।
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