संदर्भ: हाल ही में जारी NCRB की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, साइबर अपराध के पंजीकरण में वर्ष 2022 की तुलना में 31.2% की वृद्धि हुई है, जिसमें वर्ष 2023 के दौरान 68.9% साइबर अपराध के मामले धोखाधड़ी के इरादे से दर्ज किए गए (86,420 मामलों में से 59,526)।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था ने वर्ष 2022-23 में राष्ट्रीय आय में 11.74% का योगदान दिया। वर्ष 2030 तक, भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था का देश की समग्र अर्थव्यवस्था में लगभग पाँचवां हिस्सा होने का अनुमान है।
डिजिटल परिवर्तन के कारक:


- हालाँकि, भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को “दोधारी तलवार” माना जा सकता है क्योंकि सुविधा और समावेशन को बढ़ाने के साथ-साथ इसने साइबर अपराध में भी योगदान दिया।
- अपराधी, सिस्टम की खामियों और मानव मनोविज्ञान का फायदा उठाते हैं तथा फ़िशिंग, OTP/UPI धोखाधड़ी, पहचान की चोरी, ऋण घोटाले और तेज़ी से बढ़ती डिजिटल गिरफ़्तारियों जैसी रणनीतियों का इस्तेमाल करते हैं। ये धोखाधड़ी हैकिंग कौशल पर कम और डर व विश्वास पर ज़्यादा निर्भर करती हैं।
- वर्तमान संस्थागत दृष्टिकोण काफ़ी हद तक प्रतिक्रियात्मक है – धोखाधड़ी का समाधान शिकायत दर्ज होने के बाद ही किया जाता है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) निम्नलिखित तरीकों से इस मॉडल को सक्रिय रोकथाम में बदल सकते हैं:
- व्यक्तिगत लेनदेन प्रोफ़ाइल: AI प्रत्येक ग्राहक के विशिष्ट लेनदेन के आकार, आवृत्ति, समय और जोखिम श्रेणी (उदाहरण के लिए, वरिष्ठ नागरिक, ग्रामीण उपयोगकर्ता, उच्च-निवल-संपत्ति वाले व्यक्ति) को मैप कर सकता है। सामान्य गतिविधि से विचलन के लिए लक्षित अलर्ट उत्पन्न करने हेतु ग्राहकों को समूहों में बांटा जा सकता है।
- अंतर-संस्थागत निगरानी: एक AI-सक्षम धोखाधड़ी खुफिया और शीघ्र पहचान नेटवर्क, बैंकों, भुगतान प्रणालियों तथा दूरसंचार प्रदाताओं के बीच अलर्ट के वास्तविक समय साझाकरण को सक्षम कर सकता है। यदि एक बैंक किसी संदिग्ध खाते की पहचान करता है, तो अन्य बैंकों को तुरंत सूचित किया जा सकता है, जिससे अपराधी संस्थागत कमियों का फायदा न उठा सके।
- साइबर पुलिस को सशक्त बनाना: AI कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए वास्तविक समय पर पहचान और स्वचालित अलर्ट प्रदान करता है, जिससे 24 घंटे के भीतर त्वरित कार्रवाई संभव हो पाती है। वैश्विक डेटा-साझाकरण और मज़बूत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के साथ, AI, साइबर पुलिसिंग को तेज़, अधिक चुस्त और नागरिक-अनुकूल बना सकता है।
- बैंकों की जवाबदेही को मज़बूत करना: बैंकों को AI-संचालित निगरानी अपनानी चाहिए, KYC कमियों को दूर करना चाहिए और सुरक्षित, छेड़छाड़-रोधी ग्राहक डेटा प्रबंधन के लिए ब्लॉकचेन का उपयोग करना चाहिए।
आगे की राह
- भारत को एक सुरक्षा-प्रथम ढाँचे की ओर बढ़ना चाहिए, जहाँ नागरिक सुरक्षा और डिजिटल विश्वास वित्तीय स्थिरता के केंद्र में हों।
- बैंकों के लिए- बैंकों को KYC मजबूत और खच्चर खातों का ऑडिट करना चाहिए। ब्लॉकचेन सुरक्षित रिकॉर्ड सुनिश्चित करता है, जिसके साथ AI निगरानी और धोखाधड़ी की जानकारी भी महत्वपूर्ण है।
- साइबर पुलिस के लिए- गति, उपकरण और क्षमता महत्वपूर्ण हैं। 24/7 त्वरित प्रतिक्रिया इकाइयों को 24 घंटे की अवधि के भीतर कार्य करना होगा और वैश्विक धोखाधड़ी से निपटने के लिए मज़बूत सीमा पार सहयोग का समर्थन प्राप्त करना होगा।
- लोगों के लिए- ग्रामीण क्षेत्रों को लक्षित करते हुए, बुनियादी और उन्नत IT प्रशिक्षण के साथ डिजिटल साक्षरता में सुधार करने की आवश्यकता है।
- अगर ईमानदारी से आगे बढ़ा जाए, तो ये सुधार भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को कमज़ोर से लचीली अर्थव्यवस्था में बदल सकते हैं, जहाँ तकनीक और विश्वास से हर नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
