संदर्भ: 27 सितंबर, 2025 को करूर, तमिलनाडु के वेलुसामीपुरम में तमिलगा वेत्री कषगम (TVK) के अध्यक्ष और अभिनेता विजय की जनसभा के दौरान हुई भीषण भगदड़ ने पूरे समुदाय को शोक में डुबो दिया है।
- इस दुखद घटना में 39 लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हुए। स्थानीय लोगों ने कई प्रमुख कारणों की ओर इशारा किया: भीड़ का कुप्रबंधन, गलत तरीके से चयनित स्थल और बुनियादी सुविधाओं का अभाव, जिन्होंने इस भयावह परिणाम में योगदान दिया।
भारत में हाल की भगदड़ की घटनाएँ:

- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, भारत में वर्ष 2000 से 2022 तक भगदड़ में 3,000 से ज़्यादा मौतें दर्ज की गईं और पिछले तीन दशकों में लगभग 4,000 भगदड़ की घटनाएँ दर्ज की गईं।
भगदड़ क्या है?
- प्रोफेसर वेंगुओ वेंग ने भगदड़ को “भीड़ का एक आवेगपूर्ण सामूहिक संचलन” के रूप में परिभाषित किया, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर मौतें होती हैं और लोग घायल होते हैं।
भगदड़ के प्रकार
- एसोसिएट प्रोफेसर के. एम. नगाई ने भगदड़ को गति के आधार पर 2 प्रकारों में वर्गीकृत किया है:
- एकतरफा भगदड़ की घटनाएँ तब हो सकती हैं जब एक ही दिशा में आगे बढ़ रही भीड़ को बल में अचानक सकारात्मक या नकारात्मक परिवर्तन का सामना करना पड़ता है जो इसकी गति को बदल देता है।
- अनियंत्रित भीड़, प्रेरित आतंक या कई दिशाओं से भीड़ के विलय की स्थितियों में अशांत भगदड़ की घटनाएँ हो सकती हैं।
भगदड़ के लिए उत्तरदायी कारक
- मानव मनोविज्ञान:
- मनोवैज्ञानिक अलेक्जेंडर मिंट्ज़ के सिद्धांत के अनुसार “आतंक स्थितियों में बचने के लिए एक साथ काम करना आवश्यक है और जब हर कोई सहयोग करता है, तब लोग सुरक्षित रह सकते हैं। हालाँकि, जब यह सहयोग बाधित होता है, तो यह शामिल व्यक्तियों के लिए फायदेमंद नहीं रहता।
- संरचनात्मक मुद्दे:
- प्रकाश की कमी।
- भीड़ प्रवाह को अलग-अलग विभाजित नहीं किया जाना।
- अवरोधों, इमारतों का ढहना।
- निकासी मार्ग अवरुद्ध होना, प्रवेश द्वार पर दरवाजे का खराब डिज़ाइन।
- आग लगने का खतरा।
- भीड़ का उच्च घनत्व: जब भीड़ का घनत्व (प्रति इकाई क्षेत्र में लोगों की संख्या) उपलब्ध स्थान से अधिक हो जाता है, तो यह उपस्थित लोगों में घबराहट पैदा कर सकता है, खासकर अगर भीड़ प्रबंधन में कमी हो। यह स्थिति कभी-कभी भगदड़ का कारण बन जाती है।
भगदड़ में मृत्यु के कारण:
- भयानक श्वासावरोध: वक्ष और/या ऊपरी पेट दबने के कारण श्वसन का आंशिक या पूर्णतः बंद होना।
- मायोकार्डियल इंफार्क्शन: हृदय में रक्त के प्रवाह में कमी या पूर्ण रूप से बंद होने के कारण दिल का दौरा।
- आंतरिक अंगों को कुचलने वाली चोट, सिर में चोट।
- गर्दन का दबना।
भारत में भीड़ प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के दिशा-निर्देश
- क्षमता नियोजन:
- प्रवाह को प्रबंधित करने के लिए स्टेजिंग पॉइंट से गुजरने वाले आगंतुकों की गिनती और निगरानी के लिए एक प्रभावी तरीका लागू किया जाना चाहिए।
- प्रत्येक स्टेजिंग पॉइंट पर आराम, भोजन, पानी और स्वच्छता रखरखाव के लिए उपयुक्त सुविधाएँ होनी चाहिए।
- आगंतुकों की आवाजाही बढ़ाने और भीड़भाड़ को कम करने के लिए कई मार्ग होने चाहिए।
- भीड़ नियंत्रण: निम्नलिखित तरीको से मांग-आपूर्ति अंतर को प्रबंधित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए:
- भीड़ के अवागमन को नियंत्रित करना।
- आयोजन स्थल पर भीड़ की आवाजाही को नियंत्रित करना।
- खतरा, जोखिम और भेद्यता विश्लेषण (HRVA) का संचालन करना:
- “भीड़ नियंत्रण” से “भीड़ प्रबंधन” में परिवर्तन।
- उन स्थानों पर आपदाओं के विभिन्न संभावित खतरों और कारणों को पहचानें जहाँ अधिक भीड़ इकट्ठा होती है।
- विफलता मोड और प्रभाव विश्लेषण (FMEA):
- NDMA ने सिफारिश की है कि सभी कार्यक्रम आयोजक/योजनाकार FMEA का संचालन करें।
- इस पद्धति में 1-10 के पैमाने पर 1. गंभीरता, 2. घटना की आवृत्ति, 3. पता लगाने में कठिनाई के आयामों पर हर संभावित खतरे की रेटिंग करना शामिल है; ताकि समग्र जोखिम प्राथमिकता संख्या (RPN) पर पहुँचा जा सके।
भीड़ प्रबंधन के लिए एकीकृत दृष्टिकोण – NDMA

प्रभावी भीड़ प्रबंधन और भगदड़ को रोकने के उपाय

- भगदड़ जोखिम-घटाने की रूपरेखा: इलियास के अनुसार सामूहिक समारोहों की योजना बनाने के लिए एक उचित रूपरेखा बनाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके लिए एक सहयोगी, बहु-विषयक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है जो संभावित जोखिमों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित करता है ताकि उपयुक्त शमन उपायों को विकसित और निष्पादित किया जा सके।
- स्थानों का बेहतर डिज़ाइन: प्रभावी भीड़ प्रबंधन के लिए स्थानों के भौतिक संगठन और डिज़ाइन में सुधार करना आवश्यक है। पर्याप्त निकासी से भीड़ की आवाजाही में मदद मिल सकती है।
- भीड़ की लाइव निगरानी: इससे आयोजकों को भीड़ के घनत्व, अड़चनों, दबाव निर्माण की निगरानी करने और गड़बड़ी के स्रोत को इंगित करने की अनुमति मिलती है, जिससे भीड़ प्रबंधन में सुधार होता है।
- अंतर-एजेंसी संचार: मंदिर अधिकारियों, स्थानीय अधिकारियों और पुलिस जैसे आयोजकों के बीच प्रभावी संचार भीड़ प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है।
