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सामान्य अध्ययन-3: आईटी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टेक्नोलॉजी, जैव-टेक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित मुद्दों के क्षेत्र में जागरूकता।
संदर्भ:
खगोलविदों ने हाल ही में क्षुद्रग्रह 2025 PN7 की खोज की है, जो पृथ्वी का नवीनतम अर्ध-उपग्रह है।
Asteroid 2025 PN7
- यह एक छोटा क्षुद्रग्रह (ऐस्टेरॉइड) है जो सूर्य की परिक्रमा करते हुए पृथ्वी के पास बना रहता है।
- टीम ने पाया कि 2025 PN7 लगभग 60 वर्षों से एक अर्ध-कक्षा (क्वाज़ी-ऑर्बिट) में था और संभवतः अगले 60 वर्षों तक पृथ्वी के पास रहेगा, उसके बाद यह दूर चला जाएगा।
- इसे पहली बार अगस्त में हवाई में स्थित पैन-स्टार्स 1 (Pan-STARRS 1) दूरबीन द्वारा देखा गया था।
- यह अर्जुन क्षुद्रग्रह वर्ग (Arjuna asteroid class) का सदस्य है। इसकी चौड़ाई केवल 62 फीट है और इसे केवल शक्तिशाली दूरबीनों से ही देखा जा सकता है।
- 2025 PN7 की कक्षा पृथ्वी की कक्षा के बहुत समान है, जिससे यह ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह पृथ्वी के पास ‘मंडरा’ रहा हो, हालांकि यह गुरुत्वाकर्षण से बंधा हुआ नहीं है।
- एक शोधकर्ता के अनुसार, 2025 PN7 पृथ्वी का सातवां ज्ञात अर्ध-उपग्रह (quasi-satellite) भी है।
अर्ध-उपग्रह (Quasi-Satellite)
- अर्ध-उपग्रह एक छोटा पिंड होता है जो किसी ग्रह के साथ 1:1 कक्षीय अनुनाद (Orbital Resonance) में होता है। यह सूर्य की परिक्रमा करता है, न कि उस ग्रह की, लेकिन फिर भी कई कक्षीय अवधियों (Orbital Periods) तक उस ग्रह के निकट बना रहता है।
अर्जुन क्षुद्रग्रह श्रेणी
- अर्जुना क्षुद्रग्रह पास-पृथ्वी वस्तुओं (Near-Earth Objects – NEOs) का एक गतिशील वर्गहैं।
- इनकी कक्षा पृथ्वी जैसी होती है, यानी इनका अर्ध-दीर्घ अक्ष (Semi-Major Axis), उत्केन्द्रता (Eccentricity), और झुकाव (Inclination) पृथ्वी के बहुत निकट होते हैं।
- यह विशेषता इन्हें लंबे समय तक पृथ्वी के पास बने रहने देती है, और कभी-कभी ये अर्ध-उपग्रह (Quasi-Satellites) या अस्थायी साथी (Temporary Companions) की तरह व्यवहार करते हैं।
- इस वर्ग में रुचि तब से बनी हुई है जब तीन दशक पहले क्षुद्रग्रह 1991 VG की खोज के साथ अर्जुना क्षुद्रग्रहों की संभावना पहली बार सामने आई थी।
- आज खगोलविद 100 से अधिक ऐसे अर्जुन क्षुद्रग्रहों को जानते हैं, जो मिलकर एक द्वितीयक क्षुद्रग्रह-पट्टी (Secondary Asteroid Belt) बनाते हैं।
कुछ उल्लेखनीय उदाहरण:
- 2014 OL339 – पृथ्वी का एक अस्थायी अर्ध-उपग्रह।
- 469219 कामोʻओलेवा (2016 HO3) – अक्सर “पृथ्वी का स्थायी साथी” कहा जाता है।
- 2025 PN7 – नवीनतम ज्ञात अर्जुन वर्ग का क्षुद्रग्रह, जिसे एक अर्ध-चंद्रमा (Quasi-Moon) के रूप में पहचाना गया है।
खोज के महत्व
- वैज्ञानिक ज्ञान में वृद्धि: इसकी उपस्थिति खगोलविदों को पृथ्वी के पास क्षुद्रग्रहों की बदलती हुई जनसंख्या को समझने में मदद करती है।
- ग्रह रक्षा को मजबूत करना: 2025 PN7 जैसे क्षुद्रग्रह, जो लंबे समय तक पृथ्वी के पास रहते हैं, ट्रैकिंग और दिशा-परिवर्तन (Deflection) रणनीतियों को परखने के लिए एक आदर्श प्रयोगस्थल प्रदान करते हैं — जैसे कि काइनेटिक इम्पैक्टर्स (Kinetic Impactors) और ग्रैविटी ट्रैक्टर्स (Gravity Tractors)।
- संसाधनों का उपयोग: 2025 PN7 जैसे अर्ध-उपग्रहों में जल-बर्फ और धातुओं जैसे मूल्यवान संसाधन हो सकते हैं, जो क्षुद्रग्रह खनन और स्थल-जनित संसाधन उपयोग (In-Situ Resource Utilization – ISRU) के लिए उपयुक्त लक्ष्य बनाते हैं — जिससे अंतरिक्ष में दीर्घकालिक मानव उपस्थिति को समर्थन मिल सकता है।
- गहरे अंतरिक्ष अभियानों के लिए एक कदम: यह जीवन-समर्थन, संसाधन उपयोग और गहरे अंतरिक्ष प्रणोदन (Propulsion) के लिए एक पास का परीक्षण स्थल बन सकता है — जिससे मानवयुक्त मंगल अभियानों और क्षुद्रग्रह पुनर्निर्देशन (Asteroid Redirection) परियोजनाओं के लिए तैयारी की जा सकती है।
पैन-स्टार्स 1 दूरबीन (Pan-STARRS 1 Telescope)
- पैन-स्टार्स 1 (PS1) दूरबीन पैन-स्टार्स परियोजना (Panoramic Survey Telescope and Rapid Response System) का एक प्रमुख हिस्सा है, जिसे विशेष रूप से पास-पृथ्वी वस्तुओं (NEOs) की खोज और निगरानी के लिए चौड़े क्षेत्र की खगोलीय इमेजिंग के उद्देश्य से डिज़ाइन किया गया है।
- यह 1.8 मीटर व्यास की दूरबीन है, जो माउई द्वीप पर हालेआकाला पर्वत की चोटी के पास स्थित है। इसमें दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल कैमरा लगा है, जिसमें लगभग 1.4 अरब पिक्सेल (1.4 billion pixels) हैं।
- यह दूरबीन कई तरंगदैर्ध्य बैंड्स (wavelength bands) में अवलोकन करती है, जिनमें दृश्यमान (visible) और निकट-अवरक्त (near-infrared) प्रकाश शामिल हैं।
- यह प्रणाली सुपरनोवा (supernovae) और अन्य अचानक होने वाली खगोलीय घटनाओं को पहचानने में सक्षम है।
- PS1 से प्राप्त डेटा बाह्य सौरमंडल की वस्तुओं — जैसे कि काइपर बेल्ट ऑब्जेक्ट्स और सेंटॉर्स — के अध्ययन में भी सहायक है।