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सामान्य अध्ययन-3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव आकलन।
संदर्भ:
हाल ही में, ऑस्ट्रेलिया ने कोआला को क्लैमाइडिया संक्रमण से बचाने के लिए विश्व के पहले टीके को मंजूरी दी।
टीके के बारे में
• ऑस्ट्रेलिया के पशु चिकित्सा नियामक ने ऑस्ट्रेलिया की प्रतिष्ठित संकटग्रस्त देशी प्रजाति कोआला को क्लैमाइडिया संक्रमण से बचाने के लिए एक टीके को मंज़ूरी दे दी है। दरअसल संक्रमण के कारण कोआला बांझपन के शिकार हो जाते हैं और उनकी मृत्यु भी हो जाती है।
• क्वींसलैंड स्थित सनशाइन कोस्ट विश्वविद्यालय द्वारा एक दशक से भी अधिक समय के शोध के बाद इस एकल-खुराक वाले टीके को विकसित किया गया है।
• कोआला की आबादी के संरक्षण में मददगार यह टीका अब वन्यजीव अस्पतालों और पशु चिकित्सालयों में लगाया जा सकता है।
• शोध से पता चला है कि इस टीके से प्रजनन आयु के दौरान कोआला में क्लैमाइडिया के लक्षण विकसित होने की संभावना कम हो गई तथा जंगली आबादी में इस रोग से होने वाली मृत्यु दर में कम से कम 65% की कमी आई।
क्लैमाइडिया संक्रमण
• क्लैमाइडियल संक्रमण यौन संचारित संक्रमण (STIs) हैं जो क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस जीवाणु के कारण होता है।
• क्लैमाइडिया से यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI), बांझपन, अंधापन हो सकता है और यहाँ तक कि यह कोआला की मृत्यु का कारण भी बन सकता है।

• इस संक्रमण के लक्षण प्रायः नहीं दिखाई देते लेकिन यह एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक हो सकता है, हालाँकि अनुपचारित संक्रमण से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।
• अन्य दबावों के साथ क्लैमाइडियोसिस में उनकी जनसंख्या में उल्लेखनीय कमी लाने की क्षमता होती है, विशेष रूप से अनुभवहीन कोआला आबादी में।
कोआला के बारे में
• कोआला (फासकोलार्कटोस सिनेरियस): यह ऑस्ट्रेलिया का स्थानिक वृक्षों पर रहने वाला धानी प्राणी है और यूकेलिप्टस के जंगलों में रहने वाले वॉम्बैट से इसका निकट संबंध है।
• उपस्थिति और अनुकूलन: मध्यम आकार, सफेद धब्बों के साथ धूसर-भूरे रंग का फर, बड़े कान, चपटी नाक, दो विपरीत अंगूठे, नुकीले पंजे, मजबूत अंग, अदृश्य पूंछ।
• आहार और व्यवहार: ये लगभग पूरी तरह से यूकेलिप्टस के पत्तों को खाते हैं, जिनमें पोषक तत्व कम होते हैं। ऊर्जा बचाने के लिए, कोआला दिन में 20 घंटे से ज़्यादा सोते हैं या निष्क्रिय रहते हैं।
• रात्रिचर: कोआला मुख्यतः रात्रिचर होते हैं, और रात में ही भोजन, संभोग और यात्रा करते हैं। दिन के समय में आमतौर पर विश्राम करते हैं और स्वयं को संवारते हैं और ज़रूरत पड़ने पर वे अच्छे तैराक भी बन जाते हैं।
• प्रजनन: उनका प्रजनन काल बसंत के अंत में होता है और उनके शिशुओं को जॉय ((joey) कहा जाता है जो 7 महीने तक माँ की थैली (marsupial pouch) में रहते हैं और फिर एक साल की उम्र तक माँ की पीठ पर सवार रहते हैं।
• संरक्षण: IUCN रेड लिस्ट में वे संवेदनशील के में सूचीबद्ध हैं और उन्हें आवास का नुकसान, वाहन टक्कर, कुत्तों के हमले जैसे खतरों का सामना करना पड़ता हैं। उनके लिए संरक्षण प्रयासों में आवास संरक्षण, पुनर्स्थापन और जागरूकता अभियानों शामिल हैं।
