संबंधित पाठ्यक्रम
सामान्य अध्ययन-1: आधुनिक काल का साहित्य, व्यक्तित्व।
संदर्भ: भारत के प्रधानमंत्री ने आचार्य विनोबा भावे को उनकी 130वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की और देश के आध्यात्मिक, सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में उनके महान योगदान का स्मरण किया|
विनोबा भावे के बारे में
• विनायक नरहर भावे को आचार्य विनोबा भावे के नाम से जाना जाता था| वे एक स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और आध्यात्मिक शिक्षक थे।

• उनका जन्म 11 सितंबर 1895 को महाराष्ट्र के गागोडे गांव में हुआ था| उनके पिता का नाम नरहरि शंभु राव और माता का नाम रुक्मिणी देवी था।
• 1916 में, उनकी मुलाकात अहमदाबाद में महात्मा गांधी से हुई और वे साबरमती आश्रम से जुड़ गए जहाँ गांधीजी ने उनका नाम विनोबा रखा।
• आश्रम में उन्होंने स्वयं को खादी, शिक्षा, स्वच्छता और ग्राम सेवा में समर्पित कर दिया।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
• 1921 में, गांधीजी ने उन्हें आश्रम की शाखा चलाने के लिए वर्धा भेजा।
• 1920 और 1930 के दशक में उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया और 1940 के दशक में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अहिंसक प्रतिरोध का नेतृत्व करने के लिए उन्हें पाँच साल का कारावास हुआ।
• महाराष्ट्र धर्म पत्रिका (1923-27) में उनके लेखन और भगवद् गीता के मराठी अनुवाद (1930-31) को वृहत स्तर पर मान्यता मिली।
• 1940 में, गांधीजी ने उन्हें व्यक्तिगत सविनय अवज्ञा अभियान के दौरान पहले व्यक्तिगत सत्याग्रही के रूप में चुना, जिससे उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली।
• 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद, विनोबा भावे सर्वोदय आंदोलन के नेता के रूप में उभरे और उन्होंने सामाजिक और नैतिक उत्थान की वकालत की।
भूदान आंदोलन
• 1951 में, तेलंगाना के दौरे के दौरान, भावे ने पोचमपल्ली में भूदान आंदोलन शुरू किया, जहाँ ग्रामीणों ने भूमिहीन दलितों को 100 एकड़ ज़मीन दान में दी।
• 1951 और 1964 के बीच, उन्होंने पूरे भारत में 65,000 किलोमीटर की पैदल यात्रा की और लगभग 48 लाख एकड़ ज़मीन एकत्र की, जिसमें से लगभग 25 लाख एकड़ ज़मीन का वितरण किया गया।
• बाद में उन्होंने इस विचार का ग्रामदान (पूरे गाँवों का स्वैच्छिक दान) तक विस्तार किया।
मान्यता और पुरस्कार
• 1958 में विनोबा सामुदायिक नेतृत्व के लिए पहले अंतर्राष्ट्रीय रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति थे।
• उन्हें 1983 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
• उनके नाम पर झारखंड राज्य के हजारीबाग जिले में विनोबा भावे विश्वविद्यालय है।
विचारधारा और बाद का जीवन
• विनोबा भावे ने सामाजिक जीवन में अहिंसा, आत्मनिर्भरता, करुणा और आध्यात्मिक परिवर्तन की निरंतर वकालत की।
• 1970 के दशक के मध्य में, उन्होंने इंदिरा गांधी के आपातकाल का विवादास्पद रूप से समर्थन किया और इसे अनुशासन पर्व (अनुशासन का समय) कहा।
• उन्होंने अपने अंतिम वर्ष वर्धा के पवनार आश्रम में बिताए और 15 नवंबर 1982 को कुछ दिनों तक भोजन व दवा न लेने और जैन धर्म में वर्णित “समाधि मरण” / “संथारा” स्वीकार करने के उपरांत उनकी मृत्यु हो गई।
विनोबा भावे की पुस्तकें और रचनाएँ
• अनुवाद और टीकाएँ
- गीतई (भगवद गीता का मराठी पद्य अनुवाद)
- गीता प्रवचने (जेल में गीता पर वार्ता)
- स्थितप्रज्ञ दर्शन
- ईशावास्यवृत्ति
- ज्ञानदेवांची भजने
- गीतई चिंतनिका
• सामाजिक और राजनीतिक विचार
- स्वराज्य शास्त्र
- विचार पोथी
- महाराष्ट्र धर्म (पत्रिका)
• धर्मों का सार
- कुरान का सार
- ईसाई शिक्षाओं का सार
- पुनर्व्यवस्थित धम्मपद
- प्रमुख भारतीय संतों और आदि शंकराचार्य का तुलनात्मक अध्ययन।
संबंधित मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न
प्रश्न: “विनोबा भावे ने गांधीजी के सर्वोदय के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाया और उसे भूदान और ग्रामदान जैसे व्यावहारिक आंदोलनों में परिवर्तित किया”। भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में विनोबा भावे के योगदान के महत्व का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।