भारत का पहला SAPIEN 3 अल्ट्रा रेसिलिया वाल्व
संदर्भ: हाल ही में, अपोलो हॉस्पिटल्स, चेन्नई ने देश में पहली बार एडवर्ड्स सैपियन 3 अल्ट्रा रेसिलिया ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व (TAVI) का प्रत्यारोपण करके एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की।
एडवर्ड्स सैपियन 3 अल्ट्रा रेसिलिया के बारे में

- यह पाँचवीं पीढ़ी का ट्रांसकैथेटर हार्ट वाल्व है, जिसे बिना ओपन-हार्ट सर्जरी के विफल हो रहे एओर्टिक वाल्वों को बदलने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- ट्रांसकैथेटर’ से तात्पर्य कम घातक चिकित्सा प्रक्रियाओं से है, जैसे कि ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (TAVR)| ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट प्रक्रिया में उपकरण या दवा को एक पतली, लचीली ट्यूब (कैथेटर) के माध्यम से शरीर के भीतर, जैसे हृदय तक पहुंचाया जाता है। यह ट्यूब रक्त वाहिका के जरिये डाली जाती है और इमेजिंग तकनीक की मदद से लक्ष्य स्थान तक पहुँचाई जाती है। इस प्रक्रिया से ओपन-हार्ट सर्जरी जैसी बड़ी सर्जरी से बचा जा सकता है।
- ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (TAVR) एक कम घातक प्रक्रिया है, जिसमें कैथेटर का उपयोग करके रोगग्रस्त या निष्क्रिय एओर्टिक वाल्व को नए वाल्व से बदला जाता है।
- मामले की पृष्ठभूमि: गंभीर कैल्सीफिक ट्राइकसपिड एओर्टिक स्टेनोसिस और पहले से स्टेंट प्रत्यारोपण से पीड़ित 70 वर्षीय रोगी के लिए ओपन-हार्ट सर्जरी जोखिमपूर्ण थी।
- प्रौद्योगिकी प्रदाता: यह वाल्व एडवर्ड्स लाइफसाइंसेज द्वारा बनाया गया है और यह बैलून-एक्सपेंडेबल THVs के SAPIEN परिवार की नवीनतम पांचवीं पीढ़ी है।
- रेसिलिया ऊतक प्रौद्योगिकी: इसमें कैल्शियम जमाव को कम करने के लिए विशेष एंटी-कैल्सीफिकेशन प्रक्रिया से उपचारित गोजातीय (गाय के) पेरीकार्डियल ऊतक का उपयोग किया जाता है, जिससे वाल्व के स्थायित्व और दीर्घकालिक कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।
यह कैसे काम करता है?
- SAPIEN 3 ट्रांसकैथेटर हृदय वाल्व (THV) को एक बैलून कैथेटर पर लगाया जाता है, जिसे ऊरु की शिरा (फेमोरल वेन) के माध्यम से संवहनी प्रणाली में डालकर रोगग्रस्त एओर्टिक वाल्व तक पहुंचाया जाता है।”
- बैलून को फुलाया जाता है, जिससे नई वाल्व फैलती है और खराब हो चुकी वाल्व के स्थान पर मजबूती से स्थापित हो जाती है। एक बार सही स्थान पर स्थापित हो जाने के बाद, नई वाल्व बेहतर तरीके से खुलती और बंद होती है, जिससे रक्त का प्रवाह सही दिशा में बना रहता है।
एडवर्ड्स सैपियन 3 अल्ट्रा रेसिलिया वाल्व की मुख्य विशेषताएं
- कम जोखिम: कम घातक प्रक्रिया, ओपन-हार्ट सर्जरी की कम आवश्यकता पड़ती है।
- स्थायित्व: कैल्शिफिकेशन का प्रतिरोध करने और प्रतिस्थापन वाल्व की दीर्घकालिक कार्यक्षमता सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- दीर्घकालिक कार्यक्षमता: यह प्रक्रियाओं को दोहराने की आवश्यकता को कम करता है, जिससे दीर्घकालिक रोगी देखभाल में सुधार होता है।
- सुरक्षित विकल्प: यह एओर्टिक स्टेनोसिस से गंभीर रूप से जूझ रहे रोगियों के लिए एक सुरक्षित विकल्प है।
मेथेनडिएनोन लॉन्ग टर्म मेटाबोलाइट
संदर्भ: हाल ही में भारत ने खेलों में उन्नत वैश्विक एंटी-डोपिंग परीक्षण के लिए एक दुर्लभ उच्च शुद्धता वाली संदर्भ सामग्री ‘मेथेनडिएनोन लॉन्ग टर्म मेटाबोलाइट’ विकसित की।
संदर्भ सामग्री
संदर्भ सामग्रियां (Reference Material) औषधि पदार्थों या उनके मेटाबोलाइट्स के अत्यधिक शुद्ध, सुस्पष्ट रूप हैं, जिनका उपयोग विश्लेषणात्मक औषधि परीक्षण में सटीकता सुनिश्चित करने के लिए मानक के रूप में किया जाता है।
- ये 450 से अधिक पदार्थों का पता लगाने के लिए एंटी-डोपिंग परीक्षण में महत्वपूर्ण हैं, जो वर्तमान में विश्व एंटी-डोपिंग एजेंसी (WADA) द्वारा प्रतिबंधित हैं।
मेथेनडिएनोन लॉन्ग टर्म मेटाबोलाइट के बारे में
- मेथेनडिएनोन एक एनाबॉलिक स्टेरॉयड है जिसका अक्सर एथलीटों द्वारा दुरुपयोग किया जाता है। इसमें एक दीर्घकालिक मेटाबोलाइट (LTM) होता है जो मूत्र में लंबे समय तक रहता है, जिससे डोपिंग का प्रभावी तौर पर पता लगाना संभव हो जाता है।
- राष्ट्रीय औषधि शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (NIPER) गुवाहाटी और राष्ट्रीय डोप परीक्षण प्रयोगशाला (NDTL) ने मेथेनडिएनोन लॉन्ग टर्म मेटाबोलाइट का संश्लेषण किया है, जो वर्तमान में दुनिया भर में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध नहीं है।
- ये मेटाबोलाइट्स उन एथलीटों की पहचान करने में मदद करते हैं जिन्होंने मेथेनडिएनोन का उपयोग किया था, भले ही उन्होंने परीक्षण से महीनों या वर्षों पहले इसका उपयोग बंद कर दिया हो।
मेथेनडिएनोन लॉन्ग टर्म मेटाबोलाइट (LTM) का महत्त्व
- एलटीएम पदार्थ के सेवन के महीनों या वर्षों बाद भी डोपिंग का पता लगाने में मदद करता है।
- एलटीएम विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (WADA) के मानकों के अनुरूप वैश्विक डोपिंग रोधी तंत्र को सुदृढ़ करता है।
- यह स्वच्छ एथलीटों की सुरक्षा और स्टेरॉयड के दुरुपयोग को रोककर निष्पक्ष खेल में योगदान देता है।
- यह संदर्भ सामग्री की सीमित वैश्विक आपूर्ति में भारत को एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में स्थापित करता है।
चांदी के आभूषणों और वस्तुओं के लिए HUID-आधारित हॉलमार्किंग
संदर्भ: उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने स्वैच्छिक आधार पर चांदी के आभूषणों और वस्तुओं के लिए विशिष्ट पहचान-आधारित (HUID) हॉलमार्किंग शुरू करने की घोषणा की है, जो 1 सितंबर, 2025 से प्रभावी होगी।
अन्य संबंधित जानकारी

- इस निर्णय का उद्देश्य उपभोक्ताओं को खरीदारी करते समय चांदी की शुद्धता सुनिश्चित करने में मदद करना है।
- भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने अक्टूबर 2005 में IS 2112 के तहत चांदी के आभूषणों की स्वैच्छिक हॉलमार्किंग शुरू की थी। तब से मानकों को संशोधित किया गया है, IS 2112:2014 को IS 2112:2025 से प्रतिस्थापित किया गया है।
- नई प्रणाली HUID-आधारित हॉलमार्किंग की शुरुआत करती है, जिससे ट्रेसेबिलिटी बढ़ती है और चांदी की हॉलमार्किंग को सोने की हॉलमार्किंग प्रणाली के साथ संरेखित किया जाता है।
- वर्तमान में, भारत के 87 जिलों में लगभग 230 बीआईएस-मान्यता प्राप्त परख और हॉलमार्किंग केंद्र (AHCs) कार्यरत हैं।
हॉलमार्किंग विशेषताएँ
- IS 2112:2025 के अंतर्गत, हॉलमार्क में तीन घटक होते हैं:
- “SILVER” शब्द के साथ बीआईएस मानक चिह्न
- शुद्धता ग्रेड
- HUID कोड
- चांदी के आभूषणों को अब सात शुद्धता ग्रेड में हॉलमार्क किया जा सकता है: 800, 835, 900, 925, 958, 970, 990 और 999 (958 और 999 नए जोड़े गए हैं)।
- उपभोक्ता बीआईएस केयर ऐप के माध्यम से हॉलमार्क वाली चांदी की वस्तुओं का विवरण सत्यापित कर सकते हैं, जिसमें शामिल हैं:
- वस्तु का प्रकार
- शुद्धता ग्रेड/उत्तमता
- हॉलमार्किंग की तिथि (पहला पॉइंट ऑफ सेल)
- परख एवं हॉलमार्किंग केंद्र (AHC) का विवरण – मान्यता संख्या, नाम और पता
- आभूषण विक्रेता का पंजीकरण क्रमांक
TEC द्वारा प्रमाणित भारत की पहली स्वदेशी-चिप दूरसंचार प्रणाली
संदर्भ: गौरतलब है कि घरेलू स्तर पर विनिर्मित चिप द्वारा संचालित एक दूरसंचार प्रणाली को दूरसंचार इंजीनियरिंग केंद्र (TEC) प्रमाणन प्राप्त हुआ है।
TEC प्रमाणन के बारे में
- यह प्रमाणन दूरसंचार विभाग (DoT), संचार मंत्रालय के अंतर्गत दूरसंचार इंजीनियरिंग केंद्र (TEC) द्वारा दिया जाता है।
- यह दूरसंचार उत्पादों और प्रणालियों के लिए एक आधिकारिक अनुमोदन के रूप में कार्य करता है और गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रदर्शन मानकों के मामले में उनके अनुपालन की पुष्टि करता है।
- यह भारत में दूरसंचार उपकरणों की विश्वसनीय तैनाती सुनिश्चित करता है और घरेलू स्तर पर विकसित दूरसंचार और अर्धचालक-आधारित प्रणालियों में विश्वास को मजबूती प्रदान करता है।
विकास का महत्व
- अपनी तरह की पहली: भारत में निर्मित चिप पर चलने वाली एक दूरसंचार प्रणाली ने टीईसी मानकों को पूरा किया।
- तकनीकी आत्मनिर्भरता: आयातित सेमीकंडक्टर तकनीक पर निर्भरता कम करने के भारत के प्रयासों को बल मिला।
- वैश्विक स्थिति: वैश्विक दूरसंचार और इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम में भारत को एक विश्वसनीय खिलाड़ी के रूप में स्थापित करता है।
- सेमीकंडक्टर मिशन को बढ़ावा: चिप-आधारित प्रणालियों को डिज़ाइन, परीक्षण और प्रमाणित करने की भारत की क्षमता में विश्वास को बल मिलता है।
भारत की पहली बंदरगाह-आधारित हरित हाइड्रोजन पायलट परियोजना
संदर्भ: हाल ही में, केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री (MoPSW) ने वी.ओ. चिदंबरनार (VOC) बंदरगाह पर भारत की पहली बंदरगाह-आधारित हरित हाइड्रोजन पायलट परियोजना का उद्घाटन किया, जो भारत के स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण की दिशा में उल्लेखनीय कदम है।
वीओसी बंदरगाह आधारित हरित हाइड्रोजन परियोजना के बारे में
- वी.ओ. चिदंबरनार बंदरगाह तमिलनाडु के थूथुकुडी (तूतीकोरिन) में स्थित है और यह भारत के 13 प्रमुख बंदरगाहों में से एक है। यह बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट पर एक रणनीतिक समुद्री केंद्र है।
- पूर्व में इसे तूतीकोरिन बंदरगाह के नाम से जाना जाता था; 2011 में वी.ओ. चिदंबरनार के सम्मान में इसका पुनः नामकरण किया गया।
- यह 10 Nm³/hr की पायलट हरित हाइड्रोजन सुविधा है, जिसका निर्माण 3.87 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। इसे वी.ओ. चिदंबरनार बंदरगाह पर स्थापित किया गया है।
- यह संयंत्र बंदरगाह कॉलोनी में स्ट्रीट लाइटों और ईवी चार्जिंग स्टेशनों को बिजली प्रदान करेगा, जिससे वीओसी पोर्ट भारत में हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने वाला पहला बंदरगाह बन जाएगा।
- मंत्री ने एक पायलट ग्रीन मेथनॉल बंकरिंग और ईंधन भरने की सुविधा की भी आधारशिला रखी।
परियोजना का महत्व
- यह परियोजना भारत के 2030 तक दुनिया के शीर्ष 10 जहाज निर्माण देशों में और 2047 तक शीर्ष पांच देशों में शामिल होने के लक्ष्य के अनुरूप है।
- इस पहल से वीओसी बंदरगाह को दक्षिण भारत में एक प्रमुख हरित बंकरिंग केंद्र के रूप में स्थापित किए जाने का अनुमान है।
वी.ओ. चिदंबरनार के बारे में
- वी. ओ. चिदंबरम पिल्लई एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, वकील और व्यवसायी थे, जिन्हें “कप्पलोट्टिया तमिज़हन” (तमिल कर्णधार) के नाम से जाना जाता था।
- वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और स्वदेशी आंदोलन के कट्टर समर्थक थे।
- उन्होंने तूतीकोरिन (ब्रिटिश भारत में) और कोलंबो (श्रीलंका) के बीच शिपिंग पर ब्रिटिश एकाधिकार को चुनौती देने के लिए 1906 में स्वदेशी स्टीम नेविगेशन कंपनी की स्थापना की।