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सामान्य अध्ययन 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव आकलन।

संदर्भ: 

हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने नए वन (संरक्षण एवं संवर्धन) संशोधन नियम, 2025 या वन संरक्षण संशोधन (FCA) नियम, 2025 अधिसूचित किए।

नियमों की मुख्य विशेषताएँ

यह नवीनतम वन संरक्षण संशोधन अधिसूचना कुछ पूर्ववर्ती वन संरक्षण संशोधन नियमों में संशोधन करती है, जो 2023 से प्रभावी होगी। इसका उद्देश्य वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2023 को प्रभावी रूप से लागू करना है।

नियमों का अनुप्रयोग: ये नियम खान और खनन (विकास और विनियमन) अधिनियम की पहली अनुसूची में सूचीबद्ध महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों, और सातवीं अनुसूची और परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 के अंतर्गत सूचीबद्ध खनिजों पर लागू होते हैं।

वन भूमि परिवर्तन की परिभाषा: अधिसूचना में वन भूमि व्यपवर्तन (diversion) की परिभाषा को अद्यतन किया गया है। इसके तहत, राज्य सरकारें अब चरण-I (सैद्धांतिक) अनुमोदन के बाद प्रारंभिक संसाधन जुटाने और प्रारंभिक कार्यों के लिए ‘कार्य अनुमति’ प्रदान कर सकती हैं। यह प्रावधान विशेष रूप से रैखिक परियोजनाओं जैसे सड़क निर्माण, रेलवे लाइन बिछाने तथा ट्रांसमिशन लाइन की स्थापना आदि के लिए लागू होगा।

  • पूर्व की प्रक्रिया के अनुसार, राज्य सरकारें केवल सैद्धांतिक (चरण-I) अनुमोदन प्राप्त करने के बाद ही किसी परियोजना के लिए संसाधनों का प्रबंधन या जुटाव कर सकती थीं।
  • अब, ‘कार्य अनुमति’ की व्यवस्था के अंतर्गत, रैखिक परियोजनाओं (जैसे सड़क, रेलवे, ट्रांसमिशन लाइन आदि) को चरण-I अनुमोदन के बाद प्रारंभिक कार्य शुरू करने की अनुमति दी जा सकती है। हालांकि, इसमें तब तक सड़क का डामरीकरण, रेलवे लाइन बिछाना, या ट्रांसमिशन लाइन को चार्ज करने जैसे कार्य शामिल नहीं होंगे, जब तक कि केंद्र सरकार द्वारा विशेष रूप से अनुमति न दी जाए।

प्रतिपूरक वनरोपण भूमि से संबंधित नियम: 

सैद्धांतिक अनुमोदन की वैधता: अब चरण-I (सैद्धांतिक) अनुमोदन की वैधता को 2 वर्ष से बढ़ाकर 5 वर्ष कर दिया गया है, जिससे परियोजना निष्पादन में अधिक समय और लचीलापन सुनिश्चित हो सके।

परियोजना की प्रकृति: रक्षा, सामरिक, राष्ट्रीय महत्व अथवा तत्काल जनहित से जुड़ी परियोजनाओं को ऑफ़लाइन माध्यम से पूर्व अनुमोदन प्राप्त करने की अनुमति दी जा सकती है, ताकि इनकी शीघ्र स्वीकृति सुनिश्चित की जा सके।

प्रतिपूरक वनरोपण भूमि से संबंधित नियम:

  • नए नियमों के अंतर्गत क्षरितआरक्षित वनों को अब प्रतिपूरक वनीकरण अनुपालन के रूप में उपयोग करने की अनुमति दी जा सकती है।
  • वनरोपण के लिए भूमि चरण-II अनुमोदन से पहले वन विभाग को हस्तांतरित किया जाना अनिवार्य है। इसके लिए राज्य/केंद्र शासित प्रदेश प्रमुख वन अधिकारी ऐसी भूमि को अधिसूचित करने के लिए अधिकृत होंगे।
  • खनन पट्टों के नवीनीकरण की स्थिति में, यदि पहले प्रतिपूरक वनरोपण नहीं किया गया है, तो यह अनिवार्य होगा। हालांकि, सतही अधिकारों के बिना भूमिगत खनन की स्थिति में इसकी आवश्यकता नहीं होगी।

अपराधों से निपटने के लिए रूपरेखा: 

  • प्रभागीय वन अधिकारी तथा सहायक वन महानिरीक्षक या उनसे उच्च पदस्थ अधिकारी को अदालत में शिकायत दर्ज करने हेतु अधिकृत किया गया है।
  • क्षेत्रीय कार्यालयों को किसी भी उल्लंघन की जानकारी 45 दिनों के भीतर संबंधित राज्य सरकार को भेजनी होगी। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकारों को समय-समय पर अनुपालन रिपोर्ट भेजनी आवश्यक होगी।

महत्वपूर्ण खनिजों का खनन: महत्वपूर्ण खनिजों के खनन हेतु विशेष प्रावधान किए गए हैं, जिसमें लचीलापन और दक्षता बढ़ाने के लिए न्यूनतम भूमि उपयोग अवधि को 20 वर्ष से घटाकर 10 वर्ष कर दिया गया है।

नए नियमों का महत्त्व

  • सुचारू परियोजना अनुमोदन: चरण-I अनुमोदन के बाद कुछ रैखिक परियोजनाओं के लिए कार्य अनुमति प्रदान करके, ये नियम नियामक निगरानी बनाए रखते हुए बुनियादी ढाँचे के विकास को गति प्रदान करते हैं।
  • महत्वपूर्ण खनिजों और रणनीतिक आवश्यकताओं के लिए समर्थन: महत्वपूर्ण खनिजों के खनन और रक्षा/रणनीतिक परियोजनाओं के लिए विशेष प्रावधान ऊर्जा परिवर्तन और सुरक्षा जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ पारिस्थितिक सुरक्षा उपायों को संतुलित करते हैं।
  • अनुमोदन वैधता का विस्तार: चरण-I अनुमोदन वैधता को 2 से 5 वर्ष तक बढ़ाने से वृहत स्तरीय परियोजनाओं के लिए अधिक यथार्थवादी समय-सीमा उपलब्ध होती है, जिससे प्रक्रियात्मक खामियों के कारण होने वाली देरी कम होती है।
  • प्रतिपूरक वनीकरण में स्पष्टता: क्षरित वन भूमि उपयोग के लिए शर्तें निर्दिष्ट करके और चरण-II अनुमोदन से पहले भूमि हस्तांतरण को अनिवार्य बनाकर, नियमों का उद्देश्य प्रतिपूरक वनरोपण पद्धतियों में अधिक स्थिरता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है।

वन संरक्षण अधिनियम, 1980

  • यह वनों के संरक्षण का प्रावधान करता है और केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति के बिना वन भूमि को गैर-वन उद्देश्यों के लिए उपयोग करने पर प्रतिबंध लगाता है।
  • इसका मुख्य उद्देश्य वनों की कटाई पर अंकुश लगाना और विकास तथा भारत की समृद्ध जैव विविधता एवं प्राकृतिक विरासत के संरक्षण की आवश्यकता के बीच संतुलन स्थापित करना है।
  • यह अधिनियम किसी भी वन भूमि के लिए प्रतिपूरक वनीकरण को अनिवार्य बनाता है, साथ ही स्थायी वन प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए अन्य शर्तें और दिशानिर्देश भी निर्धारित करता है।

स्रोत:

https://www.newindianexpress.com/nation/2025/Sep/02/moefccs-new-notification-dilutes-forest-conservation-act-afforestation-rules https://theprint.in/india/new-forest-rules-permit-linear-projects-to-begin-before-final-clearance-recognise-critical-minerals/2734453/ https://www.teamleaseregtech.com/updates/article/46100/van-sanrakshan-evam-samvardhan-amendment-rules-2025/#:~:text=The%20Ministry%20of%20Environment%2C%20Forest,Evam%20Samvardhan)%20Rules%2C%202023

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