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सामान्य अध्ययन-1: भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएँ, भारत की विविधता।

संदर्भ: हाल ही में राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा महिला सुरक्षा पर राष्ट्रीय वार्षिक रिपोर्ट और सूचकांक (NARI), 2025 जारी किया गया।

सूचकांक के बारे में 

  • यह सूचकांक शहरी परिदृश्य में महिलाओं की सुरक्षा का आकलन कर उसी आधार पर रैंक देता है। इसे पहली बार 2023 में जारी किया गया था।
  • NARI सूचकांक नॉर्थकैप यूनिवर्सिटी और जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल द्वारा विकसित किया गया है और इसे बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों के समूह (GIA) द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
  • यह राष्ट्रव्यापी सूचकांक 31 शहरों की 12,770 महिलाओं पर किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है और प्रत्येक शहर को राष्ट्रीय सुरक्षा स्कोर 65% के सापेक्ष एक सुरक्षा स्कोर प्रदान करता है।
  • यह सूचकांक शहरों को इस मानक से “काफी ऊपर”, “ऊपर”, “नीचे” या “काफी नीचे” के रूप में वर्गीकृत करता है।

मुख्य बिंदु

  • सबसे सुरक्षित शहर: कोहिमा, विशाखापत्तनम, भुवनेश्वर, आइजोल, गंगटोक, ईटानगर और मुंबई। ये उच्च लैंगिक समानता, नागरिक भागीदारी, पुलिस व्यवस्था और महिला-अनुकूल बुनियादी ढाँचे से जुड़े थे।
  • सबसे कम सुरक्षित शहर: पटना, जयपुर, फरीदाबाद, दिल्ली, कोलकाता, श्रीनगर और रांची। ये कमज़ोर बुनियादी ढाँचे, पितृसत्तात्मक मानदंडों या कमज़ोर संस्थागत जवाबदेही से जुड़े थे।
  • कुल मिलाकर महिलाएं सुरक्षित महसूस कर रही हैं: सर्वेक्षण में शामिल दस में से छह महिलाओं ने अपने शहर में “सुरक्षित” महसूस किया, लेकिन 40% ने अभी भी स्वयं को “इतना सुरक्षित नहीं” या “असुरक्षित” माना।
    अध्ययन से पता चला कि रात्रि के संदर्भ में महिलाओं सुरक्षा की धारणा में बदलाव आया है, विशेष रूप से वे सार्वजनिक परिवहन और मनोरंजन स्थलों में असुरक्षित महसूस करती हैं।
  • 2024 में उत्पीड़न: 2024 में 7% महिलाओं ने सार्वजनिक स्थानों पर उत्पीड़न का सामना किया और अब यह आँकड़ा दोगुना होकर 14% हो गया है। इनमें भी 18-24 वर्ष की आयु की महिलाओं को उत्पीड़न का सबसे अधिक खतरा है।
  • उत्पीड़न के हॉटस्पॉट: आस-पड़ोस (38%) और सार्वजनिक परिवहन (29%) को सबसे अधिक बार उत्पीड़न के हॉटस्पॉट के रूप में चिह्नित किया गया।
  • अधिकारियों पर भरोसा: केवल 25 प्रतिशत लोग ही उत्पीड़न के खिलाब प्रभावी कार्रवाई के प्रति आश्वस्त थे, जबकि 69% ने कहा कि वर्तमान सुरक्षा प्रयास कुछ हद तक हि पर्याप्त थे, 30% से अधिक लोगों ने प्रयासों में गंभीर कमियों या विफलताओं का उल्लेख किया; केवल 65% ने ही 2023-2024 के दौरान वास्तविक सुधार की उम्मीद जताई।
  • रिपोर्ट करने की दर: दो-तिहाई महिलाएं उत्पीड़न की रिपोर्ट नहीं करतीं।
  • शैक्षणिक संस्थान: 86% महिलाएं सुरक्षित महसूस करती हैं, खासकर दिन के उजाले में, लेकिन रात में या परिसर के बाहर सुरक्षा संबंधी उनकी धारणा विफल हो जाती है।
  • कार्यस्थल पर सुरक्षा: लगभग 91% महिलाओं ने सुरक्षित महसूस किया, 53% ने इस प्रश्न का स्पष्ट उत्तर नहीं दिया कि उनके कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम (POSH) नीति है या नहीं; जिन महिलाओं के कार्यस्थल में ऐसी नीतियां थीं, उन्होंने उन नीतियों को प्रभावी बताया।
  • मौखिक उत्पीड़न: यह उत्पीड़न का सबसे आम (58%) रूप था, जबकि शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, आर्थिक और यौन उत्पीड़न बहुत कम दर्ज किया गया।

स्रोत:
New Indian Express
Hindustan Times

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