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सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3: देश के विभिन्न भागों में प्रमुख फसलें, फसल पैटर्न, विभिन्न प्रकार की सिंचाई और सिंचाई प्रणालियाँ, कृषि उपज का भंडारण, परिवहन और विपणन तथा मुद्दे और संबंधित बाधाएँ; किसानों की सहायता के लिए ई-प्रौद्योगिकी
संदर्भ:
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2025-26 से शुरू होकर 100 जिलों को कवर करने के लिए छह साल की अवधि के लिए “प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना” को मंजूरी दी।
अन्य संबंधित जानकारी
- प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना नीति आयोग के आकांक्षी जिला कार्यक्रम से प्रेरित है और यह अपनी तरह की पहली योजना है, जो विशेष रूप से कृषि और संबद्ध क्षेत्रों पर केंद्रित है।
- यह योजना 11 विभागों की 36 मौजूदा योजनाओं, अन्य राज्य योजनाओं और निजी क्षेत्र के साथ स्थानीय साझेदारी के अभिसरण के माध्यम से कार्यान्वित की जाएगी।
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PM-DDKY)
- इस योजना का उद्देश्य कृषि उत्पादकता को बढ़ाना, फसल विविधीकरण और सतत कृषि पद्धतियों को अपनाने को प्रोत्साहित करना, पंचायत और ब्लॉक स्तर पर फसल कटाई के बाद भंडारण को बढ़ाना, सिंचाई सुविधाओं में सुधार करना और दीर्घकालिक व अल्पकालिक ऋण की उपलब्धता को आसान बनाना है।
- 100 जिलों की पहचान तीन प्रमुख संकेतकों के आधार पर की जाएगी:
1. कम उत्पादकता
2. कम फसल विविधता (Cropping Intensity)
3. कम ऋण वितरण - प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में चयनित जिलों की संख्या, शुद्ध फसली क्षेत्र (Net Cropped Area) और संचालित जोतों (Operational Holdings) के अनुपात पर आधारित होगी। हालांकि, हर राज्य से कम से कम एक जिला चुना जाएगा।
योजना और कार्यान्वयन

- प्रधानमंत्री धन धान्य योजना (PMDDKY) के क्रियान्वयन के लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा, जिसमें कृषि और उससे संबद्ध गतिविधियाँ शामिल होंगी, और यह प्रत्येक जिले के लिए विशेष रूप से बनाया जाएगा।
- इस जिला कृषि एवं संबद्ध गतिविधि योजना को जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित जिला धन-धान्य समिति द्वारा अंतिम रूप दिया जाएगा। इस समिति में प्रगतिशील किसान भी सदस्य होंगे।
- जिला स्तरीय योजनाओं को फसल विविधीकरण, जल और मृदा स्वास्थ्य संरक्षण, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता, तथा प्राकृतिक और जैविक खेती के राष्ट्रीय लक्ष्यों से जोड़ा जाएगा।
- ये योजनाएँ विस्तृत परामर्श, फसल चक्र और कृषि-जलवायु परिस्थितियों के अनुसार कृषि और संबद्ध गतिविधियों की समझ पर आधारित होंगी।
- योजना के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समितियाँ गठित की जाएंगी।
- फील्ड विज़िट, समीक्षा और निगरानी के लिए केंद्रीय नोडल अधिकारी (CNO) नियुक्त किए जाएंगे।
- प्रत्येक जिले में एक केंद्रीय या राज्य कृषि विश्वविद्यालय को तकनीकी ज्ञान सहयोगी (technical knowledge partner) के रूप में जोड़ा जाएगा।
- नीति आयोग इस योजना को “समग्र मार्गदर्शन एवं क्षमता निर्माण” सहायता प्रदान करेगा, क्योंकि यह योजना आकांक्षी जिलों कार्यक्रम (Aspirational Districts Programme – ADP) की तर्ज पर तैयार की गई है।
- योजना की प्रगति की हर ‘धन-धान्य जिला’ में 117 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों (Key Performance Indicators – KPIs) के आधार पर एक डैशबोर्ड के माध्यम से मासिक निगरानी की जाएगी।
उद्देश्य
- सरकार के अनुसार, कार्यक्रम के पांच उद्देश्य हैं:
- कृषि उत्पादकता में वृद्धि
- फसल विविधीकरण और संधारणीय कृषि पद्धतियों को अपनाना
- पंचायत और ब्लॉक स्तर पर कटाई के बाद भंडारण को बढ़ाना
- सिंचाई सुविधाओं में सुधार
- दीर्घकालिक और अल्पकालिक ऋण की उपलब्धता को सुगम बनाना।
PMDDKY जिलों का चयन
- 100 जिलों का चयन तीन मापदंडों – कम उत्पादकता, मध्यम फसल सघनता और औसत से कम ऋण मापदंडों के आधार पर किया जाएगा।
- फसल सघनता इस बात का माप है कि भूमि का उपयोग कितनी दक्षता से किया जाता है। इसे कुल बोए गए क्षेत्रफल और कुल बोए गए क्षेत्रफल के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में ज़िलों की संख्या शुद्ध फ़सलीय क्षेत्र और प्रचालन योग्य जोतों के हिस्से पर आधारित होगी। हालाँकि, प्रत्येक राज्य से कम से कम एक ज़िला चुना जाएगा।