संबंधित पाठ्यक्रम सामान्य अध्ययन-3: पर्यावरण
संदर्भ:
हाल ही में , केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत ने स्थापित सौर क्षमता में 4,000% की वृद्धि हासिल की है।
अन्य संबंधित जानकारी
- भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता अब 227 गीगावॉट तक पहुँच गई है।
- भारत संभवतः पहला G20 देश होगा जिसने पेरिस समझौते के तहत अपने राष्ट्रीय रूप से निर्धारित योगदान (NDCs) को पूर्ण कर लिया है।
- जम्मू-कश्मीर का पाली गांव सौर ऊर्जा का उपयोग करने वाला भारत का पहला कार्बन न्यूट्रल पंचायत बन गया है।
- इसके अलावा, यशोभूमि नामक स्थान जहाँ इंडिया एनर्जी स्टोरेज वीक (IESW) का आयोजन हुआ था, संधारणीयता का एक अच्छा उदाहरण है। इसकी छत पर सौर पैनल, अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र और ऊर्जा दक्ष अवसंरचना है।
भारत की नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में प्रगति
- पिछले एक दशक में भारत की सोलर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल निर्माण क्षमता में 38 गुना, और फोटोवोल्टिक सेल्स निर्माण क्षमता में 21 गुना वृद्धि हुई है।
- भारत ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के NDC के तहत 2030 तक 500 गीगावाट स्थापित गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
- वर्तमान में गैर-जीवाश्म स्रोतों से 235.7 GW (लगभग 49%) ऊर्जा प्राप्त की जा रही है, जिसमें 226.9 GW नवीकरणीय ऊर्जा तथा 8.8 GW परमाणु ऊर्जा है।
- प्रधानमंत्री कुसुम योजना किसानों को सौर पंपों के उपयोग को बढ़ावा देकर सहायता प्रदान करती है और प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना का उद्देश्य 1 करोड़ घरों में सोलर रूफटॉप पैनल लगाना है।
- ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के अंतर्गत भारत का उद्देश्य 10 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना है और इसके लिए 60 से 100 गीगावाट तक की इलेक्ट्रोलाइज़र क्षमता स्थापित करना है।
भविष्य की आधारशिला: बैटरी, स्टोरेज और नवाचार
- भारत की भावी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बैटरियाँ, पंप स्टोरेज, जल भंडारण और भूतापीय ऊर्जा जैसी स्टोरेज तकनीकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- भारत की बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली की वर्तमान क्षमता केवल 205 मेगावाट (MW) या लगभग 506 मेगावाट-घंटे (MWh) है, जो अपेक्षाकृत कम मानी जाती है।
- हालांकि, भारत का लक्ष्य है कि 2026–27 से शुरुआत करते हुए 2031–32 तक इस क्षमता को बढ़ाकर लगभग 74 गीगावाट (GW) किया जाए।
- सरकार ने उन्नत रसायन सेल (ACC) के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) कार्यक्रम शुरू किया।
- हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उन्नत बैटरी रसायन, सॉलिड-स्टेट एवं हाइब्रिड स्टोरेज प्रौद्योगिकियों और चक्रीय आपूर्ति शृंखलाओं पर अनुसंधान के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के नवाचार कोष को मंजूरी दी।
सतत विकास के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुदृढ़ करना
- भारत को चार-आयामी दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करना होगा:
- लक्षित नवाचार
- आधारभूत संरचना का विकास
- आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन
- समग्र मूल्य शृंखला का विकास
- ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि हम विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों पर निर्भरता को कम करें और नई प्रौद्योगिकियों को अपनाएँ।
- एक मजबूत और आत्मनिर्भर स्वच्छ ऊर्जा प्रणाली के निर्माण के लिए हमें कच्चे माल, अर्धचालक, प्रबंधन प्रणालियाँ और पुनर्चक्रण जैसे सभी घटकों को कवर करना होगा।
- इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उद्योग जगत, अनुसंधानकर्ता एवं नीति-निर्माताओं के बीच सशक्त साझेदारी की आवश्यकता है।
इंडिया एनर्जी स्टोरेज वीक: नेट ज़ीरो की दिशा में एक कदम
- इंडिया एनर्जी स्टोरेज वीक (IESW) एक प्रमुख वार्षिक औद्योगिक कार्यक्रम है जो ऊर्जा भंडारण, ई-मोबिलिटी, बैटरी विनिर्माण और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में नवाचार को गति देने पर केंद्रित है।
- यह कार्यक्रम वैश्विक नीति-निर्माताओं, शोधकर्ताओं, उद्योग प्रतिनिधियों और नेताओं को एक साथ लाकर, भारत के ऊर्जा संक्रमण के लिए आवश्यक नई तकनीकों और नीतियों पर विचार-विमर्श का अवसर प्रदान करता है।
- यह राष्ट्रीय ऊर्जा लक्ष्यों के अनुरूप संवाद, साझेदारी, अनुसंधान एवं विकास, कौशल विकास और प्रौद्योगिकी प्रदर्शन को बढ़ावा देता है।
