संबंधित पाठ्यक्रम : सामान्य अध्ययन प्रश्न 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
संदर्भ:
हाल ही में, 72,000 करोड़ रुपये की लागत वाले ग्रेट निकोबार इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट (GNIP) के लिए पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) अध्ययन किया गया।
अन्य संबंधित जानकारी
- इस अध्ययन में भविष्य में आने वाले भूकंपों के जोखिम को कम करके आंका गया है, जबकि वे 2004 में आई सुनामी से भी बड़ी सुनामी ला सकते हैं और जान-माल के नुकसान का कारण बन सकते हैं।
- अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह विकास निगम द्वारा कमीशन की गई विमता लैब्स की 900 पृष्ठ की EIA रिपोर्ट में कहा गया है कि 2004 जैसे 9.2 तीव्रता वाले भूकंप की संभावना कम है।
- हालाँकि EIA अध्ययन में क्षेत्र की निकटता और बड़े भूकंपों के प्रति सुभेद्यता को स्वीकार किया गया है और मुख्य रूप से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-कानपुर के वैज्ञानिकों द्वारा 2019 में किए गए एक अध्ययन का जिक्र किया गया है। इस अध्ययन में कहा गया था कि 9 या उससे अधिक की तीव्रता वाले बड़े भूकंपों के लिए “वापसी अवधि” (return period) 420-750 वर्ष है। वापसी अवधि समान तीव्रता के भूकंप की पुनरावृत्ति के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला शब्द है।
- उच्च तीव्रता वाले भूकंपों (> 7.5) के लिए वापसी अवधि कम यानी 80-120 वर्ष होती है।
ग्रेट निकोबार परियोजना

- ग्रेट निकोबार परियोजना अंडमान सागर में ग्रेट निकोबार द्वीप के लिए एक वृहत स्तरीय बुनियादी ढांचा विकास योजना है। इसका उद्देश्य एक ट्रांस-शिपमेंट बंदरगाह, एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, एक टाउनशिप और एक गैस-संचालित बिजली संयंत्र स्थापित करना है।
- प्रमुख विशेषताएं:
- इस परियोजना में एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय ट्रांस-शिपमेंट बंदरगाह का निर्माण करना शामिल है, जो भारत की समुद्री रणनीति के लिए महत्वपूर्ण होगा। इसके निर्माण का उद्देश्य कार्गो के ट्रांसशिपमेंट के लिए विदेशी बंदरगाहों पर भारत की निर्भरता को कम करना है।
- कनेक्टिविटी में सुधार और व्यापार तथा पर्यटन को सुविधाजनक बनाने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को स्थापित करने की भी योजना बनाई गई है।
- इस परियोजना में लगातार बढ़ती जनसंख्या को समायोजित करने के लिए एक नए टाउनशिप की परिकल्पना की गई है।
- बुनियादी ढांचे के विकास में सहायता के लिए 450 MVA गैस और सौर-आधारित बिजली संयंत्र को स्थापित करने भी योजना है।
- रणनीतिक महत्त्व :
- भारत अतिरिक्त सैनिकों, युद्धपोतों, विमानों और मिसाइल प्रणालियों की तैनाती, चौकस निगरानी और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक सैन्य प्रतिरोध को मजबूती प्रदान करने के लिए ग्रेट निकोबार में अपने बुनियादी ढांचे का विस्तार कर रहा है।
- यह द्वीप मलक्का जलडमरूमध्य के निकट है, जो हिंद महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ने वाला मुख्य जलमार्ग है।
- इस क्षेत्र में चीनी नौसेना की बढ़ती उपस्थिति के चलते बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर भारत की सुरक्षा के लिहाज से काफी महत्त्वपूर्ण हैं।
परियोजना से जुड़ी पर्यावरणीय चिंताएँ
- वनों की कटाई और जैव विविधता की हानि: इस परियोजना में उष्णकटिबंधीय वर्षावनों को बड़े पैमाने पर काटना शामिल है, जिसके कारण संभावित रूप से 10 मिलियन से अधिक वृक्षों का नुकसान होगा और मृदा क्षरण, आवास का नष्ट होना ठठा पारिस्थितिक असंतुलन जैसे खतरे उत्पन्न होंगे। ये ऐसे प्रभाव हैं जिनकी भरपाई प्रतिपूरक वनरोपण (compensatory afforestation) से नहीं की जा सकती।
- अकेले इस घटक में 130 वर्ग किलोमीटर (160 वर्ग किलोमीटर से कुछ अधिक के कुल परियोजना क्षेत्र में से) का विशाल प्राथमिक उष्णकटिबंधीय वर्षावन शामिल है।
- वन्यजीवों पर प्रभाव: लेदरबैक कछुआ, निकोबार कबूतर और मेगापोड जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों को गैलेथिया बे वन्यजीव अभयारण्य में आवास के नुकसान कारण गंभीर खतरों का सामना करना पड़ रहा है।
- प्रवाल भित्तियों का नष्ट होना: CRZ-1A क्षेत्र में बंदरगाह निर्माण से प्रवाल भित्तियों को नुकसान हो सकता है और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र बाधित हो सकता है, जिससे संभावित रूप से जैव विविधता की हानि होती है।
- स्वदेशी समुदायों पर प्रभाव: परियोजना से जनजातीय आबादी विस्थापित हो सकती है और उनकी सांस्कृतिक विरासत, आजीविका और पारंपरिक जीवन शैली को नुकसान पहुंच सकता है।
- कानूनी मुद्दे: सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2002 में गठित शेखर सिंह आयोग की रिपोर्ट और उस पर आधारित न्यायालय के आदेशों से कई मुद्दे उभर रहे हैं। यद्यपि परियोजना के समर्थकों का दावा था कि पेड़ों की कटाई सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों और शेखर सिंह रिपोर्ट के अनुसार की जाएगी, परंतु वे सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के न्यूनतम दो मुख्य बिंदुओं का पालन करने में विफल रहे हैं:
- राष्ट्रीय उद्यानों, अभयारण्यों, जनजातीय रिजर्वों और अन्य सभी क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई पर रोक जारी रहेगी।
- सबसे पहले अनिवार्य वनरोपण/बहाली होना चाहिए [और] कटाई की अनुमति वन की बहाली की सीमा पर आधारित होगी।
- अन्य चिंताएं: चूंकि यह उच्च भूकंप प्रवण क्षेत्र में स्थित है इसलिए परियोजना क्षेत्र में भूकंप और सुनामी का खतरा बना रहता है। अपर्याप्त पर्यावरणीय आकलन और वनों की कटाई के कारण जलवायु पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं।