संबंधित पाठ्यक्रम:         

सामान्य अध्ययन 2 : महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश। 

सामान्य अध्ययन 3 : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन। 

संदर्भ: 

वन्य जीवों और वनस्पतियों की संकटापन्न प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) ने 1 जुलाई को अपने लागू होने के 50 वर्ष पूरे कर लिए हैं।   

CITES की उत्पत्ति :     

  • यह कन्वेंशन वन्यजीव आबादी पर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रभाव को लेकर बढ़ती चिंताओं के जवाब में बनाया गया था।
  • इसका प्रारूप सबसे पहले 1963 में अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की एक बैठक में तैयार किया गया था। 
  • यह 3 मार्च 1973 को वॉशिंगटन डी.सी. में अमेरिका द्वारा आयोजित प्लेनिपोटेन्शियरीज सम्मेलन (जिसे ‘विश्व वन्यजीव सम्मेलन’ भी कहा जाता है) के अंत में विश्व की सरकारों के लिए हस्ताक्षर हेतु प्रस्तुत किया गया।  
  • इस प्रकार, यह पहली बार 1 जुलाई 1975 को प्रभाव में आया।  
  • वर्तमान में 185 पक्षकार (184 देश और यूरोपीय संघ) इसके सदस्य हैं। यह वन्य जीवों और पौधों की 40,000 से अधिक प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को विनियमित कर विश्व स्तर पर वन्यजीव संरक्षण का एक सशक्त और प्रभावी माध्यम बना हुआ है।  
  • भारत 1976 से CITES का पक्षकार रहा है। 
  • CITES सचिवालय का संचालन संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा किया जाता है और यह जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।  

कार्यप्रणाली 

  • CITES की कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (CoP) प्रत्येक तीन वर्षों में आयोजित की जाती है और इसके बीच की अवधि में प्रमुख समितियाँ और कार्य समूह निर्णयों के कार्यान्वयन तथा आगामी सिफारिशों के प्रारूपण में सहयोग प्रदान करते हैं।        
  • CITES प्रजातियों को उनकी आवश्यक संरक्षण स्तर के आधार पर वर्गीकृत करने के लिए तीन परिशिष्टों (Appendices) का उपयोग करता है। प्रत्येक परिशिष्ट में भिन्न-भिन्न प्रजातियाँ सूचीबद्ध होती हैं और उनके विलुप्ति जोखिम तथा व्यापार से उत्पन्न खतरों को ध्यान में रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंधित विशिष्ट नियम निर्धारित किए गए हैं।  

परिशिष्ट I

  • CITES द्वारा सूचीबद्ध वन्य जीवों और वनस्पतियों में सबसे अधिक संकटग्रस्त प्रजातियाँ परिशिष्ट-I में शामिल की जाती हैं। इन प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा सबसे अधिक होता है और ये अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण अत्यंत जोखिम में होती हैं।   
  • इन प्रजातियों के नमूनों का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सामान्यतः प्रतिबंधित होता है, केवल अपवादस्वरूप परिस्थितियों जैसे वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए इसकी अनुमति दी जाती है। ऐसे मामलों में निर्यातक और आयातक दोनों देशों से अनुमति-पत्र प्राप्त करना अनिवार्य होता है।   

परिशिष्ट II

  • परिशिष्ट-II में ऐसी प्रजातियाँ शामिल होती हैं जो वर्तमान में संकटग्रस्त नहीं हैं, लेकिन यदि उनके व्यापार को नियंत्रित नहीं किया गया तो वे भविष्य में संकटग्रस्त हो सकती हैं। इसमें वे प्रजातियाँ भी शामिल होती हैं जो देखने में अन्य संरक्षित प्रजातियों जैसी लगती हैं और जिनकी निगरानी आवश्यक होती है। 
  • इन प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की अनुमति है, लेकिन यह निर्यातक देश द्वारा जारी CITES अनुमति-पत्र के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है; कुछ देश आयात के लिए भी अलग से अनुमति-पत्र की मांग करते हैं।  

परिशिष्ट III

  • परिशिष्ट-III में वे प्रजातियाँ शामिल होती हैं जिन्हें कोई देश पहले से ही राष्ट्रीय स्तर पर विनियमित करता है और अवैध या असंधारणीय उपयोग को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग चाहता है।   
  • मूल प्रमाण पत्र (Certificate of Origin) और कभी-कभी निर्यात परमिट के साथ इन प्रजातियों के व्यापार की अनुमति होती है; CITES-सूचीबद्ध प्रजातियों में से केवल 1% ही इस श्रेणी में आती हैं।

किसी भी प्रजाति को परिशिष्ट-I और II में जोड़ा जा सकता है, हटाया जा सकता है या एक से दूसरे में स्थानांतरित किया जा सकता है, लेकिन यह केवल कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (CoP) द्वारा ही किया जा सकता है।

CoP की प्रत्येक नियमित बैठक में, सदस्य देश निर्धारित मानदंडों के आधार पर इन दोनों परिशिष्टों (I और II) में संशोधन हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत करते हैं। 

इन संशोधन प्रस्तावों पर चर्चा की जाती है और फिर उन्हें मतदान के लिए प्रस्तुत किया जाता है। 

परिशिष्ट-III में परिवर्तन की प्रक्रिया परिशिष्ट-I और II से अलग होती है, क्योंकि प्रत्येक सदस्य देश को इसमें एकतरफा संशोधन करने का अधिकार प्राप्त होता है। 

CITES का महत्व  

प्रजातियों के विलुप्त होने को रोकना: CITES वन्य जीवों और पौधों की 36,000 से अधिक प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को इस उद्देश्य से विनियमित करता है कि उनका अत्यधिक दोहन रोका जा सके, संकटग्रस्त प्रजातियों को संरक्षण मिल सके और अवैध एवं असंधारणीय व्यापार पर प्रभावी नियंत्रण रखा जा सके। 

  • एक प्रमुख पहल हाथियों के अवैध शिकार की निगरानी (MIKE) कार्यक्रम है, जो अफ्रीका और एशिया में 70 से अधिक स्थलों पर संचालित होता है और हाथियों की लगभग आधी आबादी को कवर करता है। MIKE कार्यक्रम से प्राप्त आंकड़ों ने, विशेष रूप से अफ्रीका में, अवैध शिकार की घटनाओं में कमी लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।  

प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा देना: CITES वानिकी और मत्स्य पालन सहित संकटग्रस्त प्रजातियों की कमी को रोकने के लिए व्यापार को विनियमित करके प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा देता है।  

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना: CITES अपने 185 सदस्य देशों के बीच व्यापार के विनियमन, डेटा साझाकरण और अवैध वन्यजीव तस्करी से निपटने में सहयोग को बढ़ावा देता है, जो वैश्विक स्तर पर व्यापार की जाने वाली और प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण हेतु अत्यंत आवश्यक है।    

जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देना: CITES संकटग्रस्त प्रजातियों के व्यापार को विनियमित करके, पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखकर और संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को समर्थन प्रदान कर वैश्विक जैव विविधता को संरक्षित करने में मदद करता है।  

स्थानीय आजीविका को समर्थन: CITES सतत व्यापार को प्रोत्साहित करता है जो वन्यजीव संरक्षण और स्थानीय समुदायों की आजीविका के बीच संतुलन स्थापित करता है, और यह प्राकृतिक संसाधनों पर समुदायों की निर्भरता—जैसे मगरमच्छ उत्पादों से प्राप्त आय—को भी मान्यता देता है। 

जागरूकता बढ़ाना: CITES जैव विविधता और संकटग्रस्त प्रजातियों पर व्यापार के प्रभाव के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाता है, जिससे संरक्षण, जिम्मेदार व्यापार और सूचित उपभोक्ता विकल्पों को बढ़ावा मिलता है।              

विगत वर्ष पूछा गया प्रारम्भिक परीक्षा प्रश्न    

Q. प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिये अन्तर्राष्ट्रीय संघ (इंटरनैशनल यूनियन फॉर कन्जर्वेशन ऑफ नेचर ऐंड नेचुरल रिसोर्सेज़) (IUCN) तथा वन्य प्राणिजात एवं वनस्पतिजात की संकटापन्न स्पीशीज़ के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (कन्वेशन ऑन इंटरनैशनल ट्रेड इन एन्डेंजर्ड स्पीशीज़ ऑफ वाइल्ड फॉना ऐंड फ्लोरा) (CITES) के सन्दर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2015) 

1. IUCN संयुक्त राष्ट्र का एक अंग है तथा CITES सरकारों के बीच अंतर्राष्ट्रीय करार है।  

2. IUCN प्राकृतिक पर्यावरण के बेहतर प्रबंधन के लिए, विश्व भर में हजारों क्षेत्र-परियोजनाएँ चलाता है।  

3. CITES उन राज्यों पर वैध रूप से आबद्धकर है जो इसमें शामिल हुए हैं, लेकिन यह कन्वेंशन राष्ट्रीय विधियों का स्थान नहीं लेता है।        

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1 

(b) केवल 2 और 3 

(c) केवल 1 और 3 

(d) 1, 2 और 3 

https://news.un.org/en/story/2025/07/1165151#:~:text=The%20Convention%20on%20International%20Trade%20in%20Endangered%20Species,protecting%20endangered%20wildlife%20from%20overexploitation%20through%20international%20trade

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