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सामान्य अध्ययन 3: अवसंरचना: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, हवाई अड्डे, रेलवे आदि।
संदर्भ:
अडमान और निकोबार बेसिन में हाल ही में तेल और गैस भंडार की खोज ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा को लेकर एक नई बहस को जन्म दिया है।
अन्य संबंधित जानकारी
- केन्द्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि अंडमान क्षेत्र में भारत के पास “कई गुयाना” जैसे संसाधनों की संभावना है।
- उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने अंडमान क्षेत्र में तेल और गैस अन्वेषण और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं।
तेल अन्वेषण के लिए अंडमान और निकोबार का महत्व
- भारत की ऊर्जा निर्भरता: भारत अपनी 80% कच्चे तेल और 50% प्राकृतिक गैस की ज़रूरतें आयात करता है। यदि यहाँ 5 बिलियन बैरल तेल की खोज होती है, तो यह ऊर्जा सुरक्षा को अत्यंत मजबूत कर सकता है।
- रणनीतिक स्थान: अंडमान और निकोबार क्षेत्र तेल व गैस समृद्ध क्षेत्रों के निकट है, जो इसे नई खोजों के लिए उपयुक्त बनाता है।
- सरकारी समर्थन: हाल ही में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने अंडमान क्षेत्र को अप्रैल 2025 की तेल और गैस ब्लॉक नीलामी में शामिल किया है, जो इस क्षेत्र में अन्वेषण को बढ़ावा देने की सरकारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- तेल और गैस की उच्च संभावना : विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र में बड़ी मात्रा में तेल और प्राकृतिक गैस मिलने की प्रबल संभावना है।
- अप्रयुक्त वैश्विक सीमा: अंडमान क्षेत्र को विश्व के उन गिने-चुने क्षेत्रों में से एक माना जाता है जहाँ अब तक तेल और गैस की पूरी तरह से खोज नहीं हुई है, जिससे यह वैश्विक ऊर्जा अन्वेषण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बन जाता है।
नियंत्रण से सुविधा तक: नीतिगत पुनर्निर्धारण
वर्ष 2016 में हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन एंड लाइसेंसिंग पॉलिसी (HELP) की शुरुआत की गई, जिससे इस बेसिन में निवेश और अन्वेषण को बड़ी मजबूती मिली।
HELP की दो महत्वपूर्ण विशेषताएं थीं:
- ओपन एकरेज लाइसेंसिंग नीति (OALP) के माध्यम से बोली प्रक्रिया।
- उत्पादन-साझेदारी प्रणाली से राजस्व-साझेदारी प्रणाली की ओर बदलाव।
HELP ने सभी प्रकार के हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और उत्पादन के लिए एक समान लाइसेंसिंग ढांचा भी पेश किया।
OALP के तहत निवेशकों को राष्ट्रीय डाटा रिपॉजिटरी (NDR) के आंकड़ों के आधार पर किसी भी ब्लॉक का अध्ययन कर उस पर बोली लगाने की स्वतंत्रता दी गई।
OALP और राजस्व-साझेदारी प्रणाली के संयोजन ने विदेशी निवेश और सहयोग को आकर्षित किया।
वर्ष 2023 में, ONGC ने फ्रांसीसी कंपनी टोटल एनर्जीज़ के साथ साझेदारी की, ताकि महानदी और अंडमान के अपतटीय क्षेत्रों में गहरे समुद्री ब्लॉकों का अन्वेषण किया जा सके।
इससे पहले, वित्त वर्ष 2013-14 में ONGC ने अंडमान तट के पास छह कुएं खोदे थे, लेकिन कोई वाणिज्यिक सफलता नहीं मिली।
वर्ष 2020 में, ऑयल इंडिया ने भी सर्वेक्षण किया, जिसमें ONGC द्वारा पहले अन्वेषित गहरे समुद्री क्षेत्रों के साथ-साथ उथले जल क्षेत्र भी शामिल थे।
ओपन एकरेज लाइसेंसिंग नीति (OALP) की आठ बोली दौरों के माध्यम से अब तक 144 अन्वेषण ब्लॉक आवंटित किए जा चुके हैं, जिनमें कुल 3.37 बिलियन डॉलर का निवेश अपेक्षित है।
नौवें दौर में 1.37 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले 28 ब्लॉकों की पेशकश की गई।
अप्रैल में घोषित दसवें दौर के तहत 13 तलछटी बेसिनों में 25 ब्लॉकों की पेशकश की जाएगी, जो 1.92 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करते हैं।
पहले आठ दौरों में ऑयल इंडिया और ONGC ने इस क्षेत्र में दो-दो बेसिनों को सुरक्षित किया है।
दसवें दौर में पूर्वी अंडमान क्षेत्र में स्थित चार और बेसिनों को बोली के लिए रखा जाएगा।
नीति में बदलाव के प्रमुख कारण
- अपतटीय अन्वेषण की उच्च लागत: अंडमान-निकोबार जैसे समुद्री क्षेत्रों में अन्वेषण और उत्पादन की लागत स्थलीय गतिविधियों की तुलना में कहीं अधिक होती है, क्योंकि इनमें जटिल जलमग्न अवसंरचनाएँ और संचालन शामिल होते हैं।
- लंबी उत्पादन अवधि: किसी बेसिन की खोज के बाद भी, अन्वेषण से लेकर वाणिज्यिक उत्पादन तक पहुंचने में कई वर्ष लग जाते हैं, जिससे आर्थिक लाभ में देरी होती है।
- कीमतों में उतार-चढ़ाव से व्यवहार्यता पर प्रभाव: समुद्री धाराओं की तीव्रता और वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव से अपतटीय परियोजनाओं की दीर्घकालिक आर्थिक व्यवहार्यता प्रभावित होती है।
- लागत बनाम लाभ का समीकरण: अपतटीय स्थलों का निर्माण महंगा होता है, लेकिन रिस्टैड एनर्जी के अनुसार, एक बार संचालन प्रारंभ हो जाने के बाद ये अपेक्षाकृत कम कीमतों पर भी लाभदायक बने रह सकते हैं।
- उच्च तेल कीमतों पर निर्भरता: अपस्ट्रीम कंपनियों द्वारा निरंतर निवेश उच्च तेल कीमतों पर निर्भर करता है जो निरंतर अन्वेषण और उत्पादन के लिए प्रोत्साहन के रूप में कार्य करता है।
मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
वैश्विक तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और उच्च अपतटीय लागत अंडमान-निकोबार क्षेत्र में भारत की हाइड्रोकार्बन महत्वाकांक्षाओं को कैसे प्रभावित करती है? ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक व्यवहार्यता के संदर्भ में विश्लेषण कीजिए। (15M, 250W)