संदर्भ: 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में अनुसंधान, विकास और नवाचार (RDI) योजना को 1 लाख करोड़ रुपये की निधि के साथ मंजूरी प्रदान की है।     

अन्य संबंधित जानकारी     

  • अनुसंधान, विकास और नवाचार (RDI) योजना का उद्देश्य लंबी अवधि की वित्तीय सहायता या पुनर्वित्तपोषण को कम या शून्य ब्याज दरों पर उपलब्ध कराकर अनुसंधान, विकास और नवाचार में निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करना है।      
  • इस योजना का उद्देश्य सनराइज और रणनीतिक क्षेत्रों में नवाचार, प्रौद्योगिकी अपनाने और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने के लिए विकास और जोखिम पूंजी प्रदान करके निजी क्षेत्र में वित्तपोषण अंतराल को दूर करना है।
  • RDI योजना आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देती है, जिससे देश में एक अनुकूल नवाचार पारितंत्र का निर्माण होता है और भारत विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की ओर दृढ़ता से अग्रसर होता है।     

योजना के मुख्य उद्देश्य

  • सनराइज क्षेत्रों तथा आर्थिक सुरक्षा, रणनीति और आत्मनिर्भरता से संबंधित प्रमुख क्षेत्रों में निजी क्षेत्र के अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा देना।   
  • उच्च प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर (Technology Readiness Levels – TRL) वाली परिवर्तनकारी परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना। 
  • रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण या अत्यावश्यक प्रौद्योगिकियों के अधिग्रहण को समर्थन देना। 
  • डीप-टेक फंड ऑफ फंड्स की स्थापना को प्रोत्साहित करना और उसके लिए अनुकूल व्यवस्था करना। 

शासन प्रक्रिया 

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (ANRF) का गवर्निंग बोर्ड RDI योजना को व्यापक रणनीतिक दिशा प्रदान करेगा।  
  • ANRF की कार्यकारी परिषद योजना के दिशानिर्देशों को मंजूरी देगी, तथा द्वितीय स्तर के फंड प्रबंधकों और सनराइज  क्षेत्रों में परियोजनाओं के दायरे और प्रकार की सिफारिश करेगी।  
  • कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में गठित सशक्त सचिवों का समूह (EGoS) योजना में परिवर्तनों, क्षेत्रों, परियोजनाओं के प्रकार और द्वितीय स्तर के फंड प्रबंधकों को मंजूरी देने के साथ-साथ योजना के प्रदर्शन की समीक्षा करने की जिम्मेदारी भी निभाएगा।  
  • नोडल एजेंसी: विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) RDI योजना के कार्यान्वयन के लिए नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा।  

वित्तपोषण तंत्र

  • प्रथम स्तर पर ANRF के अंतर्गत एक विशेष प्रयोजन निधि स्थापित की जाएगी, जो निधियों की संरक्षक के रूप में कार्य करेगी। 
  • इस SPF से निधियों का आवंटन विभिन्न द्वितीय स्तर के फंड प्रबंधकों को किया जाएगा, मुख्य रूप से दीर्घकालिक रियायती ऋण के रूप में। 
  • द्वितीय स्तर के फंड प्रबंधक अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को आमतौर पर कम या शून्य ब्याज दरों पर दीर्घकालिक ऋण के रूप में वित्तपोषण प्रदान करेंगे।
  • इक्विटी के रूप में भी वित्तपोषण की भी व्यवस्था की जा सकती है, विशेषकर स्टार्टअप के मामले में।
  • डीप-टेक फंड ऑफ फंड्स (FoF) अथवा RDI हेतु किसी अन्य फंड ऑफ फंड्स में योगदान देने पर भी विचार किया जा सकता है।   

Sources:

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2141130

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