प्रसंग:
उत्तर प्रदेश सरकार ने 1 जुलाई से ‘स्कूल हर दिन आए अभियान’ (SHARDA) लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य हर बच्चे तक स्कूल की पहुँच सुनिश्चित करना है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- शैक्षणिक सत्र 2025-26 के दौरान राज्यव्यापी गृह सर्वेक्षण किया जाएगा, जिसका उद्देश्य बच्चों को पहचानना और उन्हें औपचारिक शिक्षा से जोड़ना है।
- यह पहल चरणबद्ध तरीके से संचालित होगी, जिसमें पहला सर्वेक्षण 1 जुलाई से 31 जुलाई तक और दूसरा 16 अगस्त से 15 सितंबर तक चलेगा।
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के सभी परिवारों, जिनमें झुग्गी-झोपड़ी, ईंट भट्टे, खदानें, होटल, आदिवासी क्षेत्र और प्रवासी समुदाय शामिल हैं, का सर्वेक्षण किया जाएगा ताकि 6 से 14 वर्ष के बच्चों को खोजा और नामांकन कराया जा सके।
- जो बच्चे कभी स्कूल में नामांकित नहीं हुए या 30 दिनों से अधिक अनुपस्थित रहे और वार्षिक मूल्यांकन में 35% से कम अंक प्राप्त किए, उन्हें ड्रॉपआउट माना जाएगा।
- इन बच्चों को उनकी आयु के अनुसार उचित कक्षाओं में रखा जाएगा और विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- स्कूल स्तर की टीमें, जिनमें प्रधानाचार्य, शिक्षक, शिक्षा मित्र, प्रशिक्षक, BTC प्रशिक्षु, NGO स्वयंसेवक और अन्य विभागीय कर्मचारी शामिल हैं, सर्वेक्षण के संचालन के लिए जिम्मेदार होंगी।
- टीमों के बीच क्षेत्रों का वितरण किया जाएगा ताकि प्रत्येक बच्चे का विवरण समय पर और पूरी तरह से रिकॉर्ड किया जा सके।
- पहचाने गए बच्चों को समग्र और पाठ्यक्रम आधारित प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें SHARDA ऐप के माध्यम से प्रारंभिक मूल्यांकन होगा।
- अक्टूबर, जनवरी और मार्च 2026 में त्रैमासिक मूल्यांकन भी किया जाएगा।
- प्रशिक्षित नोडल शिक्षक और स्वयंसेवक संक्षिप्त पाठ्यपुस्तकें और आवश्यक शिक्षण सामग्री प्रदान करेंगे।
- प्रवासी परिवारों के बच्चों को नए स्थानों पर नामांकन में सुविधा के लिए प्रवासन प्रमाणपत्र दिए जाएंगे।
- शिक्षक घर-घर जाकर बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित करने और अभिभावकों से बातचीत करने का कार्य करेंगे।
- इसके अतिरिक्त, गरीब परिवारों के बच्चों को सामाजिक कल्याण योजनाओं से जोड़ा जाएगा ताकि उनकी शिक्षा स्थिर बनी रहे।
- उत्तर प्रदेश सरकार इस बात पर जोर देती है कि शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है और यह उनके भविष्य की नींव है, तथा हमारा लक्ष्य है कि कोई भी बच्चा स्कूल प्रणाली से वंचित न रहे।
