संदर्भ:

प्रधानमंत्री ने वाराणसी की अपनी यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश के21 पारंपरिक उत्पादों को भौगोलिक संकेत (GI) प्रमाण-पत्र प्रदान किए, जिससे काशी क्षेत्र 32 उत्पादों के साथ GI-मान्यता प्राप्त वस्तुओं का वैश्विक केंद्र बन गया।

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  • प्रतिष्ठित बनारसी तबला और बनारसी भरवां मिर्च अब नए प्रमाणित उत्पादों में शामिल हैं, जिन्हें आधिकारिक तौर पर उनकी अनूठी क्षेत्रीय पहचान और सांस्कृतिक महत्व के लिए मान्यता दी गई है।
  • उत्तर प्रदेश 77 GI-प्रमाणित उत्पादों के साथ देश में प्रथम है, जबकि अकेले काशी क्षेत्र के पास सर्वाधिक GI टैग हैं, जो इसे GI-मान्यता प्राप्त वस्तुओं के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करते हैं, लगभग 20 लाख लोगों को जोड़ते हैं और ₹25,500 करोड़ का वार्षिक व्यवसाय उत्पन्न करते हैं।
  • यह समृद्ध विविधता और यूपी सरकार की प्रमुख पहल, ‘एक जिला, एक उत्पाद (ODOP) की सफलता को दर्शाता है।
  • वाराणसी के कई पारंपरिक उत्पादों को अब जीआई टैग प्रमाणपत्र दिए गए हैं, जिनमें शहनाई, धातु ढलाई शिल्प, भित्ति चित्र, लाल पेड़ा, ठंडाई, तिरंगी बर्फी और चिरईगांव का करौंदा शामिल हैं।
  • ये वस्तुएं हजारों कारीगरों के लिए सांस्कृतिक धरोहर और आजीविका का महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
  • नए GI-प्रमाणित उत्पादों में बरेली का फर्नीचर, जरी-जरदोजी और टेराकोटा का काम, मथुरा का सांझी शिल्प, बुंदेलखंड का कठिया गेहूं और पीलीभीत की बांस की बांसुरी शामिल हैं।
  • इसके अलावा प्रयागराज के पर्यावरण के अनुकूल मुंज शिल्प, बरेली की भव्य जरदोजी, चित्रकूट का लकड़ी शिल्प, आगरा का पत्थर जड़ाई का काम, जौनपुर की इमरती और लखीमपुर खीरी की उत्तम थारू जरदोजी को GI टैग दिए गए हैं।
  • इनमें से प्रत्येक वस्तु अपने-अपने क्षेत्र की विशिष्ट सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है।
  • जीआई प्रमाणन के साथ, अब उन्हें कानूनी संरक्षण और बढ़ी हुई ब्रांड पहचान का लाभ मिलता है।
  • काशी क्षेत्र के GI-टैग किए गए उत्पादों की सूची: बनारस ब्रोकेड और साड़ियाँ, बनारस मेटल रिपोजी क्राफ्ट, वाराणसी गुलाबी मीनाकारी, वाराणसी लकड़ी के लाह के बर्तन और खिलौने, बनारस कांच के मोती, वाराणसी सॉफ्टस्टोन जाली का काम, बनारस जरदोजी, बनारस हैंड ब्लॉक प्रिंट, बनारस लकड़ी की नक्काशी और बनारसी लंगड़ा आम आदि।
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