संदर्भ:
हाल ही में,भारत के पहले समर्पित अंतरिक्ष आधारित सौर मिशन आदित्य-L1 ने अपने वैज्ञानिक पेलोड से एक अभूतपूर्व अवलोकन किया है, जिसमें निचले सौर वायुमंडल (फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर) में सौर ज्वाला ‘कर्नेल’ की पहली छवि कैप्चर की गई है।
अन्य संबंधित जानकारी
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- आदित्य-L1 पर लगे SUIT पेलोड ने X6.3-श्रेणी के सौर फ्लेयर का अवलोकन किया और यह फ्लेयर सौर विस्फोटों की सबसे तीव्र श्रेणियों में से एक है।
- इस अवलोकन की अद्वितीय विशेषता यह थी कि SUIT ने NUV तरंगदैर्घ्य सीमा (200-400 nm) में चमक का पता लगाया, एक ऐसी तरंगदैर्घ्य सीमा जिसे पहले कभी इतने विस्तार से नहीं देखा गया था
- एक महत्वपूर्ण खोज यह है कि निचले सौर वायुमंडल (फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर) में चमक सीधे वायुमंडल के शीर्ष पर सौर कोरोना में प्लाज्मा तापमान में वृद्धि से जुड़ी हुई है।
सौर फ्लेयर क्या है?
- सौर फ्लेयर सौर वायुमंडल से सौर ऊर्जा का अचानक और तीव्र विस्फोट है।
- यह घटना सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र के कारण होती है। सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र प्रकृति में बहुत गतिशील होता है। कभी-कभी अचानक यह क्षेत्र विखंडित हो जाता हैं और ऊर्जा के तीव्र विस्फोट की स्थिति होती है ।
- ऊर्जा प्रकाश/विकिरण और उच्च-ऊर्जा आवेशित कणों के रूप में निकलती है।
- पृथ्वी का वायुमंडल सूर्य से आने वाले इन हानिकारक विकिरणों को पृथ्वी तक पहुँचने से रोकता है।
- लेकिन अगर सौर फ्लेयर बहुत तीव्र है, तो इससे निकलने वाला विकिरण पृथ्वी पर रेडियो संचार में हस्तक्षेप कर सकता है।
आदित्य-L1 सौर फ्लेयर्स का अध्ययन कैसे करता है?
- सौर ज्वालाओं के दौरान (तथा सौर ज्वालाओं के घटित होने से पहले भी), सूर्य का वह विशेष क्षेत्र जो ज्वाला उत्पन्न करता है, UV तथा X-किरणों में अधिक चमकीला हो जाता है।
- आदित्य-L1 उपकरण जैसे SUIT, SoLEXS और HELL1OS इन चमक और संबंधित विकिरण की चमक का अधिक विस्तार से अध्ययन कर सकते हैं।
- यह सौर फ्लेयर्स से संबंधित विभिन्न घटनाओं की विस्तृत तस्वीर प्रदान करता है।
आदित्य L1 मिशन के बारे में:
भारत के आदित्य-L1 सौर वेधशाला, जिसे 2 सितंबर, 2023 को इसरो के PSLV C-57 रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित किया गया था, 6 जनवरी, 2024 को पृथ्वी-सूर्य लैग्रेंज बिंदु L1 के चारों ओर अपनी निर्दिष्ट हेलो कक्षा में पहुंच गई।”
L1 बिंदु पृथ्वी से सूर्य की ओर 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है। विशेष सुविधाजनक बिंदु L1 अंतरिक्ष यान को बिना किसी ग्रहण और गुप्तता के विभिन्न सौर गतिविधियों का लगातार निरीक्षण करने मे सक्षम बनाता है।
इसके उन्नत उपकरण निम्नलिखित हैं: –
- सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT)
- सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS)
- हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS)
ये निकट पराबैंगनी (NUV) तरंगदैर्ध्य से लेकर नरम और कठोर एक्स-रे तक सौर फ्लेयर्स का पता लगाने और विश्लेषण करने के लिए एक साथ काम करते हैं।