संदर्भ:
विश्व 28 फरवरी 2025 को दुर्लभ रोग दिवस मना रही है।
अन्य संबंधित जानकारी
- यह 18 वां वार्षिक वैश्विक आयोजन है, जिसका उद्देश्य दुर्लभ बीमारियों से प्रभावित 300 मिलियन से अधिक लोगों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
- वर्ष 2025 में इस दिवस का विषय है “आप जितना कल्पना कर सकते हैं उससे कहीं अधिक; दुर्लभ अनुभवों का संकलन” ।
दुर्लभ रोग दिवस के बारें में
- यह प्रत्येक वर्ष फरवरी के अंतिम दिन मनाया जाता है, जो सामान्यत: 28 फरवरी होता है (या लीप वर्ष में 29 फरवरी)।
- इसकी स्थापना और समन्वय यूरोपीय दुर्लभ रोग संगठन (EURORDIS) ने 70 से अधिक राष्ट्रीय गठबंधन रोगी संगठनों के साथ मिलकर किया है।
- 2008 में अपनी शुरुआत के बाद से, दुर्लभ रोग दिवस ने एक वैश्विक, विविध और बहु-रोगी दुर्लभ रोग समुदाय के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो एक समान उद्देश्य के प्रति एकजुट है।
दुर्लभ रोग क्या है ?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) दुर्लभ रोग को एक विशिष्ट स्वास्थ्य स्थिति के रूप में परिभाषित करता है, जो किसी भी WHO क्षेत्र में 2,000 लोगों में से एक से भी कम को प्रभावित करती है।
दुर्लभ रोग आनुवंशिक, संक्रामक या पर्यावरणीय कारकों के कारण हो सकते हैं।
वर्तमान में विश्व भर में 7000 से अधिक ज्ञात दुर्लभ बीमारियाँ हैं, जो 300 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित कर रही हैं, तथा इनमें से 70% रोग बचपन में ही विकसित होते हैं।
लगभग 80% दुर्लभ बीमारियाँ आनुवांशिक कारणों से होती हैं, जिनमें से लगभग 70% बचपन में ही विकसित होती हैं, और इनमें से करीब 95% के लिए प्रभावी उपचार उपलब्ध नहीं हैं।
लगभग पांच में से एक कैंसर (लगभग 20%) को दुर्लभ श्रेणी में वर्गीकृत किया जाता है।
रोगों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण ICD-11 में लगभग 5500 दुर्लभ रोग और उनके समानार्थी शब्द शामिल हैं।
- ICD वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य और स्वास्थ्य संबंधी स्थितियों को रिकॉर्ड और रिपोर्ट करने का काम करता है।
दुर्लभ रोग – भारतीय परिदृश्य
भारत में विभिन्न प्रकार की दुर्लभ बीमारियों से प्रभावित लोगों की संख्या के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।
- इस समस्या से निपटने के लिए, ICMR द्वारा दुर्लभ रोगों के निदान और प्रबंधन से जुड़े देश भर के केंद्रों को शामिल करते हुए दुर्लभ रोगों के लिए एक अस्पताल-आधारित राष्ट्रीय रजिस्ट्री शुरूआत की है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने जुलाई 2017 में दुर्लभ रोगों के उपचार के लिए राष्ट्रीय नीति (NPTRD) तैयार की।
भारत में प्रचलित दुर्लभ रोग: –
- प्राथमिक प्रतिरक्षाविहीनता विकार, लाइसोसोमल भंडारण विकार (गौचर रोग, म्यूकोपॉलीसेकेराइडोसिस, पोम्पे रोग, फैब्री रोग आदि)
- चयापचय की छोटी अणु जन्मजात त्रुटियाँ (मेपल सिरप यूरिन रोग, ऑर्गैनिक एसिडेमिया , आदि),
- सिस्टिक फाइब्रोसिस, अस्थिजनन अपूर्णता, मांसपेशीय दुर्विकास और स्पाइनल मांसपेशीय शोष(muscular atrophy) के कुछ रूप, आदि।