संदर्भ: 

केंद्र सरकार ने 18 फरवरी को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की नौवीं वर्षगांठ मनाई । 

अन्य संबंधित जानकारी

  • PMFBY ने पिछले नौ वर्षों में 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 23.22 करोड़ से अधिक किसानों को 1.75 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया है।
  • जनवरी 2025 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ₹69,515.71 करोड़ के कुल बजट के साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को 2025-26 तक जारी रखने की मंज़ूरी दी।

योजना की प्रमुख उपलब्धियां :

  • इसकी शुरूआत के बाद से, सरकार ने पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए कई हस्तक्षेप किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप 2023-24 में किसानों की रिकॉर्ड उच्च भागीदारी रही है। 
  • 2023-24 में गैर-ऋणी किसानों का कवरेज कुल कवरेज का 55% हो गया, जबकि कुल बीमित राशि 17.29 लाख करोड़ रुपये है।
  • इस योजना के तहत 17,29,395 करोड़ रुपये की बीमा राशि के लिए 42.21 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में 63.19 करोड़ किसान आवेदकों का बीमा किया गया है।
  • इस योजना के अंतर्गत पिछले वर्ष की तुलना में 2023-24 में किसान नामांकन में 25% की वृद्धि देखी गई, जो इसकी बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाती है।
  • 2023-24 में कवर किया गया सकल फसल क्षेत्र (GSA) 604 लाख हेक्टेयर था, जबकि 2022-23 में यह 501 लाख हेक्टेयर था।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

  • 18 फरवरी 2016 को शुरू की गई यह योजना कृषि मंत्रालय के कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा शुरू की गई एक फसल बीमा योजना है।
  • PMFBY का उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं (ओलावृष्टि, सूखा, अकाल), कीटों और बीमारियों के कारण फसल के नुकसान के खिलाफ किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है।
  • PMFBY सभी भारतीय किसानों को लागत प्रभावी प्रीमियम पर फसल बीमा प्रदान करती है।
  • PMFBY एक किफायती फसल बीमा उत्पाद है जिसे बीमा कंपनियों और बैंकों के नेटवर्क के माध्यम से क्रियान्वित किया जाता है।
  • यह योजना 50 करोड़ से अधिक किसानों को कवर करती है और 50 से अधिक विभिन्न फसलों के लिए बीमा कवरेज प्रदान करती है।
  • फरवरी 2024 तक, 27 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) ने शुरुआत से लेकर अब तक एक या एक से अधिक सीजनों में इस योजना को लागू किया है।

योजना के अंतर्गत कवर किया गया जोखिम:

  • उपज हानि (खड़ी फसलें): प्राकृतिक आग और बिजली, तूफान, ओलावृष्टि, बवंडर, बाढ़, भूस्खलन, कीट और रोग, और सूखे जैसे गैर-रोकथाम योग्य जोखिमों के कारण उपज हानि को कवर करता है।
  • रूकी हुई बुवाई: इसमें उन किसानों को शामिल किया गया है जो प्रतिकूल मौसम के कारण फसल नहीं उगा पाते हैं। इसके बाद ये किसान बीमा राशि के अधिकतम 25% तक क्षतिपूर्ति दावे के पात्र बन जाएंगे।
  • फसल कटाई के बाद की हानियाँ: “कटी हुई और फैली हुई” स्थिति (खेत में सूखने के लिए छोड़ी गई फसल) में संग्रहीत फसलों के लिए कटाई के बाद 14 दिनों तक कवरेज उपलब्ध है।
  • स्थानीय आपदाएँ: अधिसूचित क्षेत्र में विशिष्ट कृषि भूमि को प्रभावित करने वाली स्थानीय आपदाओं से होने वाले नुकसान के लिए कवरेज प्रदान करता है।

योजना के मुख्य लाभ

वहनीय प्रीमियम: खरीफ खाद्य और तिलहन फसलों के लिए किसान द्वारा देय अधिकतम प्रीमियम 2% होगा।

  • रबी खाद्य एवं तिलहन फसलों के लिए यह 1.5% तथा वार्षिक वाणिज्यिक या बागवानी फसलों के लिए यह 5% होगा।
  • शेष प्रीमियम पर सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाती है।

प्रौद्योगिकी-संचालित कार्यान्वयन : PMFBY फसल कटाई प्रयोगों (CCEs) की योजना, उपज आकलन, हानि आकलन आदि के लिए उपग्रह इमेजरी, ड्रोन, मानव रहित हवाई वाहन (UAV) और रिमोट सेंसिंग जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करती है।

समय पर मुआवजा: PMFBY का लक्ष्य फसल कटाई के दो महीने के भीतर देय का निपटान करना है।

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