संदर्भ:
हालिया अध्ययन से पता चला है कि 1950 से 2021 तक 204 देशों और प्रदशों के प्रजनन दर में वैश्विक गिरावट आई है। अनुमान है कि प्रसव-पूर्व नीतियों के सफल कार्यान्वयन के बाद भी दरें कम ही रहेंगी।
अन्य संबंधित जानकारी
- ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज, इंजरी एंड रिस्क फैक्टर्स स्टडी (GBD) 2021 के अनुसार , भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) 1950 के दशक के 6.18 से 2021 में तेजी से घटकर 1.9 हो गई है ।
- वर्तमान TRF प्रतिस्थापन प्रजनन स्तर 2.1 से भी नीचे है जो जनसंख्या स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
- GBD अध्ययन के अनुसार प्रजनन दर 2100 तक घटकर 1.04 हो जाएगी, जो प्रति महिला लगभग एक बच्चे के बराबर है।
भारत में प्रजनन क्षमता में गिरावट के कारण
- परिवार नियोजन और नीतियां: भारत में दीर्घकालिक परिवार नियोजन कार्यक्रमों ने इसमें योगदान दिया है, लेकिन अन्य कारकों ने भी बड़ी भूमिका निभाई है।
- आर्थिक दबाव: बढ़ती मुद्रास्फीति, उच्च जीवन-यापन लागत और आर्थिक अनिश्चितता के कारण माता-पिता बनना आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो रहा है तथा कई परिवार बच्चों के पालन-पोषण की लागत को संतुलित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
- सामाजिक दृष्टिकोण में परिवर्तन: महिलाएं तेजी से अपने विकल्पों का प्रयोग कर रही हैं, अक्सर देर से शादी करने या शादी ही न करने का विकल्प चुनती हैं, और मातृत्व की अपेक्षा कैरियर और वित्तीय स्वतंत्रता को चुनती हैं।
- बढ़ती जनन-अक्षमता: जीवनशैली, तनाव और पर्यावरणीय कारकों के कारण पुरुषों मेंजनन- अक्षमता और महिलाओं में बढ़ते गर्भपात के कारण दम्पतियों के लिए बच्चे पैदा करना कठिन हो रहा है, जिससे प्रजनन क्षमता में गिरावट आ रही है।
- प्रवास की भूमिका: उच्च शिक्षा और नौकरी के लिए विदेश जाने तथा वहीं बसने और अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाले युवा पुरुषों और महिलाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है, तथा प्रवासन भी प्रजनन स्तर में गिरावट का एक कारक है।
घटती प्रजनन क्षमता के निहितार्थ
• वृद्ध होती जनसंख्या: प्रजनन दर में गिरावट के कारण जनसंख्या वृद्ध होती जा रही है। 2050 तक भारत में ऐसी स्थिति आ सकती है, जब वृद्धों की संख्या बच्चों से अधिक हो जाएगी।
- भारत एजिंग रिपोर्ट 2023 के अनुसार , देश में बुजुर्ग आबादी का प्रतिशत 2050 तक दोगुना होकर कुल जनसंख्या का 20% से अधिक हो जाने का अनुमान है।
• युवा कार्यबल में गिरावट: प्रजनन क्षमता में गिरावट के कारण कार्यबल में प्रवेश करने वाले युवाओं की संख्या में कमी आ रही है।
• स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक सुरक्षा पर दबाव: घटती कार्यशील आबादी के कारण सरकारों पर स्वास्थ्य और बुजुर्गों की देखभाल पर व्यय बढ़ने से सामाजिक और आर्थिक दबाव पड़ सकता है।
• केरल की स्थिति: केरल में जीवन स्तर उच्च है, लेकिन युवाओं के राज्य छोड़ने के कारण यहां श्रमिकों की कमी है।
- 2030 तक प्रवासी श्रमिकों का अनुपात लगभग 60 लाख तक पहुंच सकता है, जो राज्य की आबादी का छठा हिस्सा होगा।
समाधान
- आर्थिक सुधार: भारत को ऐसी नीतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो आर्थिक विकास को बढ़ावा दें और अधिक नौकरियां उत्पन्न करें। इससे वृद्ध होती आबादी और कम कार्यबल को सहायता मिलेगी।
- बुजुर्ग आबादी का लाभ उठाना: प्रासंगिक कौशल विकास को बढ़ावा देकर तथा घटती प्रजनन दर के प्रभावों को कम करने के लिए उन्हें आर्थिक गतिविधियों में शामिल करके बढ़ती हुई वरिष्ठ नागरिक आबादी की क्षमता का दोहन करना आवश्यक है।
• पारिवारिक वृद्धि को प्रोत्साहित करना: भारत बड़े परिवारों को प्रोत्साहित करने के लिए नीतियां लागू कर सकता है, जैसे कर में छूट, बच्चों की देखभाल में सब्सिडी तथा युवा परिवारों के लिए वित्तीय सहायता।
- देखभाल में लैंगिक असमानता से निपटने और कार्य-जीवन संतुलन में सुधार करने से भी प्रजनन दर बढ़ाने में सहायता मिल सकती है।
• शिक्षा और जागरूकता: जन जागरूकता अभियान परिवार और लैंगिक भूमिकाओं के प्रति दृष्टिकोण बदलने में सहायता कर सकते हैं। स्वस्थ पारिवारिक नीतियों को बढ़ावा देने से अधिक लोगों को बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।