संदर्भ:

भारत की पहली वाणिज्यिक उपयोगिता-स्तरीय बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS), एक उन्नत इन्वर्टर जो ग्रिड को बिजली की आपूर्ति करने में सक्षम है।

  • दक्षिण दिल्ली के किलोकरी स्थित BSES राजधानी सबस्टेशन में 20 मेगावाट/40 मेगावाट घंटे की बैटरी क्लस्टर प्रणाली स्थापित की गई है, जो प्रतिदिन चार घंटे बिजली प्रदान करती है।
  • यह उन्नत भंडारण प्रणाली अतिरिक्त अक्षय ऊर्जा को संग्रहीत करती है और चरम मांग के दौरान इसे जारी करती है, जिससे ग्रिड की विश्वसनीयता और स्थिरता में सुधार होता है।
  • प्रमुख  विशेषताएँ
    • ऊर्जा भंडारण: यह प्रणाली भविष्य में उपयोग के लिए ऊर्जा संग्रहीत कर सकती है।
    • निरंतर आपूर्ति: मौसम, ब्लैकआउट या भू-राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद स्थिर बिजली सुनिश्चित करती है।
    • अक्षय ऊर्जा का समर्थन: सौर ऊर्जा (PV) को दिन में संग्रहीत कर रात में उपयोग के लिए उपलब्ध कराती है।

अनुप्रयोग

  • वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्र:
    • पीक शेविंग: अचानक खपत में वृद्धि को रोकने के लिए ऊर्जा मांग प्रबंधन।
    • लोड शिफ्टिंग: ऊर्जा उपयोग को ऑफ-पीक समय में स्थानांतरित कर लागत बचत।
    • लचीलापन: ग्रिड की मांग में कमी और मांग प्रतिक्रिया कार्यक्रमों में सहायता।
    • माइक्रोग्रिड: मुख्य ग्रिड से स्वतंत्र संचालन।
    • नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण: नवीकरणीय स्रोत अनुपलब्ध होने पर भी निरंतर बिजली आपूर्ति।
  • आवासीय क्षेत्र:
    • स्व-उपभोग: सौर ऊर्जा को संग्रहीत कर रात में उपयोग।
    • आपातकालीन बैकअप: ब्लैकआउट के दौरान बिजली उपलब्ध कराना।
    • ऑफ-ग्रिड क्षमता: ग्रिड से पूर्ण पृथक्करण।
  • बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली के लाभ
    • पर्यावरणीय: प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग को कम करता है।
    • लागत में कमी: कम कीमत पर ऊर्जा संग्रहीत कर पीक समय में उपयोग।
    • ग्रिड निर्भरता में कमी: अस्थिरता या चरम मौसम के दौरान भी ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित।
    • 24/7 आपूर्ति: सौर ऊर्जा के उतार-चढ़ाव की भरपाई।
    • व्यावसायिक निरंतरता: आपातकालीन बैकअप द्वारा लचीलापन।

बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के प्रकार

  • बिहाइंड-द-मीटर (BTM):
    • साइट पर स्थापित छोटे सिस्टम।
    • ऊर्जा स्थिरता में सुधार और ग्रिड को ऊर्जा आपूर्ति की क्षमता।
  • फ्रंट-ऑफ-द-मीटर (FTM):
    • ग्रिड से सीधे जुड़े बड़े सिस्टम।
    • नेटवर्क भीड़ कम करने और नई बिजली लाइनों के विकल्प के रूप में उपयोग।

भारत की ऊर्जा भंडारण रणनीति

  • भारत ने वर्ष  2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन से स्थापित क्षमता का 50% और सकल घरेलू उत्पाद उत्सर्जन तीव्रता (2005 के स्तर से) में 45% की कमी लाने का लक्ष्य रखा है।
  • ऊर्जा भंडारण प्रणालियाँ (ESS) ग्रिड को स्थिर करने, अतिरिक्त नवीकरणीय ऊर्जा को संग्रहीत करने और व्यस्त घंटों के दौरान आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद करती हैं।
  • ESS के लाभों में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन परिवर्तनशीलता को कम करना, ग्रिड स्थिरता में सुधार करना, व्यस्त समय में बदलाव को सक्षम करना और नवीकरणीय एकीकरण का समर्थन करना शामिल है।
  • राष्ट्रीय विद्युत योजना (2023) में ESS क्षमता का अनुमान लगाया गया है:
    • 2026-27 में 82.37 GWh।
    • 2031-32 तक 411.4 GWh।
    • 2047 तक 2380 गीगावाट घंटा।
  • ऊर्जा भंडारण दायित्व (ESO) वित्त वर्ष 2023-24 में 1% से बढ़कर वित्त वर्ष 2029-30 तक 4% हो जाएगा, जिसमें 85% संग्रहीत ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त होगी।
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