संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने यूजीसी (विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों और अकादमिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यता और उच्च शिक्षा में मानकों के अनुरक्षण के उपाय) विनियम, 2025 का मसौदा जारी किया।
अन्य संबंधित जानकारी
- यूजीसी ने हितधारकों और आम जनता को मसौदे पर प्रतिक्रिया और सुझाव देने के लिए 30 दिन का समय दिया है।
- केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के नए सभागार ‘पुष्पगिरी’ का भी उद्घाटन किया।
UGC विनियमन 2025 की मुख्य विशेषताएं
लचीलापन: अभ्यर्थी उन विषयों में NET/SET के माध्यम से संकाय पदों के लिए अर्हता प्राप्त कर सकते हैं जो उनकी स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री से अलग हो।
- इसके अलावा, पी.एच.डी. डिग्री का विषय पूर्ववर्ती डिग्रियों पर वरीयता लेगा।
उप-कुलपतियों की नियुक्ति: मसौदे में उप-कुलपति की नियुक्ति के लिए कुलपति को तीन सदस्यीय खोज-सह-चयन समिति गठित करने की शक्तियां दी गई हैं।
- अब तक राज्य सरकारें कुलपतियों की नियुक्ति के लिए चयन समितियों का गठन करती थीं।
- इस विनियमन में कुलपति पद के लिए उद्योग, लोक नीति, लोक प्रशासन या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से व्यक्तियों को भी शामिल करने का प्रस्ताव है जिससे केवल शिक्षाविदों द्वारा चयन की परंपरा समाप्त हो गई है।
अनुबंध शिक्षकों की भर्ती सरल बनाना: मसौदा विनियमन अनुबंध शिक्षकों की नियुक्तियों पर लगे प्रतिबंधों को हटाता है। 2018 के विनियमों ने ऐसी नियुक्तियों को संस्थान के कुल संकाय पदों के 10% तक सीमित कर दिया था।
भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना: यह विनियमन शैक्षणिक प्रकाशनों और डिग्री कार्यक्रमों में भारतीय भाषाओं के उपयोग को प्रोत्साहित करता है।
समग्र मूल्यांकन: यह अकादमिक प्रदर्शन संकेतक (API) प्रणाली को भी समाप्त कर देता है। इसके तहत पत्रिकाओं में प्रकाशन जैसे मापदंडों के आधार पर शिक्षकों की भर्ती और पदोन्नति निर्धारित जाती थी।
- शिक्षकों की भर्ती और पदोन्नति के लिए “भारतीय भाषाओं में शिक्षण योगदान” और “भारतीय ज्ञान प्रणालियों में शिक्षण-अधिगम और अनुसंधान” सहित नौ श्रेणियों में “उल्लेखनीय योगदान” पर विचार किया जाएगा।
विविधतापूर्ण प्रतिभा पूल: यह कला, खेल और पारंपरिक विषयों के विशेषज्ञों के लिए समर्पित भर्ती का मार्ग प्रशस्त करते है।
समावेशिता: यह विकलांगों सहित निपुण खिलाड़ियों को शिक्षण व्यवसाय में प्रवेश करने के अवसर प्रदान करता है।
सरलीकृत पदोन्नति प्रक्रिया: पदोन्नति के मानदंडों को सरल बनाया गया है, जिसमें शिक्षण, अनुसंधान कार्य और शैक्षणिक योगदान पर बल दिया गया है।
व्यावसायिक विकास पर ध्यान: संकाय विकास कार्यक्रमों के माध्यम से शिक्षकों के लिए निरंतर सीखने और कौशल वृद्धि को प्रोत्साहित किया जाता है।
संवर्धित पारदर्शिता और जवाबदेही : भर्ती, पदोन्नति और शिकायतों के समाधान के लिए पारदर्शी प्रक्रियाओं को बढ़ावा देता है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के बारे में
UGC की औपचारिक स्थापना 1956 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम 1956 के माध्यम से भारत सरकार के एक सांविधिक निकाय के रूप में की गई थी।
UGC का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
UGC के अधिदेश में निम्नलिखित शामिल हैं:
- विश्वविद्यालय शिक्षा को बढ़ावा देना और समन्वय करना।
- विश्वविद्यालयों में शिक्षण, परीक्षा और अनुसंधान के मानकों का निर्धारण और रखरखाव करना।
- शिक्षा के न्यूनतम मानकों पर विनियमन तैयार करना।
- महाविद्यालयी एवं विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में विकास की निगरानी करना तथा विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को अनुदान वितरित करना।
- विश्वविद्यालय शिक्षा में सुधार के लिए आवश्यक उपायों पर केन्द्र एवं राज्य सरकारों को सलाह देना।