संदर्भ:
हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ( MoEFCC ) ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून में दो सुविधा केंद्रों का उद्घाटन किया है।
अन्य संबंधित जानकारी
मंत्रालय ने निम्नलिखित दो सुविधाओं का उद्घाटन किया है:
- पश्मीना प्रमाणन के लिए उन्नत सुविधा
- अगली पीढ़ी की DNA अनुक्रमण सुविधा
ये नई सुविधाएं पिछले वर्ष रखी गई ,जब पश्मीना प्रमाणन केंद्र (PCC) का उद्घाटन किया गया था और पहला विशिष्ट पहचान बारकोड और प्रमाण पत्र जारी किया गया था।
पश्मीना प्रमाणन के लिए उन्नत सुविधा
- पश्मीना प्रमाणन के लिए उन्नत सुविधा में अब एनर्जी डिस्पर्सिव स्पेक्ट्रोस्कोपी (EDS) के साथ एक समर्पित स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (SEM) शामिल है, जो ऊन परीक्षण और प्रमाणन की सटीकता और विश्वसनीयता को बढ़ाता है। इससे ऊन परीक्षण और प्रमाणीकरण की सटीकता और विश्वसनीयता में सुधार होगातथा पश्मीना उत्पादों की प्रामाणिकता सुनिश्चित होगी।
- अपनी स्थापना के बाद से, PCC ने 15,000 से अधिक शॉलों को प्रमाणित किया है, जिससे अन्य रेशों के मिश्रण को रोका जा सका है तथा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में सुचारू व्यापार को बढ़ावा मिला है।
अगली पीढ़ी की DNA अनुक्रमण सुविधा
- यह एक क्रांतिकारी तकनीक है जो लाखों DNA अनुक्रमों का एक साथ विश्लेषण करते हुए संपूर्ण जीनोम की तीव्र गति से डिकोडिंग को सक्षम बनाती है।
- यह सुविधा शोधकर्ताओं को आनुवंशिक विविधता, विकासवादी संबंधों और जनसंख्या स्वास्थ्य के बारे में गहन जानकारी प्राप्त करने में सहायता करती है।
- यह भारतीय वन्यजीव संस्थान को वन्यजीव संरक्षण में आणविक और आनुवंशिक अनुसंधान के लिए एक अग्रणी केंद्र के रूप में स्थापित करता है , जिससे जैव विविधता जीनोमिक्स, जनसंख्या आनुवंशिकी और रोग निगरानी जैसे क्षेत्रों में उन्नत अध्ययन संभव हो पाएगा।
पश्मीना ऊन के बारे में
यह एक प्रकार का उच्च गुणवत्ता वाला ऊन है जो चांगथांगी या पश्मीना बकरी से प्राप्त होता है। “पश्मीना” शब्द फ़ारसी शब्द “पश्म” से आया है, जिसका अर्थ है “नरम ऊन।”
2008 में कश्मीरी पश्मीना को भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्राप्त हुआ।
- भौगोलिक संकेत (GI) एक चिह्न है जिसका उपयोग उन उत्पादों के लिए किया जाता है जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है तथा जिनमें उस उत्पत्ति के कारण गुण या प्रतिष्ठा होती है।