संदर्भ:

हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी-सी59/प्रोबा-3 मिशन का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया।

अन्य संबंधित जानकारी

  • प्रोबा-3 का विकास 200 मिलियन यूरो की अनुमानित लागत से किया गया है और इसके दो वर्ष तक की अवधि  के लिए डिजाइन किया गया है 
  • अंतरिक्ष यान को अत्यधिक दीर्घवृत्ताकार कक्षा में स्थापित किया गया है, जिसकी उपभू (पृथ्वी से निकटतम बिंदु) लगभग 600 किमी तथा अपभू (सबसे दूरस्थ बिंदु) 60,530 किमी है। यह 59 डिग्री के झुकाव पर है, तथा इसकी परिक्रमा अवधि 19.7 घंटे है। 
  • इसके पूर्ववर्ती प्रोबा-1 को भी 2001 में इसरो द्वारा प्रक्षेपित किया गया था तथा प्रोबा-2 को 2009 में रोस्कोस्मोस द्वारा प्रक्षेपित किया गया था।
  • स्पेन, बेल्जियम, पोलैंड, इटली और स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों की टीमों ने प्रोबा-3 में सहयोग किया है।

प्रोबा-3 मिशन के बारे में

ऑन-बोर्ड ऑटोनॉमी-3 (प्रोबा-3) मिशन परियोजना का उद्देश्य सूर्य की सबसे बाह्य परत कोरोना का अध्ययन करना है।

इसे ईएसए का प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन माना जाता है।

इस मिशन को दो उपग्रहों के साथ डिजाइन किया गया है जिन्हें एक साथ, एक दूसरे से अलग-अलग प्रक्षेपित किया जाएगा तथा  वे एक साथ उड़ान भर सकेंगे। 

यह पहली बार “सटीक संरचना उड़ान (precision formation flying )” का भी प्रयास करेगा, जहां दो उपग्रह एक साथ उड़ान भरेंगे और अंतरिक्ष में एक निश्चित विन्यास बनाए रखेंगे।

ये उपग्रह सौर कोरोनाग्राफ बनाएंगे।

  • कोरोनाग्राफ एक ऐसा उपकरण है जो सूर्य के तेज प्रकाश को रोककर वस्तुओं और उसके आसपास के वातावरण का अध्ययन करने में सहायता करता है।

मिशन में निम्नलिखित 3 उपकरण होंगे: –

  • कोरोनाग्राफ, जिसे ASPIICS कहा जाता है (सूर्य के कोरोना के पोलारिमेट्रिक और इमेजिंग जांच के लिए अंतरिक्ष यान संघ): यह सूर्य के बाह्य और आंतरिक कोरोना का निरीक्षण करेगा, जो सूर्य ग्रहण के दौरान देखा जाने वाला क्षेत्र है। इस क्षेत्र के स्पष्ट दृश्य के लिए सूर्य के प्रकाश को रोकने हेतु इसमें 1.4 मीटर चौड़ी डिस्क है।
  • डिजिटल एब्सोल्यूट रेडियोमीटर (DARA) : यह सूर्य के कुल ऊर्जा उत्पादन को मापेगा जिसे कुल सौर विकिरण के रूप में जाना जाता है।
  • 3डी एनर्जेटिक इलेक्ट्रॉन स्पेक्ट्रोमीटर (3DEES): यह पृथ्वी के विकिरण बेल्ट से गुजरते इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह को मापेगा, जिससे अंतरिक्ष मौसम अनुसंधान में सहायता मिलेगी।

प्रोबा-3 की कार्यप्रणाली

प्रोबा-3 में दो उपग्रह शामिल हैं:
  • ऑकुल्टर अंतरिक्ष यान (200 किग्रा)
  • कोरोनाग्राफ अंतरिक्ष यान (340 किग्रा)

ये दोनों उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में स्वयं को स्थापित करके प्राकृतिक सूर्यग्रहण का अनुकरण करने के लिए एक साथ काम करेंगे (एक उपग्रह दूसरे पर छाया डालेगा)।

  • प्राकृतिक रूप से घटित होने वाला सूर्यग्रहणसौर भौतिकविदों को प्रति वर्ष औसतन लगभग 1.5 ग्रहण घटनाओं के माध्यम से, 10 मिनट तक सूर्य के कोरोना का निरीक्षण और अध्ययन करने का अवसर प्रदान करता है।
  • प्रोबा-3 पर लगे उपकरण एक बार में छह घंटे तक सौर रिम के निकट परिक्रमा करेंगे, जो सालाना 50 ऐसी घटनाओं के बराबर है, जिससे सूर्य के कोरोना के बारे में अभूतपूर्व समझ विकसित करने में सहायता मिलेगी।

यह मिशन ऑकुल्टर सूर्य के अधिकांश प्रकाश को अवरुद्ध करके एक कृत्रिम, स्थिर ग्रहण बनाएगा।

इससे कोरोनाग्राफ को सूर्य के कोरोना की स्पष्ट तस्वीरें लेने में सहायता मिलेगी, जिससे ऐसे विवरण सामने आएंगे जिनका अध्ययन करना आमतौर पर कठिन होता है।

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