वैश्विक ऊर्जा दक्षता गठबंधन
संदर्भ:
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (UNFCCC) के कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (COP 29) में वैश्विक ऊर्जा दक्षता गठबंधन का शुभारंभ किया है।
वैश्विक ऊर्जा दक्षता गठबंधन
- इस कदम का उद्देश्य 2030 तक वैश्विक ऊर्जा दक्षता को दोगुना करना तथा उत्सर्जन में महत्वपूर्ण कमी लाना है।
- इसका उद्देश्य ज्ञान साझाकरण को बढ़ावा देना, क्षमता निर्माण करना और नीतियों को मानकीकृत करना है जो ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं में निवेश को प्रोत्साहित कर सके।
- यह गठबंधन सर्वोत्तम प्रथाओं के संकलन और प्रसार पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें अफ्रीकी देशों की सहायता पर विशेष जोर दिया जाएगा।
- गठबंधन का उद्देश्य रणनीतिक सार्वजनिक-निजी साझेदारी को प्रोत्साहित करना तथा ऊर्जा दक्षता पहलों में निवेश को बढ़ावा देना है।
चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारा
संदर्भ:
भारत ने व्लादिवोस्तोक-चेन्नई शिपिंग मार्ग को सक्रिय कर दिया है तथा इस समुद्री गलियारे के साथ कम से कम दो अन्य पूर्वी तट बंदरगाहों, पारादीप और वाईजैग को जोड़ने की योजना बना रहा है।
अन्य संबंधित जानकारी
सागरमंथन : द ग्रेट ओशन्स डायलॉग’ के उद्घाटन अवसर पर पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री ने कहा कि भारत ‘समुद्री विजन 2047’ के तहत सभी सूचकांकों में दुनिया का सर्वश्रेष्ठ समुद्री राष्ट्र बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है ।
- सागरमंथन वैश्विक नेताओं, नीति निर्माताओं और दूरदर्शी लोगों के लिए अंतर्दृष्टि साझा करने और भविष्य को आकार देने के लिए दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा समुद्री विचार नेतृत्व मंच है।
पारादीप बंदरगाह वित्त वर्ष 2024 में 145.38 मिलियन टन कार्गो की ढुलाई के साथ भारत का सबसे बड़ा प्रमुख बंदरगाह बन गया।
चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारा
- चेन्नई-व्लादिवोस्तोक मार्ग लगभग 5,600 समुद्री मील की दूरी तय करता है और भारत के दक्षिण-पूर्वी बंदरगाह को रूस के सुदूर पूर्व से जोड़ता है। यह आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले लाल सागर मार्ग का एक रणनीतिक विकल्प है।
- व्लादिवोस्तोक प्रशांत महासागर पर सबसे बड़ा रूसी बंदरगाह है, जो चीन-रूस सीमा से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित है।
- अनुमान है कि इस गलियारे से सुदूर पूर्व क्षेत्र के भारतीय और रूसी बंदरगाहों के बीच माल परिवहन में लगने वाले समय में 16 दिन तक की कमी आएगी।
- इस नए समुद्री मार्ग की स्थापना से सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम, मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों के साथ व्यापार को सुगम बनाने के लिए व्यापार के अवसरों में वृद्धि की संभावना है।
थाई सैकब्रूड वायरस
संदर्भ:
थाई सैकब्रूड वायरस (TSBV) दक्षिण भारत में एशियाई मधुमक्खी (एपिस सेराना ) के लिए खतरा पैदा कर रहा है।
थाई सैकब्रूड वायरस
- सैकब्रूड वायरस (SBV) का एक प्रकार है , जो मधुमक्खियों की कॉलोनियों को प्रभावित करने वाला एक विषाणुजनित रोग है। इसे पहली बार 1976 में थाईलैंड में देखा गया था।
- यह रोग मधुमक्खियों के लार्वा को मार देता है, जिससे मधुमक्खियों की कॉलोनियाँ की जनसंख्या कम हो जाती है।
- पश्चिमी मधुमक्खी (एपिस मेलिफेरा) पर आक्रमण करने वाला सैकब्रूड वायरस, TSBV की तुलना में कम विषैला होता है।
- 1991-1992 में थाई सैकब्रूड वायरस के प्रकोप ने दक्षिण भारत में एशियाई मधुमक्खी कालोनियों के लगभग 90% को तबाह कर दिया था। यह 2021 में तेलंगाना में भी फिर से उभरा।
मधुमक्खी
भारत में 700 से अधिक मधुमक्खी की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें चार स्वदेशी मधुमक्खियां शामिल हैं:
- एशियाई शहद मधुमक्खी (एपिस सेराना इंडिका)
- विशाल मधुमक्खी (एपिस डोरसाटा )
- छोटी शहद मधुमक्खी (एपिस फ्लोरिया )
- डंक रहित मधुमक्खी (प्रजाति ट्राइगोना)
देश में शहद उत्पादन बढ़ाने के लिए 1983 में पश्चिमी मधुमक्खियां (एपिस मेलिफेरा) भारत में लाई गईं।