संदर्भ:

हाल ही में, नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) ने महाराष्ट्र के पुणे में विश्व  के पहले कार्बनडाइऑक्साइड (CO2)-से-मेथनॉल रूपांतरण संयंत्र का शुभारंभ किया।

कार्बनडाइऑक्साइड से मेथनॉल उत्पादन संयंत्र का  विवरण

एनटीपीसी ने मेथनॉल संश्लेषण के लिए ‘प्रथम स्वदेशी उत्प्रेरक’ का विकास और परीक्षण भी किया है तथा हाइड्रोजन, कार्बन कैप्चर जैसी  अन्य नवीन प्रौद्योगिकियों के साथ पर्याप्त प्रगति की है।

कार्बनडाइऑक्साइड का मेथनॉल में रूपांतरण एक प्रक्रिया है जिसे कार्बनडाइऑक्साइड अपचयन के रूप में जाना जाता है और इसमें निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं: 

  • कार्बनडाइऑक्साइड का संग्रहण और शुद्धिकरण: कार्बनडाइऑक्साइड को औद्योगिक प्रक्रियाओं से या सीधे हवा से ग्रहण किया जाता है और फिर अशुद्धियों को दूर करने के लिए शुद्ध किया जाता है।
  • निम्न-कार्बन-तीव्रता वाले हाइड्रोजन का उत्पादन: यह आरम्भ में कार्बन संग्रहण द्वारा मीथेन के पुनःसंरूपण  से होता है, किन्तु समय के साथ सौर, पवन या जलविद्युत से नवीकरणीय विद्युत  का उपयोग करके पानी के विद्युत अपघटन (electrolysis) से भी उत्पन्न होता है।
  • कार्बनडाइऑक्साइड का कार्बन मोनोऑक्साइड में रूपांतरण: कार्बनडाइऑक्साइड को हाइड्रोजन गैस (H2) के साथ प्रतिक्रिया करके कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और जल (H2O) बनाया जाता है। इसे रिवर्स वॉटर-गैस शिफ्ट रिएक्शन के रूप में जाना जाता है। 
  • कार्बन मोनोऑक्साइड का मेथनॉल में रूपांतरण: पिछले चरण में उत्पादित कार्बन मोनोऑक्साइड को उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया कराकर मेथनॉल (CH3OH) बनाया जाता है।  

कार्बन, संग्रहण और उपयोग 

इसमें कार्बनडाइऑक्साइड (CO2) का संग्रहण और इसे विभिन्न तरीकों से उपयोग करना शामिल है:

  • कार्बनडाइऑक्साइड का उपयोग बिना किसी रासायनिक परिवर्तन के किया जा सकता है जैसे- उर्वरक उद्योग में।
  • कार्बनडाइऑक्साइड को अन्य उत्पादों में परिवर्तित किया जा सकता है, जैसे- कृत्रिम ईंधन और रसायन।

पिनाक  रॉकेट प्रणाली

संदर्भ:

फ्रांसीसी सेना अपने सशस्त्र बलों द्वारा संभावित उपयोग के लिए भारत की स्वदेशी पिनाक  मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) प्रणाली का मूल्यांकन कर रही है।

पिनाका रॉकेट प्रणाली क्या है?

  • भगवान शिव के दिव्य धनुष के नाम पर इसका नाम पिनाक रखा गया।   इसका सर्वप्रथम उपयोग  1999 में पाकिस्तान के खिलाफ कारगिल युद्ध में किया गया  था।
  • इसे पुणे स्थित आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान  (ARDE) द्वारा विकसित किया गया है, जो रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की एक महत्वपूर्ण शाखा है।

प्रणाली की विशेषताएं

स्वरूप:

  • एमके-I: 37.5 किमी (23.3 मील)
  • एमके-I उन्नत: 45 किमी (28 मील)
  • एमके-II: 60 किमी (37 मील)
  • गाइडेड पिनाक : 75 किमी (47 मील)
  • ईआरआर 122: 40 किमी (25 मील) (परीक्षण चरण)
  • एमके-II ईआर: 90 किमी (56 मील) (परीक्षण चरण)
  • एमके-III: 120 किमी (75 मील) (विकासाधीन)
  • एमके-III ईआर: 300 किमी (190 मील) (विकासाधीन)

प्रक्षेपण प्रणाली: इसमें आमतौर पर ट्रक पर प्लेटफॉर्म लगा होता है जिसमें कई प्रक्षेपण ट्यूब  (Launch tubes) होते हैं, जिससे त्वरित पुनःतैनाती की सुविधा मिलती है। रॉकेट को अलग-अलग या एक साथ अलग-अलग दिशाओं में दागा जा सकता है। 

मार्गदर्शन: यह  अनिर्देशित और निर्देशित दोनों रॉकेटों का उपयोग करता है, जिससे लक्ष्य निर्धारण में बहुमुखी विकल्प मिलता है। मिसाइल की नौपरिवहन प्रणाली भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली से जुड़ी हुई है। 

 ‘शौर्य गाथा’ परियोजना

संदर्भ:

हाल ही में, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने शिक्षा और पर्यटन के माध्यम से भारत की सैन्य विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने हेतु ‘शौर्य गाथा’ परियोजना शुरू की।

 ‘शौर्य गाथा’ परियोजना क्या है?

  • यह  पहल भारतीय सशस्त्र बल  कर्मियों की विरासत, विशेषकर उनके बलिदान एवं योगदान को सम्मानित करने और संरक्षित करने पर केंद्रित है।
  • सहयोग: यह भारत के यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन (USI) के सहयोग से सैन्य मामले विभाग की संयुक्त  पहल है।
  • लक्ष्य: विभिन्न माध्यमों से सैनिकों की वीरता, बहादुरी और कहानियों को प्रदर्शित  करना।
  • उद्देश्य: भारतीय सशस्त्र बल  कर्मियों के साहस और बलिदान का जश्न मनाना, विशेष रूप से उन लोगों का जिन्होंने देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया।
  • विस्तार : सेना, नौसेना, वायु सेना और अर्धसैनिक बलों सहित सेना की सभी शाखाओं के सैनिकों की कहानियों को शामिल किया गया है। 
  • माध्यम: इन वीरतापूर्ण कार्यों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए पुस्तकों, वृत्तचित्रों और ऑनलाइन प्लेटफार्मों का उपयोग किया जाता है।
  • शैक्षिक मूल्य: इसका लक्ष्य युवा पीढ़ी को देशभक्ति, निस्वार्थता और राष्ट्रीय कर्तव्य के वास्तविक सार के बारे में शिक्षित करना है।
  • सामुदायिक भागीदारी: श्रद्धांजलि, कहानियों और स्मारक कार्यक्रमों के रूप में सार्वजनिक भागीदारी को प्रोत्साहित करता है।
  • राष्ट्रीय प्रभाव: सेना के प्रति तथा राष्ट्र की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने में इसकी स्थायी भूमिका के प्रति गौरव और सम्मान की भावना को प्रेरित करता है।

भारतीय सैन्य विरासत महोत्सव 

  • यह भारत के यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन द्वारा अपने सैन्य इतिहास एवं संघर्ष अध्ययन केंद्र (CMHCS) के माध्यम से आयोजित एक प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम है। 
  • इस महोत्सव का उद्देश्य भारत की सैन्य परंपराओं और सामरिक प्राथमिकताओं के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना है।
  • पहला वार्षिक भारतीय सैन्य विरासत महोत्सव अक्टूबर 2023 में नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में आयोजित किया गया था।

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