संदर्भ:

हाल ही में, कर्नाटक वक्फ बोर्ड ने बीदर किले के अंदर स्थित 17 स्मारकों की पहचान की है जो वक्फ बोर्ड से संबंधित हैं।     

अन्य संबंधित जानकारी                    

  • कर्नाटक वक्फ बोर्ड ने बीदर किले के परिसर में स्थित 60 संपत्तियों में से 17 संपत्तियों को वक्फ बोर्ड की संपत्ति के रूप में चिन्हित किया है।  
  • इन संपत्तियों में प्रसिद्ध 16-खंबा (सोलह स्तंभ) मस्जिद और विभिन्न बहमनी शासकों की 14 कब्रें शामिल हैं। 
  • वक्फ बोर्ड ने कर्नाटक के अन्य 53 ऐतिहासिक स्मारकों पर भी स्वामित्व का दावा किया है। 
  • कर्नाटक सरकार ने वक्फ अधिनियम के तहत भूमि दाखिल खारिज रिकॉर्ड में बदलाव करने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है। 

बीदर किला 

  • स्थान: यह किला उत्तरी कर्नाटक में बीदर पठार के किनारे पर बीदर के पुराने शहर क्षेत्र में स्थित है। 
  • यूनेस्को मान्यता: 2014 में, किले के परिसर को “दक्कन सल्तनत के स्मारक और किले” श्रेणी के अंतर्गत विश्व धरोहर स्थल के दर्जे के लिए यूनेस्को की अस्थायी सूची में रखा गया था।
  • सांस्कृतिक महत्व: यह किला कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है, जिसमें बहमनी राजवंश का उत्थान और पतन तथा उसके बाद विभिन्न राजवंशों का शासन शामिल है।   

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

  • निर्माण: किले का निर्माण शुरू में अहमद शाह वली बहमनी ने करवाया था और बाद में अहमद शाह प्रथम के शासन में इसका  पुनर्निर्माण किया गया।
  • राजधानी का दर्जा: 1427 में सुल्तान अहमद शाह प्रथम ने राजधानी को गुलबर्ग से बीदर स्थानांतरित कर दिया जिससे किले के भीतर प्रमुख वास्तुशिल्प विकास प्रारंभ हुआ।   
  • राजवंशीय परिवर्तन: यह किला कई राजवंशों जैसे बहमनी साम्राज्य, बीजापुर सल्तनत, मुगल साम्राज्य और अंततः आसफ़ जाही निजाम साम्राज्य के अधीन रहा।                  
  • आधुनिक परिवर्तन: 1956 के बाद जब हैदराबाद राज्य का विभाजन हुआतो किला नवगठित मैसूर राज्य (वर्तमान कर्नाटक) का हिस्सा बन गया।

वास्तुकला विशेषताएँ:

  • संरचनात्मक अभिविन्यास: किला एक अनियमित समचतुर्भुज आकार का है जिसे लाल लैटेराइट पत्थर से बनाया गया है और इसकी बाहरी दीवारें 2.5 किलोमीटर लम्बी हैं।
  • प्रवेशद्वार: विशाल जटिल द्वार शारजा  दरवाजा और गुम्बद दरवाजा जो दक्षिण दिशा की ओर खुलते हैं गुंबदों, मेहराबों और चित्रों  से सुसज्जित हैं। 
  • रक्षा प्रणाली: किले में एक अद्वितीय ट्रिपल-चैनल खाई है जिसकी चौड़ाई 32 से 41 फीट के बीच और गहराई 30 फीट है। 
  • उल्लेखनीय स्मारक: किले के परिसर में रंगीन महल, तख्त महल (सिंहासन कक्ष), जामी मस्जिद, दीवान-ए-आम (सार्वजनिक दर्शक हॉल) और सोलह खंबा मस्जिद (16-स्तम्भ वाली मस्जिद) जैसी कई महत्वपूर्ण संरचनाएं हैं। 

फ़ारसी प्रभाव:

  • सांस्कृतिक प्रभाव: फ़ारसी प्रभाव विशेष रूप से किले के अंदर और बाहर मस्जिदों, मेहराबों, उद्यानों और महलों के डिजाइन में स्पष्ट दिखाई देता है।
  • जल प्रबंधन: किला अपने पूरे परिसर में नवीन फ़ारसी-प्रेरित जल प्रबंधन प्रणालियों को दर्शाता है। 
  • सजावटी तत्व: फ़ारसी कलात्मकता रंगीन टाइलों से सजी संरचनाओं में स्पष्ट दिखती है, विशेष रूप से रंगीन महल में। 

कर्नाटक राज्य वक्फ बोर्ड

यह वक्फ अधिनियम 1995 के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है ।

यह  सभी वक्फ संस्थाओं पर अधीक्षण और नियंत्रण का अधिकार रखता है। 

  • वक्फ संस्थाओं में मस्जिद, दरगाह, ईदगाह, कब्रस्तान (कब्रिस्तान), आशूरखाना, अनाथालय, मकान आदि शामिल हैं। 

बोर्ड के सदस्य विभिन्न श्रेणियों से मनोनीत एवं निर्वाचित होते हैं और इसके अध्यक्ष का चुनाव सदस्यों द्वारा किया जाता है।           

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