संदर्भ:
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने नई दिल्ली में 96वें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) स्थापना एवं प्रौद्योगिकी दिवस समारोह का उद्घाटन किया।
अन्य संबंधित जानकारी
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, जिसे मूल रूप से इंपीरियल काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के रूप में स्थापित किया गया था, 16 जुलाई, 1929 को अपनी स्थापना के बाद से कृषि अनुसंधान में अग्रणी रहा है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में अनुसंधान को बेहतर बनाने के लिए 16 जुलाई को ‘एक वैज्ञानिक-एक उत्पाद’ कार्यक्रम शुरू किया।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद भारत के कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 100 दिन की समय-सीमा में 100 नई बीज किस्मों और इतनी ही संख्या में कृषि प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए काम कर रहा है।
- प्रदर्शनी के दौरान खेतों में फसलों में पोषक तत्वों और पानी की कमी का पता लगाने के लिए हैंडहेल्ड डिवाइस, एआई-आईओटी सक्षम जूट फाइबर ग्रेडिंग सिस्टम, बायोथर्मोकोल (फसल अवशेषों से माइसेलियम आधारित पैकेजिंग सामग्री) सहित प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित किया गया।
ऐतिहासिक उपलब्धियां
- उच्च उपज देने वाली सुगंधित बासमती चावल की किस्में 42,000 करोड़ रुपये से अधिक के वार्षिक निर्यात में योगदान देती हैं, जिसमें से 90% से अधिक निर्यात भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की निम्न चार किस्मों से आता है: पूसा बासमती 1121, 1509, 1401 और 1718
- वर्ष 2023-24 के दौरान अनाज, तिलहन, चारा फसलों और गन्ने सहित 56 फसलों की कुल 323 किस्में जारी की गईं।
- 14 राज्यों के लिए जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियां विकसित की गईं। आंध्र प्रदेश, पंजाब, बिहार और उत्तर प्रदेश के छोटे और सीमांत किसानों के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली (IFS) मॉडल विकसित किए गए।
- वर्ष 2023 में सात नई पशुधन नस्लों को पंजीकृत किया गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने 4 टीके, 7 डायग्नोस्टिक्स और 10 फ़ीड प्रौद्योगिकियां भी विकसित की हैं।
कार्यक्रम में प्रदर्शित प्रौद्योगिकियों का महत्व
- जलवायु-अनुकूल प्रौद्योगिकियों के प्रयोग से असामान्य वर्षा वाले वर्षों में भी उत्पादन में वृद्धि हुई है।
- उन्नत किस्म के उन्नत गुणवत्ता वाले बीजों तक किसानों की पहुंच से उत्पादकता, कृषि उपज की गुणवत्ता और किसानों की आय में लगातार वृद्धि हुई है।