संदर्भ:

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने 7वीं भारत-जापान चिकित्सा उत्पाद नियामक संगोष्ठी का आयोजन किया।

अन्य संबंधित जानकारी

  • यह संगोष्ठी 10 जुलाई, 2024 को फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) कन्वेंशन हॉल, नई दिल्ली में सफलतापूर्वक आयोजित की गई।
  • यह संगोष्ठी दिसंबर 2015 में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन और उसके जापानी समकक्षों, स्वास्थ्य, श्रम और कल्याण मंत्रालय (MHLW) और फार्मास्युटिकल एंड मेडिकल डिवाइस एजेंसी (PMDA) के बीच हस्ताक्षरित सहयोग ज्ञापन (MoC) के अनुरूप है।  
  • यह सहयोग ज्ञापन दोनों देशों के बीच चिकित्सा उत्पाद विनियमन में सहयोग को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।  

भारत में चिकित्सा उपकरण उद्योग

  • भारत में चिकित्सा उपकरण उद्योग का वर्तमान बाजार आकार 11 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है, भारत उभरते बाजारों में सबसे तेजी से बढ़ता चिकित्सा उपकरण बाजार है।
  • इस क्षेत्र को अनुकूल सरकारी नीतियों का लाभ प्राप्त है, जिसमें चिकित्सा उपकरणों के विनिर्माण के लिए स्वचालित मार्ग के तहत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति भी शामिल है।

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO)

  • यह औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के तहत केंद्र सरकार को सौंपे गए कार्यों का निष्पादन करने वाला केंद्रीय औषधि प्राधिकरण है।

प्रमुख कार्य

  • दवाओं के आयात पर विनियामक नियंत्रण, नई दवाओं और नैदानिक परीक्षणों की मंजूरी, औषधि परामर्शदात्री समिति (DCC) और औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (DTAB) की बैठकें, केंद्रीय लाइसेंस अनुमोदन प्राधिकरण के रूप में कुछ लाइसेंसों की मंजूरी का कार्य केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन मुख्यालय द्वारा किया जाता है।

संगोष्ठी का महत्व

  • भारत, क्लिनिकल ट्रायल और बाजार से आगे निगरानी जैसे क्षेत्रों में जापान की सर्वोत्तम तकनीकों का उपयोग सीख सकता है, जिससे एक अधिक मजबूत नियामक प्रणाली विकसित हो सकती है।
  • सुव्यवस्थित विनियमन से नवोन्मेषी उपकरणों के लिए अनुमोदन में तेजी आ सकती है, जिससे रोगियों और निर्माताओं दोनों को लाभ होगा। सामंजस्य से भारतीय निर्मित उपकरणों के लिए वैश्विक बाजार में प्रवेश भी आसान हो सकता है।
  • ये लाभ घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देकर और संभावित रूप से स्वास्थ्य देखभाल लागत को कम करके “मेक इन इंडिया” जैसी सरकारी पहलों के अनुरूप हैं।
  • अंततः, यह संगोष्ठी भारतीय चिकित्सा उपकरण उद्योग को मजबूत बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगी तथा उन्नत प्रौद्योगिकियों तक मरीजों की पहुंच में सुधार लाएगी।

चिकित्सा उपकरण विकास के लिए सरकारी पहल

  • उत्पादन-संबंधी प्रोत्साहन: वित्तीय प्रोत्साहन निवेश को आकर्षित करते हैं और उच्च तकनीक वाले चिकित्सा उपकरणों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देते हैं।
  • चिकित्सा उपकरण पार्कों का विकास: समर्पित पार्क आवश्यक बुनियादी ढांचे और सुव्यवस्थित विनियमन प्रदान करते हैं, जिससे निर्माताओं के लिए एक आकर्षक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होता है।
  • भारत की पहली राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति: यह व्यापक नीति सामर्थ्य, नवाचार, कार्यबल विकास और नियामक सुधार पर ध्यान केंद्रित करती है।

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