संदर्भ :

हाल ही में, केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने 21वीं पशुधन गणना (LC) का शुभारंभ किया जो अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 तक आयोजित की जाएगी।      

अन्य संबंधित जानकारी    

  • इस व्यापक गणना में एक लाख पशु चिकित्सा कर्मचारियों को लगाने के साथ-साथ बेहतर सटीकता के लिए डिजिटल नवाचारों का उपयोग किया जाएगा।     
  • ऐसा पहली बार होगा, जब इस गणना में ICAR-राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (NBAGR) द्वारा मान्यता प्राप्त 16 प्रजातियों की 219 स्वदेशी नस्लों के आँकड़े एकत्र किए जाएँगे। इनके सटीक दस्तावेजीकरण सुनिश्चित करने के लिए उन्नत मोबाइल एप्लिकेशन और वेब-आधारित डैशबोर्ड के माध्यम से वास्तविक समय की निगरानी (रियल टाइम मॉनिटरिंग) का इस्तेमाल किया जाएगा।             
  • इस सर्वेक्षण में 15 प्रमुख प्रजातियों (मुर्गी को छोड़कर) को कवर किया जाएगा। इनमें मवेशी (Cattle), भैंस, मिथुन (Mithun) या गयाल, याक, भेड़, बकरी, सुअर, ऊँट, घोड़ा, टट्टू (Pony), खच्चर, गधा, कुत्ता, खरगोश और हाथी शामिल हैं।  
  • इस सर्वेक्षण में प्रत्येक घर, व्यवसाय और संस्थान में जाकर मुर्गी, बत्तख, टर्की (Turkey), गीज़, बटेर, गिनीफाउल, शुतुरमुर्ग और इमू जैसे पोल्ट्री वाली पक्षियों की गणना भी की जाएगी।
  • इस गणना में भारत के 30 करोड़ परिवारों के शामिल होने की संभावना है।
  • पहली बार, इस गणना में स्वतंत्र चरवाहों के पशुधन को शामिल करने के साथ-साथ पशुपालन में लैंगिक भूमिकाओं के बारे में भी जानकारी एकत्र की जाएगी, जिससे ग्रामीण जनसांख्यिकी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी।      

पशुधन गणना के बारे में        

  • यह गणना पंचवर्षीय गणना (प्रत्येक पाँच वर्ष में आयोजित) है, जिसमें पालतू और आवारा पशुओं दोनों का दस्तावेजीकरण किया जाता है। यह गणना वर्ष 1919 से भारत की पशु जनसंख्या के बारे में महत्वपूर्ण आँकड़े उपलब्ध कराता हैं।
  • यह गणना मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों के सहयोग से कराया जाता है।
  • इस सर्वेक्षण में देश भर में प्रजातियों के वर्गीकरण, नस्ल के प्रकार, आयु वितरण, लिंग अनुपात और स्वामित्व विवरण सहित विस्तृत जानकारियाँ एकत्र की जाती है।

21वीं पशुगणना पिछली गणनाओं से भिन्न क्यों है?: 

  • इसे पूरी तरह से डिजिटलीकृत किया जाएगा जिसके लिए मोबाइल ऐप के माध्यम से ऑनलाइन डेटा संग्रहण को बढ़ाने के साथ-साथ निगरानी के लिए डिजिटल डैशबोर्ड भी बनाया जाएगा।
  • इसमें पहली बार कई नई जानकारियाँ एकत्र की जाएगी, जिसमें पशुपालकों के योगदान और सामाजिक-आर्थिक स्थिति के साथ-साथ परिवारों के आय स्रोतों तथा आवारा पशुओं के लिंग के बारे में विवरण शामिल होंगे।

पशुधन गणना का उद्देश्य   

  • पशुधन क्षेत्र के सकल मूल्य वर्धित (GVA) योगदान की गणना करना, जो वर्तमान में, कृषि GVA का 30 प्रतिशत और समग्र आर्थिक GVA का 4.7 प्रतिशत है। 
  • पशुपालन क्षेत्र में सतत विकास हेतु नीति का निर्माण तथा इसके क्रियान्वयन को सुविधाजनक बनाना ताकि ग्रामीण रोजगार के अवसरों का प्रभावी विकास सुनिश्चित हो सके।
  • संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की दिशा में हुई प्रगति, विशेषकर लक्ष्य 2 (भूख को समाप्त करना) और लक्ष्य 2.5 (भोजन और पोषण में आनुवंशिक विविधता को बनाए रखने पर केंद्रित) को ट्रैक करना।       
  • विलुप्त होने के कगार पर स्थानीय पशुधन नस्लों (संकेतक 2.5.2- विलुप्त होने के कगार पर स्थानीय नस्लों का प्रतिशत), की स्थिति की निगरानी करना। इससे भारत के स्थानीय पशु आनुवंशिक संसाधनों को संरक्षित करने में मदद मिलेगी।   
  • पशुधन क्षेत्र में पशु कल्याण, नस्ल में सुधार और रोग नियंत्रण से संबंधित विभिन्न सरकारी पहलों और योजनाओं की योजना बनाने और इनके कार्यान्वयन के लिए व्यापक डेटा प्रदान करना।               

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