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सामान्य अध्ययन-1: भूकंप, सुनामी, जलवायु गतिविधि, चक्रवात इत्यादि जैसे महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकी घटनाएँ।
सामान्य अध्ययन -3:आपदा और आपदा प्रबंधन।
संदर्भ: भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर से मिले संकेतों के आधार पर लगाए गए पूर्वानुमानों के अनुसार, वर्ष 2026 में अल नीनो का प्रभाव देखने को मिल सकता है, जिससे महाद्वीपों पर मौसम के चक्र में बदलाव आएगा। इसके कारण कहीं भीषण सूखा तो कहीं विनाशकारी तूफान आने की भी आशंका है।
पूर्वानुमान डेटा के मुख्य निष्कर्ष:

- अल नीनो की वापसी: भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में अल नीनो की स्थितियों की संभावित वापसी के शुरुआती संकेत मिल रहे हैं, जो 2026 की दूसरी छमाही में शुरू हो सकता है और उत्तरी गोलार्ध की सर्दियों के दौरान अपने चरम पर पहुँच सकता है।
- प्रशांत क्षेत्र में बदलाव के कारक: प्रशांत महासागर में बदलाव का मुख्य कारण पश्चिम से चलने वाली हवाएँ हैं, जो गर्म जल को पूर्व की दिशा में धकेल देती है। साथ ही, मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (बादलों और हवा का एक चक्र) के सक्रिय होने से उन ठंडी पवनों (व्यापारिक पवनों) की गति कम हो गई है जो ला नीना के असर को बनाए रखती थीं।
- मौसमी लघु तरंगे (रिपल्स):
- उत्तर अमेरिका में, अल नीनो से आमतौर पर दक्षिणी क्षेत्रों में अधिक वर्षा होती है जबकि उत्तरी क्षेत्रों में इससे सूखे की परिस्थितियाँ बनती है।
- भारत में कमजोर मानसून और सूखे का जोखिम बढ़ जाता है।
- दक्षिण अमेरिका को बाढ़ के खतरों का सामना करना पड़ता है।
- वैश्विक उष्मा में योगदान: इस तरह के विकास का अर्थ यह हो सकता है कि वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5°C की तापन सीमा के करीब या उस तक पहुँच सकता है। इसके साथ ही, बार-बार आने वाली और तीव्र उष्णलहरों, सूखा, वनाग्नि और तीव्र वैश्विक व क्षेत्रीय ऊष्मीकरण से जुड़े अन्य प्रभावों का जोखिम भी बढ़ सकता है।
- महासागरीय तापमान की विसंगतियाँ: समुद्र की सतह के नीचे संभावित अल नीनो के संकेत दिखाई दे रहे हैं, जहाँ पश्चिम में 100-250 मीटर (300-800 फीट) की गहराई पर गर्म पानी के एक बड़े क्षेत्र का विस्तार हो रहा है।
निष्कर्षों का महत्त्व:
- जलवायु वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि फिर से विकसित होने वाला अल नीनो वैश्विक तापमान में जारी वृद्धि की प्रवृत्ति को और अधिक बल दे सकता है।
- अल नीनो के विकास से बड़े पैमाने पर वायुमंडलीय परिवर्तन होते हैं, जो व्यापारिक पवनों और वैश्विक परिसंचरण को प्रभावित करते हैं।
- ये अंतर्संबंधित बदलाव जलवायु परिवर्तनशीलता को बढ़ाने और पारिस्थितिकी तंत्र एवं अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ने वाले क्रमिक प्रभावों में अल नीनो की भूमिका को रेखांकित करते हैं।
