संदर्भ:
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने 11 अक्टूबर 2024 को वियनतियाने, लाओ पीडीआर में 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) में भाग लिया।
शिखर सम्मेलन की मुख्य बातें
हिंद-प्रशांत विजन और ASEAN केन्द्रीयता:
- प्रधानमंत्री ने भारत-प्रशांत क्षेत्रीय संरचना को आकार देने में ASEAN की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया और इसे भारत की हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI) और हिंद-प्रशांत पर ASEAN दृष्टिकोण के साथ संरेखित किया ।
- इस क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि बनाए रखने के लिए विस्तारवादी दृष्टिकोण के बजाय विकास आधारित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया।
भारत की एक्ट ईस्ट नीति:
- EAS में भारत की भागीदारी इसकी एक्ट ईस्ट नीति की आधारशिला है, जिसका उद्देश्य पूर्वी एशियाई और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ सहयोग बढ़ाना है।
वैश्विक एवं क्षेत्रीय शांति:
- ग्लोबल साउथ पर संघर्षों के गंभीर प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने मानवीय दृष्टिकोण आधारित संवाद और कूटनीति की आवश्यकता पर बल दिया, जो विश्व भर में शांतिपूर्ण संघर्ष समाधान की कुंजी है।
- इस बात पर बल देते हुए कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति, सुरक्षा और स्थिरता पूरे क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, उन्होंने समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (the UN Convention on the Law of the Seas – UNCLOS) का पालन करने तथा नौवहन और हवाई क्षेत्र की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
सुरक्षा संबंधि चुनौतियाँ:
- प्रधानमंत्री ने आतंकवाद , साइबर सुरक्षा चुनौतियों और समुद्री मुद्दों से उत्पन्न खतरों को रेखांकित किया तथा इन वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक कार्यवाई की आवश्यकता पर बल दिया।
म्यांमार संकट और मानवीय सहायता:
- भारत ने म्यांमार पर ASEAN की पांच सूत्री सहमति (5PC) के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया तथा देश के लिए मानवीय सहायता जारी रखने के महत्व को दोहराया।
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के बारे में
- EAS की स्थापना 2005 में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा हित के सामरिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर वार्ता करने के लिए एक मंच के रूप में की गई थी।
- EAS में 18 देश शामिल हैं , जिनमें 10 ASEAN सदस्य (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम) के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं ।
- उद्देश्य: वार्ता और सहयोग के माध्यम से पूर्वी एशियाई और हिंद-प्रशांत क्षेत्रों में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देना।
भारत के लिए महत्व :
- EAS भारत की एक्ट ईस्ट नीति का एक महत्वपूर्ण घटक है , जो क्षेत्रीय महत्व के मुद्दों पर अपने एशिया-प्रशांत भागीदारों के साथ वार्ता करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
- यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के साथ भारत की सहभागिता को बढ़ाता है तथा स्वतंत्र और समावेशी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का समर्थन करता है।