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सामान्य अध्ययन 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव आकलन।
संदर्भ: गुजरात वन विभाग ने हाल ही में 16वीं शेर गणना (2025) आयोजित की, जिसमें एशियाई शेरों की संख्या 2020 में 674 से बढ़कर 2025 में 891 हो गई है।
गणना की मुख्य बातें:

- यह 2015 के पश्चात गुजरात सरकार द्वारा आयोजित पहली पूर्ण शेर गणना थी।
- 11 जिलों के 58 तालुकाओं के 35,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 10 से 13 मई तक आयोजित चार दिवसीय गणना में 3,254 कर्मियों ने भाग लिया।.
- नवीनतम गणना में 196 नर, 330 मादा, 140 उप-वयस्क और 225 शावक शामिल हैं।

- यद्यपि शेरों की अधिकतम संख्या – 394 – गिर राष्ट्रीय उद्यान और पनिया वन्यजीव अभयारण्य में देखी गई है, जिन्हें ‘स्रोत’ आबादी माना जाता है, नवीनतम सर्वेक्षण गुजरात के अधिक भागों में शेरों के विस्तार की निरंतर प्रवृत्ति को रेखांकित करता है।
- इस वृद्धि का श्रेय ‘प्रोजेक्ट लायन’ के अंतर्गत संरक्षण पहल को दिया जाता है, जो गुजरात में एशियाई शेरों की सुरक्षा और संवर्धन सुनिश्चित करने में उनकी भूमिका को उजागर करता है।
- शेरों की आबादी का सर्वेक्षण आधुनिक तकनीक (डिजिटल कैमरा और कैमरा ट्रैप) और ब्लॉक काउंट पद्धति का उपयोग करके 11 जिलों के 35,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में किया गया है।
- वह 11 जिले जूनागढ़, गिर सोमनाथ, भावनगर, राजकोट, मोरबी, सुरेंद्रनगर, देवभूमि द्वारका, जामनगर, अमरेली, पोरबंदर और बोटाद हैं।
- राज्य सरकार का वन विभाग प्रत्येक पांच वर्ष में प्रत्यक्ष बीट सत्यापन (ब्लॉक काउंट विधि) का उपयोग करके शेरों की जनसंख्या का अनुमान लगाता है।
- ट्रैकिंग और डेटा संग्रहण में सटीकता बढ़ाने के लिए GIS मैपिंग, कैमरा ट्रैप और डिजिटल अनुप्रयोगों जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया गया है।
- गुजरात सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार, पहली शेर गणना 1936 में जूनागढ़ के नवाब द्वारा कराई गई थी।
- 1965 में गिर वन को अभयारण्य घोषित किया गया और तब से गुजरात वन विभाग प्रत्येक पांच वर्ष में नियमित रूप से शेरों की गणना करता आ रहा है।