संदर्भ   

16 वें वित्त आयोग ने विचारार्थं विषयों पर आम जनता, इच्छुक संगठनों और विशिष्ट संस्थानों से सुझाव और विचार आमंत्रित किए हैं, जिन्हें वह अपना सकता है।  

अन्य संबंधित जानकारी    

  • सोलहवें वित्त आयोग की नियुक्ति भारत के संविधान के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा की गई है, जिसके अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया हैं।
  • इसे 1 अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पाँच वर्ष की अवधि के लिए सिफारिशें करने का कार्य सौंपा गया है।
  • विचारार्थं विषयो (ToR) केंद्र सरकार की ओर से दिए गए दिशा-निर्देश हैं, जो आयोग को अपनी रिपोर्ट तैयार करने में मदद करते हैं।
  • 16 वें वित्त आयोग के विचारार्थं विषय संवैधानिक प्रावधानों पर आधारित हैं, जिनमें शामिल हैं:
  • करों की शुद्ध आय का संघ और राज्यों के बीच वितरण। 
  • ऐसी आय के संबंधित हिस्सों का राज्यों के बीच आवंटन
  • भारत की संचित निधि से राज्यों के राजस्व हेतु सहायता अनुदान को निर्धारित करने वाले सिद्धांत।   
  • संविधान के अनुच्छेद 275 के अधीन राज्यों को उनके राजस्व में सहायता अनुदान के रूप में उस अनुच्छेद के खंड (1) के परन्तुकों में उल्लिखित प्रयोजनों से परे प्रयोजनों हेतु भुगतान की जाने वाली राशियाँ।
  • राज्य में पंचायतों और नगर पालिकाओं के संसाधनों के पूरक के लिए राज्य की संचित निधि को बढ़ाने हेतु आवश्यक उपाय।
  • राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर।
  • 16वें वित्त आयोग को आपदा प्रबंधन पहलों के वित्तपोषण की वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा करने का भी दायित्व सौंपा गया है।

आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत गठित निधियों के संदर्भ में और उस पर समुचित सिफारिशें करना।

16 वें वित्त आयोग की संरचना :

  • अध्यक्ष: अरविंद पनगढ़िया
  • सदस्य:
  • पूर्णकालिक सदस्य:
  • अजय नारायण झा (पूर्व व्यय सचिव एवं 15वें वित्त आयोग के सदस्य)
  • एनी जॉर्ज मैथ्यू (सेवानिवृत्त नौकरशाह)
  • मनोज पांडा (अर्थशास्त्री)
  • अंशकालिक सदस्य: सौम्य कांति घोष (भारतीय स्टेट बैंक के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार)।
  • इसका गठन 31 दिसंबर, 2023 को किया गया था और यह 31 अक्तूबर, 2025 तक राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।

वित्त आयोग के बारे में

  • संवैधानिक अधिदेश: संविधान का अनुच्छेद 280 इसे अर्ध-न्यायिक इकाई के रूप में निर्दिष्ट करता है।
  • नियुक्तिकर्ता: भारत के राष्ट्रपति हर पाँचवें वर्ष या जब वे आवश्यक समझे, एक वित्त आयोग की का गठन कर सकते है।
  • संरचना: इसमें एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्य शामिल होते हैं, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • पात्रता: संविधान द्वारा संसद को सदस्यों की योग्यता और नियुक्ति प्रक्रिया स्थापित करने का अधिकार दिया गया है।
  • कार्यकाल: सदस्य राष्ट्रपति के आदेश में निर्दिष्ट अवधि तक सेवा प्रदान करते हैं और पुनर्नियुक्ति के पात्र होते हैं।
  • निष्कासन: यदि सदस्यों को मानसिक रूप से अयोग्य पाया जाता है या वे कदाचार में लिप्त हैं, या हितों के टकराव का सामना कर रहे हैं तो उन्हें हटाया जा सकता है।

अतिरिक्त जानकारी

  • एन.के. सिंह की अध्यक्षता में पिछले (15वें) वित्त आयोग ने सुझाव दिया था कि राज्यों को वित्तीय वर्ष 2021-22 से वित्तीय वर्ष 2025-26 की पाँच साल की अवधि के लिए केंद्र के विभाज्य कर पूल का 41 प्रतिशत प्राप्त होगा।
  • यह सिफारिश वाई.वी. रेड्डी की अध्यक्षता में पिछले (14वें) वित्त आयोग के मानदंडों पर की गई थी। 

Also Read:

नेपाल भारतीय क्षेत्रों को दर्शाने वाला 100 रुपये का नया नोट जारी करेगा

Shares: