संदर्भ:
भारत में25 जनवरी को 15वाँ राष्ट्रीय मतदाता दिवस (NVD) मनाया गया ।
अन्य संबंधित जानकारी
- इस वर्ष का उत्सव विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक प्रक्रिया, वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों के ऐतिहासिक और सफल आयोजन, के तुरंत बाद मनाया जा रहा है ।
- चुनाव आयोग ने राष्ट्र के प्रति अपनी समर्पित सेवा के 75 वर्ष भी पूरे किए हैं।
- इस वर्ष (2025) का विषय “वोटिंग से बढ़कर कुछ नहीं, मैं निश्चित रूप से वोट दूंगा (Nothing Like Voting, I Vote for Sure )” पिछले वर्ष के विषय का ही विस्तार है, जिसमें चुनावी प्रक्रिया में भागीदारी के महत्व पर बल दिया गया है।
- मुख्य चुनाव आयुक्त द्वारा भारत के राष्ट्रपति को भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की कॉफी टेबल बुक ‘इंडिया वोट्स 2024: ए सागा ऑफ डेमोक्रेसी’ की पहली प्रति भी भेंट की गई।
- आयोग द्वारा भारत के राष्ट्रपति को ECI का एक प्रकाशन “बैलेट में विश्वास: भारत के 2024 के चुनावों को आकार देने वाली मानवीय कहानियाँ” भी भेंट किया गया है।
राष्ट्रीय मतदाता दिवस
- 2011 में, भारत सरकार ने 1950 में इसी दिन चुनाव आयोग की स्थापना के उपलक्ष्य में 25 जनवरी को “राष्ट्रीय मतदाता दिवस” घोषित किया।
- इस आयोजन का उद्देश्य मतदाता की केन्द्रीयता को रेखांकित करना, नागरिकों में चुनावी जागरूकता बढ़ाना तथा लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उनकी सक्रिय भागीदारी को प्रेरित करना है।
- यह दिन देश के मतदाताओं को समर्पित है और नए मतदाताओं, विशेषकर हाल ही में पात्र बने युवा व्यक्तियों के नामांकन को भी बढ़ावा देता है।
चुनावी डेटाबेस सांख्यिकी
अब मतदाता सूची 99.1 करोड़ हो गई है, जिसमें 18-29 आयु वर्ग के 21.7 करोड़ युवा मतदाता शामिल हैं।
भारत का चुनावी लिंग अनुपात (EGR) भी 2024 में 948 से बढ़कर 2025 में 954 हो गया है।
- EGR मतदाता के रूप में नामांकित पुरुषों और महिलाओं की संख्या के बीच का अनुपात है। आम तौर पर, इसकी गणना इस आधार पर की जाती है कि मतदाता सूची में 1000 पुरुष मतदाताओं के मुकाबले कितनी महिला मतदाता मौजूद हैं।
भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI)
यह एक स्वायत्त संवैधानिक प्राधिकरण (अनुच्छेद 324) है जिसकी स्थापना भारत के गणतंत्र बनने से एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को हुई थी।
भारत निर्वाचन आयोग लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं तथा देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पदों के लिए चुनावों का संचालन करता है।
- चुनाव आयोग राज्यों में पंचायतों और नगर पालिकाओं के चुनावों से संबंधित नहीं है। इसके लिए, भारत के संविधान में प्रत्येक राज्य के लिए एक अलग राज्य चुनाव आयोग का प्रावधान है।
राष्ट्रपति एक मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और अन्य चुनाव आयुक्तों (EC) की नियुक्ति करता है, जिन्हें वह उचित समझे।
1993 से चुनाव आयोग एक बहुसदस्यीय निकाय के रूप में कार्य कर रहा है जिसमें एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं।
- मुख्य चुनाव आयुक्त एवं चुनाव आयुक्त का कार्यकाल छह वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) होता है।
- मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के समान दर्जा और वेतन तथा भत्ते प्राप्त होते हैं।
- मुख्य चुनाव आयुक्त को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की तरह ही तथा उन्हीं आधारों पर पद से हटाया जा सकता है।
2023 में, संसद ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और पदावधि) अधिनियम, 2023 पारित किया , जिसमें CEC और EC की नियुक्ति के लिए तीन सदस्यीय चयन समिति का प्रावधान किया गया।
- चयन समिति में अध्यक्ष के रूप में प्रधान मंत्री, सदस्य के रूप में लोकसभा में विपक्ष के नेता (या लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी के नेता) और प्रधान मंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं।
- चयन समिति की सिफारिशें इस समिति में कोई पद रिक्त होने पर भी मान्य होंगी।
- विधि एवं न्याय मंत्री की अध्यक्षता में एक खोज समिति , जिसमें भारत सरकार के सचिव स्तर से नीचे के पद के न हों, के दो अन्य सदस्य शामिल होंगे, जो चयन समिति के विचारार्थ नामों की सूची तैयार करेंगे।