संबंधित पाठ्यक्रम:

सामान्य अध्ययन-2: भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और करार।

संदर्भ: मलेशिया के कुआलालंपुर में आयोजित 12वीं आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस (ADMM-Plus) के दौरान भारत के रक्षा मंत्री और अमेरिकी युद्ध सचिव ने “अमेरिका-भारत प्रमुख रक्षा साझेदारी फ्रेमवर्क” पर हस्ताक्षर किए।

अन्य संबंधित जानकारी

  • यह रक्षा क्षेत्र में दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग और समन्वय को दिशा देने के लिए 10-वर्षीय रोडमैप है।
  • यह समझौता वाशिंगटन द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50% टैरिफ लगाए जाने के कारण तनावपूर्ण हुए संबंधों के दौरान हुआ है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • व्यापक सहयोग: इसमें थल, जल, वायु, अंतरिक्ष और साइबरस्पेस जैसे क्षेत्रों में सैन्य अंतर-संचालन के साथ-साथ मिसाइल रक्षा और आतंकवाद-निरोध पर संयुक्त प्रयास शामिल हैं।
  • तकनीकी और औद्योगिक सहयोग: उन्नत प्रौद्योगिकी साझाकरण और विस्तारित रक्षा-औद्योगिक संबंध, जिसमें रसद, रखरखाव और मरम्मत क्षमताएँ शामिल हैं।
  • क्षेत्रीय स्थिरता और हिंद-प्रशांत सुरक्षा: दोनों देशों ने एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की रक्षा करने, दबाव का मुकाबला करने और क्वाड समूह सहित समान विचारधारा वाली साझेदारियों का समर्थन करने की प्रतिबद्धता जाहिर की।
  • बेहतर समन्वय: यह ढाँचा क्षेत्रीय चुनौतियों और आपदाओं पर त्वरित प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनने के लिए बेहतर समन्वय की परिकल्पना करता है।
  • रक्षा निर्यात लाइसेंसिंग: भारत के सैन्य आधुनिकीकरण में सहायता के लिए रक्षा उपकरणों के निर्यात लाइसेंस अनुमोदन को प्राथमिकता देना।

भू-राजनीतिक महत्व

  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक पुनर्संयोजन: यह समझौता चीन की आक्रामकता के विरुद्ध सामूहिक प्रतिकार की भावना को बल देता है तथा जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे साझेदारों के साथ एक प्रमुख क्षेत्रीय सहयोगी के रूप में भारत की भूमिका को सुदृढ़ करता है।
  • साझेदारी के नए दशक का सूत्रपात: यह फ्रेमवर्क अगले दशक में दोनों देशों के बीच साझेदारी में परिवर्तन लाने और उसका विस्तार करने के लिए एकीकृत नीतिगत दिशा प्रदान कर सकता है।
  • क्षेत्रीय स्थिरता और निवारण (Deterrence) में वृद्धि: हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ती चीनी नौसैनिक गतिविधि और रणनीतिक अनिश्चितता के मद्देनजर क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण से यह समझौता महत्वपूर्ण है।
  • दक्षिण एशिया की गतिशीलता पर प्रभाव: भारत-अमेरिका रक्षा गठबंधन के मजबूत होने से पाकिस्तान, चीन के करीब आ सकता है, जिससे क्षेत्रीय रणनीतिक प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है।
  • रक्षा औद्योगिक और तकनीकी सहयोग: यह समझौता “मेक इन इंडिया” के तहत सह-उत्पादन, सह-विकास और आपूर्ति-श्रृंखला विविधीकरण को गति प्रदान करता है।

पूर्ववर्ती रक्षा समझौते 

  • लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA), 2016: LEMOA दोनों देशों को रसद सहायता, परिचालन पहुंच को बढ़ाने और संयुक्त तत्परता के लिए एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों तक पारस्परिक पहुंच प्रदान करता है।
  • संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (COMCASA), 2018: COMCASA भारत और अमेरिका को सुरक्षित, एन्क्रिप्टेड संचार प्रणालियों का उपयोग करने और बेहतर अंतर-संचालन के लिए वास्तविक समय की जानकारी साझा करने में सक्षम बनाता है।
  • बुनियादी विनिमय और सहयोग समझौता (BECA), 2020: BECA भारत को उन्नत भू-स्थानिक खुफिया जानकारी प्रदान करता है, जिससे उसके सैन्य लक्ष्यीकरण, नेविगेशन और संचालन की सटीकता में सुधार होता है।
  • आपूर्ति व्यवस्था की सुरक्षा (SOSA), 2024: SOSA भारत और अमेरिका के बीच विश्वसनीय रक्षा आपूर्ति श्रृंखलाओं की गारंटी देता है, देरी को कम करता है और रणनीतिक लचीलापन बढ़ाता है।

Sources:
Indian Express
The Hindu

Shares: