संदर्भ:

हाल ही में, पीएनएएस नेक्सस में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, सूअर चूहों से जुड़े हेपेटाइटिस ई वायरस (HEV) के एक किस्म के संचरण (प्रसार) मार्ग के रूप में काम कर सकते हैं, जिसे  रोकाहेपेवायरस रैटी  स्ट्रेन को ” रैट एचईवी ”   के रूप में जाना जाता है।

अन्य संबंधित जानकारी: 

  • पहला मानव मामला वर्ष 2018 में हांगकांग में दबी हुई प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्ति में प्रकट हुआ था, उसके बाद कम से कम 20 कुल मानव मामले सामने आए, जिनमें सामान्य प्रतिरक्षा संचालन वाले लोग भी शामिल हैं।
  • तब से, सूअर के मांस के सेवन और चूहे के हेपेटाइटिस ई वायरस संक्रमण के बीच संभावित संबंध जांच का केन्द्र बिन्दु बन गया है, क्योंकि कई संक्रमित व्यक्तियों ने चूहों के सीधे संपर्क में आने की सूचना नहीं दी थी।
  • मानव रोग से जुड़े हेपेटाइटिस ई के एक किस्म, जिसे एलसीके-3110 कहा जाता है, को इसके विषाणु अनुक्रम से क्लोन किया गया तथा इसे मानव और पशु कोशिकाओं, जिसमें सूअर भी शामिल है, में प्रतिकृति बनाते हुए दिखाया गया, जिससे पता चला कि विषाणु मल-मौखिक मार्ग (fecal-oral route) से फैलता है।

हेपेटाइटिस ई रोग

  • हेपेटाइटिस ई रोग हेपेटाइटिस ई वायरस (HEV) के कारण होने वाली लिवर (यकृत) की सूजन है।
  • इस वायरस के कम से कम 4 अलग-अलग किस्म हैं: जीनोटाइप 1, 2, 3 और 4
  • जीनोटाइप 1 और 2 केवल मनुष्यों में पाए गए हैं।
  • जीनोटाइप 3 और 4 सूअरों, जंगली सूअरों और हिरणों सहित कई जानवरों में बिना किसी बीमारी के प्रसारित होते हैं तथा कभी-कभी मनुष्यों को भी संक्रमित कर देते हैं।

हेपेटाइटिस ई वायरस की वर्तमान स्थिति

  • दुनिया भर में हर साल लगभग 20 मिलियन हेपेटाइटिस ई वायरस संक्रमण होते हैं, जिसके कारण  अनुमानित 3.3 मिलियन लक्षणात्मक मामले सामने आते हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन वायरल हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता और समझ बढ़ाने के लिए वार्षिक विश्व हेपेटाइटिस दिवस 28 जुलाई आयोजित करता है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि हेपेटाइटिस ई के कारण वर्ष 2015 में लगभग 44 000 मौतें हुईं (वायरल हेपेटाइटिस के कारण होने वाली मृत्यु दर का 3.3% हिस्सा)।

प्रसार:

  • यह वायरस मल-मौखिक मार्ग से फैलता है, मुख्यतः दूषित जल के माध्यम से।
  • हेपेटाइटिस ई दुनिया भर में पाया जाता है, लेकिन यह रोग पूर्वी और दक्षिण एशियाई देशों में सबसे आम है, जहां स्वच्छता की स्थिति खराब है।
  • बेहतर स्वच्छता वाले क्षेत्रों में हेपेटाइटिस ई के मामले दुर्लभ हैं और मुख्य रूप से जीनोटाइप 3 के कारण होते हैं, जो आमतौर पर अधपका पशु मांस खाने के कारण होता है।

लक्षण:

  • हेपेटाइटिस ई वायरस के संपर्क में आने के बाद  उद्भवन काल(incubation period) 2 से 10 सप्ताह तक होती है, जो औसतन 5 से 6 सप्ताह होती है।
  • सामान्य लक्षणों में हल्का बुखार, मतली, भूख कम लगना, पेट में दर्द और पीलिया (त्वचा का पीला पड़ना) शामिल हैं। संक्रमित व्यक्तियों को गहरे रंग का मूत्र, पीला मल और कोमल, बढ़े हुए लिवर का भी अनुभव हो सकता है।
  • गंभीर मामलों में तीव्र यकृत विफलता, भ्रूण की हानि और मृत्यु हो सकती है।

इलाज:

  • तीव्र हेपेटाइटिस ई के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है।
  • प्रतिरक्षाविहीन व्यक्तियों में क्रोनिक हेपेटाइटिस ई का उपचार रिबाविरिन से किया जा सकता है।
  • एक टीका (हेकोलिन) विकसित किया गया है और इसे चीन में लाइसेंस प्राप्त है, लेकिन यह अभी तक अन्यत्र उपलब्ध नहीं है।

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