संदर्भ :

वैज्ञानिकों की एक टीम ने नए खुले समुद्री तल पर कई नई प्रजातियों की खोज की है, जब एक विशाल हिमखंड बर्फीली सतहों से टूटकर अलग हो गया।  

अन्य संबंधित जानकारी

13 जनवरी 2025 को विशाल (510 वर्ग किमी आकार का) A-84 हिमशैल जॉर्ज VI आइस शेल्फ से टूटकर  बेलिंगशॉसन सागर में गिर गया।  

  • बेलिंगशॉसन सागर अंटार्कटिक प्रायद्वीप के पश्चिमी किनारे पर अलेक्जेंडर द्वीप और थर्स्टन द्वीप के बीच स्थित एक क्षेत्र है।

25 जनवरी को एक रिमोट संचालित पनडुब्बी समुद्र तल पर पहुंची, जहां उसने तस्वीरें और वीडियो लेने के साथ ही  नमूने एकत्रित किए। 

यह पनडुब्बी मिशन चैलेंजर 150 का हिस्सा था, जो गहरे समुद्र में अनुसंधान के लिए यूनेस्को द्वारा अनुमोदित एक वैश्विक पहल है। 

“फ्रंटियर्स इन मैरीन साइंस” पत्रिका में प्रकाशित इस खोज के निष्कर्ष इस बारे में नई जानकारी प्रदान करते हैं कि अंटार्कटिका की बर्फ के तैरते हुए हिस्सों के नीचे पारिस्थितिकी तंत्र किस प्रकार कार्य करता है।

खोज के मुख्य बिन्दु:

  • वैज्ञानिकों ने दूर से संचालित वाहन (ROV) सुबास्टियन(SuBastian) का उपयोग करते हुए ,आठ दिनों तक समुद्र तल का अन्वेषण किया, और 1,300 मीटर की गहराई पर समृद्ध पारिस्थितिक तंत्र पाया ।  
  • ये अंटार्कटिका के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी पर सबसे अधिक प्रतिकूल परिस्थितियों में भी जीवन पनपता हुआ पाया है। 
  • ये अंटार्कटिक पारिस्थितिकी तंत्र सदियों से 150 मीटर मोटी बर्फ से ढके हुए हैं और सतही पोषक तत्वों से पूरी तरह से अलग थे।  
  • उनके अवलोकनों में बड़े प्रवाल और स्पंज शामिल हैं जो आइसफिश, विशाल समुद्री मकड़ियाँ, ऑक्टोपस, विशाल फैंटम जेली, जेलीफिश(एक प्रकार की जेलीफिश जो एक मीटर चौड़ी तक बढ़ सकती है) तथा एक फूलदान के आकार का स्पंज जो सैकड़ों वर्ष पुराना हो सकता है।
  • शोधकर्ताओं के लिए बर्फ की शेल्फ के नीचे विविध पारिस्थितिक तंत्रों का मिलना बहुत ही आश्चर्यजनक है, गहरे समुद्र के समुदाय आमतौर पर सतह से पोषक तत्वों को समुद्र तल तक पहुंचाने के लिए प्रकाश संश्लेषण करने वाले जीवों पर निर्भर करते हैं। 
  • वैज्ञानिकों का मानना है कि महासागरीय धारा, हिमनदी का पिघला हुआ जल तथा अन्य आवश्यक पोषक तत्वों को परिवहन कर सकते हैं, जो बर्फीली सतहों के नीचे जीवन को बनाए रखने में मदद कर रहे हैं। इन पारिस्थितिकी तंत्रों को संचालित करने वाले सही तंत्र अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। 

नई खोजी गई प्रजातियों के चित्र:

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