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सामान्य अध्ययन- 1: महत्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ

संदर्भ: 

हाल ही में एक नए अध्ययन ने हिंदू कुश हिमालयी क्षेत्र में बाढ़ की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई है।

अन्य संबंधित जानकारी 

  • अंतरराष्ट्रीय समन्वित पर्वतीय विकास केंद्र (ICIMOD) के वैज्ञानिकों ने हिंदू कुश हिमालयी क्षेत्र में हिमनदी उद्गम वाली बाढ़ों (Glacial-Origin Floods) की बढ़ती संख्या को लेकर चिंता व्यक्त की है।
  • यह चिंताजनक प्रवृत्ति वैश्विक तापमान में वृद्धि से जुड़ी है, जो हिमनदों के तेजी से पिघलने का कारण बन रही है और इस क्षेत्र में हिमनदी झील विस्फोट बाढ़ (Glacial Lake Outburst Floods – GLOF) जैसी आपदाओं के जोखिम को बढ़ा रही है।

हिमनदी झील विस्फोट बाढ़ के बारे में 

  • हिमनदी झील विस्फोट बाढ़ (GLOF) तब घटित होती है जब किसी हिमनदी झील से बड़ी मात्रा में जल अचानक मुक्त हो जाता है। यह झीलें प्रायः पिघलते हुए ग्लेशियरों के कारण बनती हैं।
  • इस प्रकार की अचानक बाढ़ के पीछे कई कारक हो सकते हैं, जैसे कि बर्फ या चट्टान के हिमस्खलन, भूकंप, या झील को रोकने वाले प्राकृतिक बाँध (जो सामान्यतः बर्फ या ढीले मोरेन से बने होते हैं) का टूटना।
  • GLOF के कारण निचले क्षेत्रों में विनाशकारी बाढ़ आ सकती है, जिससे बुनियादी ढांचे को भारी क्षति, समुदायों का विस्थापन और जीवन व पर्यावरण को गंभीर खतरे हो सकते हैं।
  • ग्लेशियर से जुड़ी बाढ़ों का प्रमुख कारण वैश्विक तापमान में वृद्धि है। लगातार गर्म होते मौसम के कारण ग्लेशियर पिघलते हैं और हिमनदी झीलों का आकार बढ़ता जाता है।
  • तापमान में अचानक वृद्धि से हिमस्खलन, हिमखंड टूटना (Calving) या शाश्वत हिम (Permafrost) के पिघलने के कारण ढलानें अस्थिर हो सकती हैं, जिससे हिमस्खलन जैसी घटनाएं बढ़ती हैं।
  • ये सभी घटनाएं पर्वतीय क्षेत्रों में GLOF की आशंका को बढ़ा देती हैं।

अध्ययन के प्रमुख बिन्दु 

2000 के दशक में, हिंदू कुश हिमालय में हिमनदीय बाढ़ 5-10 वर्षों में एक बार आती थी। हालाँकि, 2025 के मई और जून में ही, ICIMOD ने नेपाल (लिमी), अफ़ग़ानिस्तान (अंदोरब घाटी) और पाकिस्तान (चित्राल और हुंजा) में ऐसी तीन बाढ़ें दर्ज कीं।

इस तरह की अचानक वृद्धि अभूतपूर्व है और यह इस क्षेत्र में कारणों के वैज्ञानिक अध्ययन और जोखिम प्रबंधन की तत्काल आवश्यकता को दर्शाती है।

ICIMOD ने हाल के GLOF घटनाओं में एक नया रुझान देखा है: अब ये बाढ़ नवगठित बर्फ-बंधित (ice-dammed) सुप्राहिमनदीय झीलों के अचानक टूटने से उत्पन्न हो रही हैं।

  • उदाहरणस्वरूप, इस सप्ताह नेपाल के रसुवा जिले की भोटेकोशी नदी में आई बाढ़ एक ऐसी झील के विस्फोट के कारण हुई थी। यह जलवायु परिवर्तन के कारण अस्थिर हिमनदी संरचनाओं से उत्पन्न बढ़ते खतरों को उजागर करता है।

शोधकर्ताओं ने हिंदू कुश हिमालय में हिमनदी झीलों की मैपिंग और निगरानी को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया है।

उन्होंने सुझाव दिया है कि संभावित रूप से खतरनाक झीलों की सूची को अद्यतन किया जाए, छोटी और अल्पकालिक बर्फ-बंधित झीलों का विश्लेषण किया जाए और हिमनदों के पीछे हटने (Retreat) तथा झील निर्माण की प्रक्रियाओं को आपदा जोखिम आकलन में शामिल किया जाए।

 ICIMOD के अनुसार, वर्तमान निगरानी उपकरण विशाल और तेजी से बदलते पर्वतीय भू-भाग के लिए अपर्याप्त हैं।

 संस्थान ने इन परिवर्तनों पर नज़र रखने के लिए बेहतर प्रणालियों की तात्कालिक आवश्यकता को रेखांकित किया है।

 शोधकर्ता यह भी चेतावनी देते हैं कि यदि यही प्रवृत्ति जारी रही, तो वर्ष 2100 तक GLOF जोखिम में तीन गुना वृद्धि हो सकती है, जिससे समय पर पहचान और तैयारियों की महत्ता और बढ़ जाती है।

सुप्राग्लेशियल झीलों के बारे में

  • सुप्राग्लेशियल झीलें (Supraglacial Lakes) ग्लेशियरों की सतह पर बनती हैं, विशेषकर उन क्षेत्रों में जो मलबे (debris) से ढके होते हैं। 
  • ये झीलें प्रारंभ में छोटे पिघले हुए जल के तालाबों के रूप में बनती हैं और धीरे-धीरे फैलती जाती हैं, कभी-कभी आपस में मिलकर बड़ी झीलों का रूप ले लेती हैं।
  • ये झीलें अत्यंत गतिशील और अस्थिर होती हैं, जिससे अचानक झील विस्फोट बाढ़ (GLOF) का खतरा बढ़ जाता है।
  • इन झीलों का पता लगाना कठिन होता है, खासकर जब वे आकार में छोटी हों या अल्पकालिक हों।
  • Landsat और Sentinel-2 जैसे उपग्रहों से प्राप्त आंकड़ों की स्थानिक विभेदन क्षमता (Spatial Resolution) सीमित होती है, जिससे ये केवल बड़ी झीलों का पता लगाने में ही सक्षम होते हैं। इसका अर्थ है कि कई छोटी झीलें अनदेखी रह जाती हैं। इसलिए, इन हिमनदी जल निकायों की सटीक पहचान और निगरानी के लिए उच्च स्थानिक विभेदन (High Spatial Resolution) वाली उपग्रह छवियाँ अत्यंत आवश्यक हैं।

हिंदूकुश पर्वत शृंखला 

हिंदूकुश मध्य और दक्षिण एशिया की एक प्रमुख पर्वत श्रृंखला है, जो मुख्यतः निम्नलिखित क्षेत्रों में फैली हुई है:

  • पूर्वी और मध्य अफगानिस्तान
  • उत्तरी पाकिस्तान (चित्राल, गिलगित-बाल्टिस्तान)
  • दक्षिणी ताजिकिस्तान

लंबाई: लगभग 800 किलोमीटर

दिशा: यह श्रृंखला पूर्व से पश्चिम दिशा में फैली हुई है, और उत्तर-पूर्व में पामीर पर्वतों के साथ मिलती है।

इसे अक्सर हिमालय का पश्चिमी विस्तार माना जाता है, हालांकि भौगोलिक दृष्टि से इसकी उत्पत्ति भिन्न है।

इसका निर्माण भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव के परिणामस्वरूप हुआ है।

यह क्षेत्र हिमालय-अल्पाइन पर्वत निर्माण पट्टी (Himalayan-Alpine Orogenic Belt) में आता है, जो विश्व के सर्वाधिक भूकंपीय सक्रिय क्षेत्रों (Seismically Active Zones) में से एक है:

  • यहाँ भूकंप और भूस्खलन की प्रवृत्ति अधिक है।
  • यह क्षेत्र टेक्टोनिक उत्थान (Uplift) और फॉल्टिंग (Faulting) की प्रक्रियाओं से प्रभावित होता रहता है।

Source 

https://www.downtoearth.org.in/climate-change/hindu-kush-himalayas-seeing-dramatic-rise-in-glacial-origin-floods-recent-events-triggered-by-nascent-glacial-lakes-icimod

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