संदर्भ:

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने 26 मार्च से स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (GMS) के मध्यावधि और दीर्घकालिक सरकारी जमा (MLTGD) घटकों को बंद करने की घोषणा की है।  

अन्य संबंधित जानकारी

यह निर्णय योजना के प्रदर्शन और उभरती बाजार स्थितियों की व्यापक समीक्षा के बाद लिया गया है।

हालाँकि, GMS के तहत बैंकों द्वारा दी जाने वाली अल्पावधि बैंक जमा (STBD) उनकी वाणिज्यिक व्यवहार्यता के आधार पर प्रत्येक बैंक की विवेकाधिकार पर जारी रहेंगे।  

वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार, मौजूदा MLTGD जमाएं उनकी परिपक्वता और मोचन तक प्रभावी रहेंगी।

नवंबर 2024 तक, निम्नलिखित शर्तों के तहत 31,164 किलोग्राम स्वर्ण एकत्रित किया गया है: 

  • 7,509 किलोग्राम: अल्पावधि स्वर्ण जमा 
  • 9,728 किलोग्राम: मध्यावधि का स्वर्ण जमा 
  • 13,926 किलोग्राम: दीर्घकालिक स्वर्ण जमा 

स्वर्ण मुद्रीकरण योजना में कुल 5,693 जमाकर्ताओं ने भाग लिया।

GMS सरकार द्वारा हाल के महीनों में स्वर्ण कीमतों में तीव्र वृद्धि के बीच बंद की जाने वाली दूसरी स्वर्ण योजना है। इससे पहले केंद्र सरकार ने सोवरेन गोल्ड बॉन्ड्स के नए निर्गमन को भी समाप्त कर दिया था।

स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (GMS) के बारे में 

इसे नवंबर 2015 में शुरू किया गया था।

उद्देश्य:

  • निष्क्रिय सोने को औपचारिक अर्थव्यवस्था में शामिल करके उत्पादक बनाना।
  • उपभोक्ता या  अपना स्वर्ण बेच सकते हैं या बैंकों में जमा कर सकते हैं, जिससे स्वर्ण के आयात को कम करने में मदद मिलेगी और इस प्रकार चालू खाता घाटा कम होगा। 
  • इस योजना ने भारत में परिवारों, ट्रस्टों और संस्थाओं को अपना निष्क्रिय सोना GMS के अंतर्गत जमा करने के लिए प्रोत्साहित किया गया था।
  • GMS पुरानी स्वर्ण जमा योजना का संशोधित संस्करण था। 

योजना घटक: 

1. अल्पावधि बैंक जमा (1-3 वर्ष)

2. मध्यावधि सरकारी जमा (5-7 वर्ष)

3. दीर्घकालिक सरकारी जमा (12-15 वर्ष)

ब्याज दरें:

  • अल्पावधि बैंक जमा के लिए, यह बैंकों द्वारा वर्तमान अंतरराष्ट्रीय लीज दरों, अन्य लागतों, बाजार की स्थिति आदि के आधार पर तय किया जाता है, और इसका भार बैंकों को ही वहन करना होता है। 
  • मध्यावधि एवं दीर्घकालिक सरकारी जमाओं के लिए, यह निर्णय केंद्र सरकार द्वारा आरबीआई के परामर्श से लिया गया तथा केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाता है। 
  • स्वर्ण मुद्रीकरण योजना की ब्याज दर मध्यावधि बांड के लिए 2.25% तथा दीर्घावधि बांड के लिए 2.5% निर्धारित की गई। 

GMS को बंद करने के बारे में 

  • इस योगन को बंद करने का निर्णय GMS को परिष्कृत करने और इसे उभरते वित्तीय परिदृश्य के अनुकूल बनाने के लिए सरकार के चल रहे प्रयासों को रेखांकित करता है, साथ ही अर्थव्यवस्था में स्वर्ण की भूमिका पर ध्यान केंद्रित करना भी शामिल है। 
  • स्वर्ण कीमतें ₹26,530 (41.5%) बढ़कर ₹90,450 प्रति 10 ग्राम (25 मार्च, 2025 तक) हो गई हैं, जो 1 जनवरी, 2024 को ₹63,920 प्रति 10 ग्राम थी।

GMS सफल क्यों नहीं हुआ?

GMS में निम्नलिखित चुनौतियों के कारण सीमित भागीदारी देखी गई:

  • भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव के कारण भारतीय परिवार अपने पैतृक और व्यक्तिगत आभूषणों को पिघलाने के प्रति अनिच्छुक थे।
  • स्वर्ण के परीक्षण की लंबी प्रक्रिया और परीक्षण केंद्रों की सीमित संख्या के कारण यह प्रक्रिया असुविधाजनक हो गई। 
  • जमाकर्ताओं को ब्याज अर्जित करने के लिए अपने पास मौजूद स्वर्ण भंडार की घोषणा करनी पड़ती थी, तथा अर्जित ब्याज पर कर लगता था, जिससे भागीदारी हतोत्साहित होती थी।
  • कमजोर प्रचार और बैंकों की सीमित भागीदारी के कारण कई संभावित जमाकर्ता योजना के बारे में अनभिज्ञ  थे या उसमें रुचि नहीं रखते थे।
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