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सामान्य अध्ययन-3: विज्ञान और प्रौद्योगिकियों में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास; आईटी,अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-प्रौद्योगिकी जैव-प्रौद्योगिकी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषय।
संदर्भ: हाल ही में, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने चंडीगढ़ स्थित टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लेबोरेटरी में अपनी स्वदेशी रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड (RTRS) सुविधा का उपयोग करते हुए एक लड़ाकू जेट के लिए इजेक्शन (बचाव) सीट का पहला सफल हाई-स्पीड रॉकेट-स्लेड परीक्षण किया।
अन्य संबंधित जानकारी
- यह परीक्षण एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के सहयोग से किया गया था।
- DRDO का यह परीक्षण निम्न पर केंद्रित था:
- कैनोपी सेवरेंस सिस्टम (Canopy Severance System (CSS) –कॉकपिट कैनोपी को काटना/उड़ाना (इजेक्शन सीट सिस्टम का एक महत्वपूर्ण चरण)
- इजेक्शन सीक्वेंसिंग: ट्रिगर्स (शुरुआत करने वाले तंत्र) की पूरी श्रृंखला।
- पायलट रिकवरी सिस्टम (Pilot Recovery Systems): पैराशूट, उत्तरजीविता किट (survival kit), स्थिरीकरण (stabilization)।
- इस जटिल गतिशील परीक्षण से भारत, उन्नत स्वदेशी बचाव प्रणाली परीक्षण क्षमता वाले देशों के एक विशिष्ट क्लब में शामिल होगया है।
- गतिशील इजेक्शन परीक्षण, नेट परीक्षण या जीरो-जीरो परीक्षण जैसे स्थिर परीक्षणों की तुलना में काफी अधिक जटिल होते हैं और इजेक्शन सीट के प्रदर्शन और कैनोपी सेवरेंस प्रणाली की प्रभावकारिता का वास्तविक मापन करते हैं।
परीक्षण कैसे किया गया?

- इस परीक्षण में एक ड्यूल स्लेज सिस्टम (Dual Sledge System) का उपयोग किया गया, जिसे वास्तविक परिचालन स्थितियों की प्रतिकृति बनाने के लिए लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) के अग्र भाग पर लगाया गया था।
- ड्यूल स्लेज सिस्टम को सटीकता से नियंत्रित वेग पर दागा गया। इसके लिए इजेक्शन वातावरण का अनुकरण करने हेतु कई ठोस-प्रणोदक रॉकेट मोटरों को बारी-बारी से प्रज्ज्वलित किया गया।
- मानव शरीर विज्ञान की प्रतिकृति बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए एक यंत्रीकृत मानवरुपी टेस्ट डमी को सिस्टम में रखा गया था, ताकि इजेक्शन और रिकवरी के पूरे क्रम को रिक्रिएट किया जा सके।
- इजेक्शन परिघटना के दौरान लोड (भार), आघूर्ण (moment), और त्वरण (acceleration) जैसे सभी मुख्य मापदंडों को ऑनबोर्ड मापन प्रणालियों का उपयोग करके सटीकता से रिकॉर्ड किया गया।
- पूरे क्रम को कैप्चर करने और डमी के व्यवहार तथा इजेक्शन प्रक्रिया को सत्यापित करने के लिए ग्राउंड-बेस्ड इमेजिंग सिस्टम का उपयोग किया गया।
परीक्षण का महत्त्व
- इस सफल हाई स्पीड रॉकेट-स्लेज परीक्षण से लड़ाकू विमानों की बचाव प्रणालियों (Escape System) को डिज़ाइन करने, उनका मूल्यांकन करने और प्रमाणित करने की भारत की स्वदेशी क्षमता मज़बूत हुई है, जिससे विदेशी तकनीकों पर निर्भरता कम होगी।
- सत्यापित कैनोपी विच्छेद (Canopy Severance), इजेक्शन अनुक्रमण (Ejection Sequencing), और एयरक्रू रिकवरी प्रक्रियाओं से लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) और भविष्य के स्वदेशी लड़ाकू विमानों के लिए पायलट सुरक्षा और परिचालन विश्वसनीयता बढ़ेगी।
- इस उपलब्धि से भारत उन्नत स्वदेशी बचाव प्रणाली परीक्षण क्षमता वाले देशों के एक विशिष्ट क्लब में शामिल हो गया है, जो महत्वपूर्ण एयरोस्पेस सुरक्षा प्रौद्योगिकियों में उसकी दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
