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सामान्य अध्ययन-3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव आकलन
संदर्भ: हाल ही में, हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (HEI) ने इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) के सहयोग से, स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (SoGA) रिपोर्ट का छठा संस्करण जारी किया। इस रिपोर्ट में वायु प्रदूषण को विश्व भर में प्रमुख पर्यावरणीय स्वास्थ्य जोखिम के रूप में उजागर किया गया है।
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (SoGA) रिपोर्ट के बारे में
- स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (SoGA) रिपोर्ट एक वार्षिक आकलन है जो 200 से अधिक देशों और क्षेत्रों में वैश्विक वायु गुणवत्ता और उसके स्वास्थ्य प्रभावों पर विश्वसनीय और पारदर्शी डेटा प्रदान करता है।
- 2025 का संस्करण एक महत्वपूर्ण विकास को चिह्नित करता है, जिसमें वायु प्रदूषण से संबंधित प्रमुख स्वास्थ्य परिणाम के रूप में डिमेंशिया (Dementia) को शामिल किया गया है, जिससे इसके तंत्रिका तंत्र पर पड़ने वाले दीर्घकालिक प्रभावों की बेहतर समझ होगी।
- रिपोर्ट में इस बात पर बल दिया गया है कि वायु प्रदूषण से निपटने से दोहरे लाभ प्राप्त होते हैं जैसे-स्वास्थ्य परिणामों में सुधार और उत्सर्जन में कमी तथा स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण के माध्यम से जलवायु कार्रवाई को समर्थन।
2025 की रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
- समय से पूर्व मृत्यु: वायु प्रदूषण के कारण 2023 में वैश्विक स्तर पर 7.9 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई, जिससे यह विभिन्न देशों में समय से पूर्व होने वाली मृत्यु का शीर्ष पर्यावरणीय कारण बन गया।
- वायु प्रदूषण से संबंधित 90% मौतें औद्योगिक उत्सर्जन, शहरी प्रदूषण और स्वास्थ्य सेवा तक सीमित पहुंच के कारण निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हुईं।
- निगरानी तंत्र: वैश्विक जनसंख्या का 11% ऐसे क्षेत्रों में रहता है जहाँ कोई राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक नहीं हैं।
- PM 2.5 का जोखिम: विश्व की 36 प्रतिशत आबादी PM 2.5 के स्तर के संपर्क में है, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा निर्धारित न्यूनतम अंतरिम लक्ष्य सीमा 35 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक है।
- घरेलू प्रदूषण का जोखिम: वैश्विक आबादी का लगभग एक तिहाई, अर्थात् लगभग 2.6 बिलियन लोग, खाना पकाने के लिए ठोस ईंधन जलाने से होने वाले घरेलू वायु प्रदूषण के संपर्क में रहते हैं।
- वृद्ध जनसंख्या पर प्रभाव: 60 वर्ष से अधिक आयु के वयस्कों में वायु प्रदूषण से संबंधित 95 प्रतिशत मौतें गैर-संचारी रोगों जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), डिमेंशिया, मधुमेह, हृदय रोग और फेफड़ों की बीमारी के कारण होती हैं।
- डिमेंशिया की नई प्रवृत्ति: रिपोर्ट में वायु प्रदूषण के कारण मस्तिष्क के स्वास्थ्य में आई गिरावट, विशेष रूप से डिमेंशिया से जुड़े नए साक्ष्य प्रस्तुत किए गए हैं, जिसके कारण 2023 में वैश्विक स्तर पर 626,000 मौतें हुईं और 40 मिलियन लोगों के जीवन के स्वस्थ वर्षों में कमी आई।
भारत में वायु प्रदूषण और रोगों का भार
- निष्कर्ष बताते हैं कि वायु प्रदूषण अब भारत में दीर्घकालिक बीमारियों की एक “मूक महामारी” को बढ़ावा दे रहा है, जो संक्रामक रोगों को पीछे छोड़ते हुए प्रमुख स्वास्थ्य खतरा बन गया है।
- भारत में 2023 में वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों के कारण लगभग दो मिलियन मौतें दर्ज की गईं, जो 2000 से 43 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
- भारत में वायु प्रदूषण से संबंधित लगभग 89 प्रतिशत मौतें गैर-संचारी रोगों से जुड़ी हैं। इन गैर-संचारी रोगों में हृदय और फेफड़ों की बीमारी, मधुमेह, कैंसर और डिमेंशिया शामिल हैं।
- भारत में वायु प्रदूषण से होने वाली मृत्यु दर उच्च आय वाले देशों की तुलना में दस गुना अधिक है। जहाँ भारत में प्रति एक लाख लोगों पर 186 मौतें होती हैं, वहीं उच्च आय वाले देशों में यह दर 17 है।
- महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और पश्चिम बंगाल सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में से हैं, जिनमें से प्रत्येक में 2023 में एक लाख से अधिक मौतें दर्ज की गई।
- भारत में 2024 में डिमेंशिया से संबंधित 54,000 मौतें वायु प्रदूषण से जुड़ी थीं, जो देश की वृद्ध आबादी के लिए गंभीर चुनौतियां पेश कर रही हैं।
- खाना पकाने के लिए ठोस ईंधन पर निर्भरता कम होने के कारण घरेलू वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में कमी आई है, जबकि परिवेशी PM2.5 और ओज़ोन प्रदूषण से होने वाली मौतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- भारत की लगभग 75 प्रतिशत आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है जहाँ PM2.5 का जोखिम विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतरिम वायु गुणवत्ता लक्ष्य से अधिक है, जो समन्वित स्वच्छ वायु नीतियों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है।
