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सामान्य अध्ययन -2: शासन के महत्वपूर्ण पहलू, पारदर्शिता और जवाबदेही, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और संभावनाएँ; नागरिक चार्टर, पारदर्शिता और जवाबदेही तथा संस्थागत और अन्य उपाय।

संदर्भ: 

इस वर्ष सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के 20 वर्ष पूरे हो जाएंगे, इसलिए इसकी प्रभावशीलता और उपलब्धियों का आकलन करना महत्वपूर्ण है।

सूचना का अधिकार अधिनियम 

• 1990 के दशक में, अरुणा रॉय और निखिल डे जैसे कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में मज़दूर किसान शक्ति संगठन (MKSS) ने सूचना के अधिकार की नींव रखने और उसे व्यवहार में लाने के लिए एक पहल शुरू की।

• वर्ष 2005 में अधिनियमित सूचना का अधिकार अधिनियम का उद्देश्य सार्वजनिक प्राधिकरणों के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना है।

• धारा 3: प्रत्येक नागरिक को सार्वजनिक प्राधिकरणों द्वारा या उनके नियंत्रण में रखी गई जानकारी तक पहुँचने का अधिकार है।

• यह नागरिकों को सरकार को उसके कार्यों और निर्णयों के लिए जवाबदेह ठहराने का अधिकार देता है।

• यह अधिनियम नागरिकों के जानने के मौलिक अधिकार को क्रियान्वित करता है, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) में उल्लेखित है।

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(a) सभी नागरिकों को वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की गारंटी देता है।
  • उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राज नारायण मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि नागरिकों को सार्वजनिक प्राधिकरणों की गतिविधियों के बारे में जानने का अधिकार है और यह अधिकार शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।

• यह कानून सूचना तक पहुँच को सुगम बनाने के लिए प्रत्येक विभाग में लोक सूचना अधिकारियों (PIO) की नियुक्ति को अनिवार्य बनाता है।

• यह विवादों और शिकायतों के समाधान के लिए केंद्रीय तथा राज्य सूचना आयोगों को अपीलीय प्राधिकारी के रूप में स्थापित करता है।

• यह बिना उचित कारण के सूचना न देने, गलत सूचना देने या देरी करने पर दंड का भी प्रावधान करता है।

• अधिनियम के तहत सूचना का अधिकार केवल भारत के नागरिकों को उपलब्ध है, निगमों या विदेशी संस्थाओं को नहीं।

सूचना क्या है?

• अधिनियम धारा 2(f) के तहत सूचना को किसी भी तरह की किसी सामग्री के रूप में परिभाषित करता है जो किसी सार्वजनिक प्राधिकरण के पास हो।

• इसमें अभिलेख, दस्तावेज़, ज्ञापन, ई-मेल, राय, सलाह, प्रेस विज्ञप्तियाँ, परिपत्र, आदेश, लॉगबुक, अनुबंध, रिपोर्ट, पत्र, नमूने और मॉडल शामिल हैं।

• इसमें इलेक्ट्रॉनिक रूपों जैसे डेटा, टेप, डिस्केट या किसी अन्य डिजिटल माध्यम में संग्रहीत जानकारी भी शामिल है।

• इसमें निजी निकायों से संबंधित जानकारी शामिल है जिसे किसी भी प्रचलित कानून के तहत सार्वजनिक प्राधिकरणों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

• अधिनियम निर्दिष्ट करता है कि केवल मौजूदा जानकारी ही प्रदान की जा सकती है और सार्वजनिक प्राधिकरणों को जानकारी बनाने या उसकी व्याख्या करने की आवश्यकता नहीं है।

RTI अधिनियम की प्रमुख उपलब्धियाँ

स्रोत:
DowntoEarth 
Indian Express 
The Hindu

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