संबंधित पाठ्यक्रम
सामान्य अध्ययन-2: शासन व्यवस्था के महत्त्वपूर्ण पहलू; शासन व्यवस्था में ईमानदारी: लोक सेवा की अवधारणा; शासन व्यवस्था और ईमानदारी का दार्शनिक आधार; सरकार में सूचना का आदान-प्रदान, सूचना का आधार, नीतिपरक आचार संहिता, आचरण संहिता, नागरिक घोषणा पत्र, कार्य संस्कृति, सेवा प्रदान करने की गुणवत्ता, लोक निधि का उपयोग, भ्रष्टाचार की चुनौतियाँ।
संदर्भ: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को सुशासन दिवस मनाया जाता है।
अन्य संबंधित जानकारी
- केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री ने नई दिल्ली के सिविल सर्विसेज ऑफिसर्स संस्थान में सुशासन प्रथाओं पर पांचवीं राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया।
- यह कार्यशाला निर्णय लेने की दक्षता बढ़ाने और विशेष अभियान 5.0 के परिणामों की समीक्षा करने की पहलों पर केंद्रित है।
- इस अवसर पर, मंत्री ने नए आईटी (IT) टूल का अनावरण किया, जिसमें AI-संचालित भर्ती नियम जनरेटर, eHRMS 2.0 मोबाइल ऐप, iGOT कर्मयोगी पोर्टल की नई विशेषताएं और कर्मयोगी डिजिटल लर्निंग लैब 2.0 शामिल हैं।
- राष्ट्रव्यापी स्तर पर 19 से 25 दिसंबर तक सुशासन सप्ताह मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य सेवा वितरण में सुधार लाना, शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करना और नागरिक-केंद्रित प्रशासन को बढ़ावा देना है।
- ‘प्रशासन गाँव की ओर’ पहल सुशासन सप्ताह अभियान का मूल आधार है, जो शिकायत निवारण और प्रभावी सार्वजनिक सेवा वितरण के मामले में जिला प्रशासन को अग्रिम पंक्ति में रखती है।
- वर्ष 2025 में, भारत ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती मनाई।
सुशासन दिवस के बारे में
- 2014 में, केंद्र सरकार ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को सम्मान देने के लिए उनकी जयंती के उपलक्ष्य में 25 दिसंबर को “सुशासन दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की।
- यह दिन इस बात पर जोर देता है कि शासन का ध्यान केवल प्रशासन पर नहीं, बल्कि नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने पर होना चाहिए, और यह जवाबदेही, पारदर्शिता और समावेशी विकास के सिद्धांतों पर प्रकाश डालता है, जो वाजपेयी जी के नेतृत्व का केंद्रबिंदु थे।
- 2021 में, आजादी के अमृत महोत्सव (स्वतंत्रता के 75वें वर्ष) के दौरान, सरकार ने देश भर में सुशासन की अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए सुशासन सप्ताह की शुरुआत की।
- सुशासन दिवस के अवसर पर 25 दिसंबर 2019 को ‘सुशासन सूचकांक’ लॉन्च किया गया था।
सुशासन के बारे में

- सुशासन सूचकांक रिपोर्ट के अनुसार
- सुशासन को निर्णय लेने की प्रभावी और कुशल प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- इसमें निर्णयों को लागू करना या न लागू करना शामिल है, जिसमें नागरिकों का कल्याण सर्वोच्च प्राथमिकता होती है।
- इस प्रक्रिया में संसाधनों का आवंटन, औपचारिक प्रतिष्ठानों का निर्माण, और नियमों एवं विनियमों का निर्धारण करना शामिल है| ये सभी मिलकर सुशासन के लक्ष्य को प्राप्त करने में योगदान देते हैं।
- संयुक्त राष्ट्र सुशासन को आठ प्रमुख विशेषताओं के माध्यम से परिभाषित करता है: सहभागिता, सर्वसम्मति-उन्मुखीकरण, उत्तरदायित्व, पारदर्शिता, अनुक्रियाशीलता, दक्षता, न्यायसंगतता एवं समावेशिता। यह समस्त प्रक्रिया विधि के शासन के सिद्धांतों के अनुरूप संचालित होनी चाहिए।
- भारतीय परम्परा में सुशासन:
- प्राचीन भारत में, राजाओं का मार्गदर्शन ‘राजधर्म’ द्वारा किया जाता था| राजधर्म, शासन के नैतिक और सदाचारी सिद्धांतों का समूह था।
- महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों में आदर्श शासक के गुणों के बारे में बताया गया है, जैसे न्याय, निष्पक्षता और जनता के कल्याण को प्राथमिकता देना।
ये कालातीत मूल्य आज भी प्रासंगिक हैं| ये मूल्य हमें स्मरण कराते हैं कि शासन की जड़ें सदैव सत्यनिष्ठा और करुणा में निहित होनी चाहिए।
