संदर्भ :

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के उपलक्ष्य में 25 दिसंबर को प्रतिवर्ष सुशासन दिवस मनाया जाता है।

अन्य संबंधित जानकारी              

  • वर्ष 2024 का विषय है “विकसित भारत के लिए भारत का मार्ग: सुशासन और डिजिटलीकरण के माध्यम से नागरिकों का सशक्तीकरण” जो 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को त्वरित गति से प्राप्त करने के लिए प्रौद्योगिकी और कौशल विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर बल देता है।
  • पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के अवसर पर सुशासन दिवस पर, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और पीएमओ राज्य मंत्री ने ‘विकसित पंचायत कर्मयोगी’ पहल का शुभारंभ किया

सुशासन दिवस

  • 2014 में, केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के सम्मान में 25 दिसंबर को “सुशासन दिवस ” के रूप में घोषित किया।
  • यह दिवस इस बात पर जोर देता है कि शासन का ध्यान केवल प्रशासन पर नहीं बल्कि नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने पर होना चाहिए। साथ ही यह वाजपेयी जी के नेतृत्व में प्रमुख रहे उत्तरदायित्व, पारदर्शिता और समावेशी विकास के सिद्धांतों पर प्रकाश डालता है।
  • यह उत्सव गुड गवर्नेंस वीक (सुशासन सप्ताह) का हिस्सा है, जो 19 दिसंबर से 25 दिसंबर तक मनाया जाता है।
  • 2021 में, स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के अवसर पर अमृत महोत्सव के दौरान, सरकार ने देशभर में सुशासन की अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए सुशासन सप्ताह की शुरुआत की।
  • 25 दिसंबर 2019 को सुशासन दिवस के अवसर पर सुशासन सूचकांक’ लॉन्च किया गया।

सुशासन क्या है?

  • सुशासन सूचकांक रिपोर्ट के अनुसार,-
  • सुशासन को निर्णय लेने की एक प्रभावी और कुशल प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • इसमें निर्णयों का कार्यान्वयन (या गैर-कार्यान्वयन) शामिल है, जिसमें नागरिकों का उत्कर्ष सर्वोच्च प्राथमिकता है।
  • इस प्रक्रिया में संसाधन आवंटन, औपचारिक प्रतिष्ठानों का निर्माण, तथा नियमों और विनियमों की स्थापना शामिल है, जो इस लक्ष्य को प्राप्त करने में योगदान करते हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सुशासन में आठ प्रमुख विशेषताएं शामिल हैं: सहभागिता, सर्वसम्मति-उन्मुख, जवाबदेही, पारदर्शी, उत्तरदायी, प्रभावी और कुशल, समतामूलक और समावेशी, तथा विधि का शासन
  • भारतीय परंपरा में सुशासन :   
  • प्राचीन भारत में राजा राजधर्म, अर्थात् शासन के नीतिपरक और नैतिक सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होते थे।
  • महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्य एक आदर्श शासक के न्याय, निष्पक्षता और लोगों के कल्याण को प्राथमिकता देने जैसे गुणों पर जोर देते हैं।

ये शाश्वत मूल्य आज भी प्रासंगिक हैं तथा हमें याद दिलाते हैं कि शासन सदैव सत्यनिष्ठा और करुणा पर आधारित होना चाहिए।                      

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