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सामान्य अध्ययन-3: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास और रोजगार से संबंधित विषय

संदर्भ: हाल ही में, सिन गुड्स (नुकसानदेह वस्तुओं) के उपभोग को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से संसद में केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 और स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025 पेश किए गए।

पृष्ठभूमि

  • जीएसटी क्षतिपूर्ति (GST Compensation) उस व्यवस्था को कहा जाता है जिसका उपयोग वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली के लागू होने से राज्यों को होने वाले संभावित राजस्व घाटे की भरपाई करने के लिए किया जाता है।
  • मार्च 2026 में जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर समाप्त होगा परन्तु यदि केंद्र सरकार, राज्यों की ओर से कोविड के समय लिए गए ऋणों का भुगतान कर देता है, तो इसे उस तिथि से पहले ही समाप्त किया जा सकता है।
  • जीएसटी अधिनियम, 2017 के तहत राज्यों को यह आश्वासन दिया गया था कि जीएसटी लागू होने के पाँच साल बाद तक जीएसटी से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए राज्यों को उनके 2015-16 के राजस्व आधार पर 14% वार्षिक चक्रवृद्धि दर से क्षतिपूर्ति दी जाएगी।
  • हालाँकि, यह पाँच-वर्षीय क्षतिपूर्ति अवधि जून 2022 में समाप्त हो गई, लेकिन केंद्र ने क्षतिपूर्ति उपकर के अधिरोपण और संग्रहण को मार्च 2026 तक बढ़ा दिया।
  • हालाँकि, यह पाँच-वर्षीय क्षतिपूर्ति अवधि जून 2022 में समाप्त हो गई, लेकिन केंद्र ने क्षतिपूर्ति उपकर के अधिरोपण और संग्रहण की अवधि का विस्तार मार्च 2026 तक कर दिया।
  • यह विस्तार विशेष रूप से जुलाई 2017 से जून 2022 की अवधि के लिए राज्यों को क्षतिपूर्ति प्रदान करने हेतु ली गई उधारियों को चुकाने के लिए किया गया था।

केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 के प्रमुख प्रावधान

  • विधेयक में तंबाकू उत्पादों पर लगने  वाले जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर को केंद्रीय उत्पाद शुल्क से प्रतिस्थापित करने का प्रस्ताव है।
  • जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर की समाप्ति के बाद कर की दर को बनाए रखने के लिए, केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 में संशोधन करके तंबाकू और संबंधित उत्पादों पर उत्पाद शुल्क बढ़ाया जाएगा।
  • प्रस्तावित उत्पाद शुल्क दरें काफी उच्च हैं; उदाहरणार्थ, सिगरेट की लंबाई के अनुसार, प्रति 1,000 सिगरेट स्टिक पर ₹5,200 से ₹7,000 तक का शुल्क लगाया किया जाएगा।
  • इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उपकर को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के बावजूद, तंबाकू पर कुल कर भार उच्च (वर्तमान में 40% से अधिक) बना रहे, जिससे राजस्व तटस्थता सुनिश्चित की जा सके।
  • प्रस्तावित उत्पाद शुल्क दरें पर्याप्त हैं, उदाहरण के लिए, सिगरेट की लंबाई के आधार पर प्रति 1,000 सिगरेट स्टिक पर ₹5,200 से ₹7,000 तक शुल्क लगाया जाएगा।
  • अब सिगरेट, सिगार, चबाने वाले तंबाकू और ज़र्दा सहित तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क लगाने और संशोधित करने का  अधिकार केंद्र सरकार का होगा।
  • यह विधेयक तंबाकू और संबंधित सिन गुड्स को एक स्थिर और दीर्घकालिक कर ढाँचे के अंतर्गत लाता है, जिससे अस्थायी उपकर प्रणाली समाप्त हो जाएगी।

स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025 के प्रमुख प्रावधान 

  • इस विधेयक के माध्यम से, पान मसाला और अन्य अधिसूचित उत्पादों के विनिर्माण पर एक नया उपकर लगाया जाएगा, जो पान मसाला पर समाप्त होने जा रहे जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर का स्थान लेगा। यह कदम सिन गुड्स के कराधान में एक संरचनात्मक नीतिगत परिवर्तन को भी चिह्नित करता है।
  • इसका लक्ष्य स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी कार्यक्रमों के लिए एक समर्पित और संरक्षित आय स्रोत सुनिश्चित करना है।
  •  इस उपकर को सिन गुड्स के उपभोग को हतोत्साहित करने और दीर्घकालिक सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा सुरक्षा प्राथमिकताओं के लिए धन जुटाने के साधन के रूप में डिजाइन किया गया है।
  • इस उपकर को उपभोग को हतोत्साहित करने और दीर्घकालिक सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा की प्राथमिकताओं के लिए फंड जुटाने के माध्यम के रुप में डिज़ाइन किया गया है।

इन विधेयकों के प्रभाव 

  • जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर जोकि राज्यों के ऋण पुनर्भुगतान से जुड़ा एक अस्थायी शुल्क था, को प्रतिस्थापित करके सरकार तंबाकू और पान मसाला जैसे सिन गुड्स से राजस्व संग्रह में निरंतरता और स्थायित्व सुनिश्चित करती है।
  • यह समर्पित स्वास्थ्य और सुरक्षा उपकर इस बात का संकेत है कि नीतिगत ध्यान अब कर राजस्व को सीधे सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं राष्ट्रीय सुरक्षा की ओर निर्देशित करने पर केंद्रित है, जिससे तंबाकू कराधान सामाजिक और राजकोषीय नीति का एक सशक्त माध्यम बन जाता है।
  • यह कदम जीएसटी क्षतिपूर्ति व्यवस्था की समाप्ति के पश्चात केंद्र सरकार के राजस्व की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, जिससे क्षतिपूर्ति उपकर के समाप्त होने से उत्पन्न होने वाले किसी भी राजकोषीय अंतराल से बचा जा सके।
  • उच्च उत्पाद शुल्क दरों के कारण तंबाकू और पान मसाला की उपभोक्ता कीमतों में वृद्धि होने की संभावना होती है, जिससे उपभोग को हतोत्साहित किया जा सकता है। इस प्रकार यह सार्वजनिक स्वास्थ्य उद्देश्यों के अनुरूप है।
  • यह विधान सिन गुड्स के कराधान के लिए एक स्पष्ट दीर्घकालिक ढाँचा प्रदान करता है, जिससे राजकोषीय अनुशासन और नीतिगत पारदर्शिता को बढ़ावा मिलता है।

Sources:
Indian Express
New Indian Express
Live Mint

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