संदर्भ:

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री ने द्विवार्षिक राष्ट्रव्यापी सामूहिक औषधि प्रशासन (Nationwide Mass Drug Administration-MDA) अभियान के दूसरे चरण का शुभारंभ किया।

अन्य संबंधित जानकारी

  • इस अभियान में बिहार, झारखंड, कर्नाटक, ओडिशा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के 63 स्थानिक जिलों तथा 771 ब्लॉकों को लक्षित किया गया है।
  • इसमें उपर्युक्त छह राज्यों के 38 ट्रिपल-ड्रग और 25 डबल-ड्रग क्षेत्र शामिल हैं।
  • यह स्थानीय क्षेत्रों में निवारक दवाओं का घर-घर जाकर प्रबंधन करेगा, जिससे लसिका फाइलेरिया (Lymphatic Filariasis) को समाप्त करने का भारत का लक्ष्य वैश्विक लक्ष्य से आगे बढ़ जाएगा।
  • लसिका फाइलेरिया एक मच्छर जनित रोग है, जिसे सरल उपायों के माध्यम से रोका जा सकता है, इसलिए इसके संचरण (प्रसार) को रोकने हेतु सामूहिक औषधि प्रशासन (MDA) चक्र महत्वपूर्ण हैं।
  • आगामी सामूहिक औषधि प्रशासन चक्र में सफलता सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है कि सभी पात्र जनसंख्या के 90% लोग इन दवाओं का सेवन करें।
  • द्विवार्षिक सामूहिक औषधि प्रशासन अभियान वर्ष 2024 के पहले चरण (जिसमें 11 राज्यों के 96 जिलों को शामिल किया गया) में पात्र जनसंख्या के 95% की राष्ट्रीय पहुँच दर हासिल की गई। 

लसीका फाइलेरिया

  • इसे हाथीपांव (elephantiasis) के नाम से भी जाना जाता है, जो एक दुर्बल करने वाली बीमारी है जो गंदे या प्रदूषित पानी में पनपने वाले संक्रमित क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलने वाले परजीवी कृमियों के कारण होती है। 
  • यह लसीका तंत्र को क्षतिग्रस्त कर देता है और शरीर के अंगों में असामान्य वृद्धि का कारण बन सकता है, जिससे दर्द, गंभीर विकलांगता और सामाजिक कलंक की स्थिति पैदा हो सकती है।
  • यह एक वेक्टर जनित उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग है।
  • इसमें अधिकांश संक्रमण लक्षणविहीन होते हैं, जिनमें संक्रमण का कोई बाह्य लक्षण नहीं दिखता, जबकि परजीवी के संचरण में योगदान होता है।
  • प्रतिवर्ष दोहराए जाने वाले सुरक्षित औषधि संयोजनों के साथ निवारक कीमोथेरेपी के माध्यम से संक्रमण के प्रसार को रोककर इसे समाप्त किया जा सकता है।
  • भारत वर्ष 2027 तक लसीका फाइलेरिया (LF) को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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