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सामान्य अध्ययन-3: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें; धन-शोधन और इसे रोकना।
संदर्भ: हाल ही में, दूरसंचार विभाग (DoT) और वित्तीय खुफिया इकाई-भारत (FIU-IND) ने साइबर अपराधों और धोखाधड़ी से निपटने के लिए एक विस्तृत समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।
समझौता ज्ञापन के मुख्य बिंदु
• उन्नत डेटा साझाकरण तंत्र:
- वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (FRI) डेटा का रियल टाइम साझाकरण, जो वित्तीय धोखाधड़ी के साथ उनके संबंध के आधार पर मोबाइल नंबरों को मध्यम, उच्च या बहुत उच्च जोखिम के रूप में वर्गीकृत करता है।
- दूरसंचार विभाग मोबाइल नंबर निरसन सूची (MNRL) डेटा (जिसमें ऐसे डिस्कनेक्शन की तिथि और कारण शामिल हैं) को स्वचालित आधार पर FIU-IND के साथ साझा करेगा।
- FIU-IN साइबर धोखाधड़ी और मनी म्यूल (Money Mule) गतिविधियों से संबंधित संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (STRs) में शामिल खातों से जुड़े मोबाइल नंबर साझा करेगा।
- दूरसंचार विभाग के डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DIP) और FIU-IND के फिननेक्स 2.0 पोर्टल जैसे उन्नत प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों का लाभ उठाकर सूचना के आदान-प्रदान को सुगम बनाया जाएगा।
- सिस्टम-आधारित आदान-प्रदान पोर्टल एजेंसियों के बीच सुरक्षित, रियल टाइम डेटा ट्रांसमिशन को सक्षम करेंगे।
• भारत के दूरसंचार साइबर सुरक्षा इकोसिस्टम को मजबूत करना: इस सहयोग से देश की निम्नलिखित क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि होगी:
- वित्तीय अपराधों को रोकना: दूरसंचार विभाग की दूरसंचार खुफिया जानकारी को FIU-IND की वित्तीय खुफिया जानकारी के साथ संयोजित करके, अधिकारी अब धोखाधड़ी वाले मोबाइल कनेक्शनों की पहचान कर सकते हैं और उनके विरुद्ध कार्रवाई कर सकते हैं, इससे पहले कि वे नागरिकों को वित्तीय नुकसान पहुंचाएं।
- डिजिटल लेनदेन की सुरक्षा: साझा एफआरआई डेटा वित्तीय संस्थाओं को डिजिटल भुगतान लेनदेन के दौरान उच्च जोखिम वाले मोबाइल नंबरों के लिए उन्नत जोखिम जांच लागू करने में सक्षम बनाएगा।
- सक्रिय कार्रवाई के लिए रियल-टाइम इंटेलिजेंस: यह समझौता ज्ञापन दोनों एजेंसियों को प्रतिक्रियात्मक से सक्रिय धोखाधड़ी का पता लगाने की दिशा में अग्रसर करेगा। दूरसंचार विभाग का चक्षु प्लेटफॉर्म, वित्तीय संस्थानों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के डेटा का उपयोग करके बनाया गया वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (FRI), संभावित धोखाधड़ी वाले मोबाइल नंबरों के बारे में पहले से ही अलर्ट प्रदान करता है।
महत्त्व
- सक्रिय धोखाधड़ी का पता लगाने की ओर बदलाव: यह वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (FRI) प्रणाली का उपयोग करके प्रतिक्रियाशील से सक्रिय धोखाधड़ी का पता लगाने की ओर बदलाव को सक्षम बनाता है।
- डिजिटल पेमेंट सुरक्षा को मजबूत करना: यह परिष्कृत धोखाधड़ी योजनाओं से भारत के तेजी से विकसित होते डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम की सुरक्षा को मजबूत करता है।
- मौजूदा प्लेटफ़ॉर्म का पूरक: यह संचार साथी जैसे मौजूदा प्लेटफ़ॉर्म का पूरक है, जिसने लाखों धोखाधड़ी वाले कनेक्शनों को काट दिया है।
- मानक संचालन प्रक्रियाएँ और फ़ीडबैक: यह धोखाधड़ी का पता लगाने में निरंतर सुधार के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएँ और फ़ीडबैक तंत्र स्थापित करता है।
- सहायक दिशानिर्देश और रेड-फ्लैग संकेतक: यह बेहतर रोकथाम के लिए वित्तीय संस्थाओं को दिशानिर्देश और रेड-फ्लैग संकेतक जारी करने का समर्थन करता है।
निकायों के बारे में
• वित्तीय खुफिया इकाई-भारत: FIU-IND एक केंद्रीय राष्ट्रीय एजेंसी है जो संदिग्ध वित्तीय लेनदेन से संबंधित जानकारी प्राप्त करने, प्रसंस्करण, विश्लेषण और प्रसार करने तथा धन शोधन और आतंकवादियों के वित्तपोषण के खिलाफ प्रयासों का समन्वय करने के लिए जिम्मेदार है।
• डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट (DIU): दूरसंचार विभाग की डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट एक विशेष शाखा है, जिसकी स्थापना साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी के लिए दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने हेतु व्यापक प्रणालियां तैयार करने के उद्देश्य से की गई है।
- डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट ने कई एआई और बिग डेटा समाधान लागू किए हैं, जिनमें ASTR (कई सिम और जाली केवाईसी का पता लगाना), ASTR (नकली अंतरराष्ट्रीय कॉल को ब्लॉक करना), संचार साथी पोर्टल और ऐप, और वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (FRI) शामिल हैं।
स्रोत:
Communications Today
PIB.Gov
Telecom.Economic Times. India Times
DD News