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सामान्य अध्ययन-3: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय।
संदर्भ: हाल ही में, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 2026 सीज़न के लिए खोपरा (सूखा नारियल) के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि को मंजूरी दी।
अन्य संबंधित जानकारी
• 2026 सीज़न के लिए, मिलिंग खोपरा के उचित औसत गुणवत्ता (फेयर एवरेज क्वालिटी) के लिए MSP ₹12,027 प्रति क्विंटल और बॉल खोपरा के लिए ₹12,500 प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, जो कि क्रमशः ₹445 और ₹400 प्रति क्विंटल की वृद्धि दर्शाता है।
• 2014 से, मिलिंग खोपरा के लिए MSP ₹5,250 से बढ़कर ₹12,027 हो गया है और बॉल खोपरा के लिए ₹5,500 से बढ़कर ₹12,500 हो गया है, जो कि क्रमशः 129% और 127% की वृद्धि है।
• राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (NAFED) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (NCCF) मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत खोपरा की खरीद के लिए केंद्रीय नोडल एजेंसियों (CNA) के रूप में कार्य करना जारी रखेंगे।
- NAFED एक सरकारी समर्थित सहकारी संस्था है जो 2 अक्टूबर 1958 को स्थापित हुई थी और भारत में कृषि उत्पादों के विपणन को बढ़ावा देती है।
- NCCF की स्थापना 16 अक्टूबर 1965 को देश में उपभोक्ता सहकारी समितियों के शीर्ष निकाय के रूप में कार्य करने के लिए की गई थी।
• इस कदम से नारियल उत्पादकों को बेहतर लाभ सुनिश्चित होगा और बढ़ती घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय माँग को पूरा करने के लिए खोपरा उत्पादन में वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा।
• MSP में यह वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 में सरकार की उस घोषणा के अनुरूप है, जिसमें कहा गया था कि सभी अधिदेशित फसलों के लिए MSP अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत का न्यूनतम 1.5 गुना निर्धारित किया जाएगा।
खोपरा के बारे में
• खोपरा नारियल के पेड़ (कोकोस न्यूसीफेरा) के पके फल से निकाला गया नारियल का सूखा गूदा या गिरी होता है।
• खोपरा को इससे निकाले गए नारियल तेल और शेष अवशेष, जिसे नारियल तेल की खली कहा जाता है, के लिए मूल्यवान माना जाता है, जिसका उपयोग अधिकतर पशुधन के चारे के लिए किया जाता है।
• भारत में दो प्रकार के खोपरा का उत्पादन होता है: मिलिंग खोपरा, जिसका इस्तेमाल तेल निकालने के लिए होता है, और बॉल/खाद्य खोपरा, जिसे सूखे मेवे के तौर पर या धार्मिक कामों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
• नारियल विकास बोर्ड (CDB) के अनुसार, 2022-23 में कुल नारियल उत्पादन का 45.8% हिस्सा खोपरा के रूप में उपयोग हुआ, जिसमें से 33% मिलिंग खोपरा और 12.8% बॉल खोपरा था।
- CDB एक सांविधिक निकाय है, और इसकी स्थापना 12 जनवरी 1981 को हुई थी। इसका मुख्यालय केरल के कोच्चि में है, और यह कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है।
• 2023 तक, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा नारियल उत्पादक (फिलीपींस और इंडोनेशिया के बाद) है, और इसने वित्त वर्ष 2024 में 21,373.62 मिलियन नट के साथ वैश्विक उत्पादन में 31.45% का योगदान दिया।
• वित्त वर्ष 2023 के दौरान देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में इस फसल का लगभग ₹30,795.6 करोड़ (3.72 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का योगदान रहा।
• वित्त वर्ष 2023-24 में, कर्नाटक 6,151 मिलियन नट के साथ नारियल उत्पादन में शीर्ष पर रहा, इसके बाद तमिलनाडु (6,092 मिलियन) और केरल (5,522 मिलियन) का स्थान रहा।
• विश्व नारियल दिवस प्रत्येक वर्ष 2 सितंबर को मनाया जाता है, जो एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (UNESCAP) के अंतर्गत कार्यरत अंतरसरकारी निकाय, अंतर्राष्ट्रीय नारियल समुदाय (ICC) की 1969 में स्थापना का प्रतीक है।
- भारत ICC का संस्थापक सदस्य है।

भारत में MSP व्यवस्था
• न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सरकार द्वारा किसानों की फसल मूल्य में किसी भी तीव्र गिरावट से सुरक्षा प्रदान करने हेतु अपनाई जाने वाली एक बाजार हस्तक्षेप नीति है।
• MSP की घोषणा कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर बुवाई के मौसम की शुरुआत में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) द्वारा कुछ निश्चित फसलों (वर्तमान में 23) के लिए की जाती है।
• फसलों की सूची इस प्रकार है:
- अनाज (7) – धान, गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा, जौ और रागी
- दलहन (5) –चना, अरहर (तुअर), मूंग, उड़द, मसूर
- तिलहन (7) –मूँगफली, रेपसीड-सरसों (+ तोरिया), सोयाबीन, तिल, सूरजमुखी, कुसुम (सैफ्लावर), नाइजरसीड (रामतिल)
- व्यावसायिक फसलें (4) – खोपरा (+ बिना छिलके वाला नारियल), गन्ना, कपास और कच्चा जूट।
Source:
PIB
Coconut Community
Agritech.Tnau
Ibef
PIB
Nafed-India
Nccf-India
